जब CNN ने की एक न्यूज ब्रेक करने की आलोचना...
इलेक्ट्रॉनिक चैनलों के बीच हर खबर को सबसे पहले ब्रेक करने की जब आपाधापी मची है, ऐसे में CNN की ओर देख लेना जरूरी है जहां उसने खुद की ब्रेक की हुई खबर की खुद ही आलोचना की है.
-
Total Shares
खबर है तो मीडिया की मौजूदगी होगी. मीडिया होगी तो खबरों को बटोरने और उसे सबसे पहले अपने दर्शकों, पाठकों तक पहुंचाने की आपाधापी भी. यही भारत में होता रहा है और अमेरिका में भी. यही कारण है कि कैलिफोर्निया में अंधाधुंध गोलीबारी करने और फिर पुलिस इनकाउंटर में मारे गए हमलावरों रिजवान फारूक और उसकी पत्नी ताशफीन मलिक के बंद घर में शुक्रवार को तमाम पत्रकार, कैमरामैन, रिपोर्टर प्रवेश कर जाते हैं और उन हमलावरों का घर 'सरेआम' हो जाता है.
पहले CNN और फिर कई दूसरे बड़े चैनल और अखबार के रिपोर्टर घर के हर कमरे में प्रवेश करते हैं. और फिर बेडरूम से लेकर बाथरूम तक के लाइव फुटेज टीवी पर दौड़ने लगे. घर के बेडरूम में रखे आईकार्ड, दूसरे निजी सामान से लेकर धार्मिक किताबों तक को कैमरा घूम-घूम कर दिखाता है. हालांकि CNN जैसे कुछ चैनलों ने उन हमलावरों की पहचान से जुड़ी चीजों को दिखाने में सावधानी बरती फिर भी कई दूसरे माध्यमों से बहुत कुछ लोगों तक पहुंच ही गया. अब अमेरिका में बहस छिड़ी है कि ऐसा क्यूं हुआ. एक ऐसी घटना जिसके तार आतंकवाद और ISIS से भी जुड़े हो सकते हैं, वहां, पुलिस से ऐसी चूक कैसे हुई. क्या इससे घर में मौजूद अहम सुरागों से छेड़छाड़ नहीं हुआ होगा?
इन सबके बीच दिलचस्प बात यह रही कि कुछ देर बाद वहां की मीडिया और खासकर CNN ने ही यह सवाल खड़े कर दिए कि उन्हें प्रवेश करने से क्यों नहीं रोका गया. अमेरिका में कानून के कई जानकार, विशेषज्ञ तक ने इस पर हैरानी जताई. फिर पुलिस और जांच अधिकारियों को स्पष्टीकरण देना पड़ा कि उन्होंने घर से जुड़े जरूरी जांच पूरे कर लिए थे और घर की चाबी मकान मालिक को सौंप दी. इसके बाद मकान मालिक ने मीडिया वालों को बुला लिया.
लेकिन बात यहीं खत्म नहीं हुई. इसके बाद अमेरिका में 'मुस्लिमअपार्टमेंट' ट्रेंड करने लगा. कुछ लोग ट्विटर पर इस्लाम की अच्छी तस्वीर पेश करने लगे तो कुछ ने भद्दे मजाक शुरू कर दिए.
My #MuslimApartment living room where my parents pray a nice young man will come ask 4 my hand in marriage. #hopeful pic.twitter.com/k9Pcnz02cy
— Suehaila Amen (@SuehailaAmen) December 5, 2015
Looking around and I found this in #MuslimApartment pic.twitter.com/7BHthU2tdw
— Rizwan Alam (@rizwanalam14) December 5, 2015
Too many games and movies I just don't have time to finish. #MuslimApartment pic.twitter.com/4EutLcO6bL
— Jilan (@JilanInVegas) December 5, 2015
#MuslimApartment lights up A lantern in Ramadan and a tree in Christmas ! pic.twitter.com/fdlwyM3aXc
— AⓂ️AL أمل (@Amal_g_ibrahim) December 5, 2015
I knew it! #MuslimApartment pic.twitter.com/msK29CKQDf
— Persian Rose (@PersianRose1) December 5, 2015
भारत में भी मीडिया के रोल पर उठते रहे हैं सवाल
मुंबई अटैक से लेकर इसी साल अगस्त में उधमपुर में जिंदा पकड़े गए लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी कासिम का उदाहरण सामने है. जहां मीडिया शायद जरूरत से ज्यादा एक्टिव नजर आई. मुंबई अटैक के समय मीडिया की लाइव कवरेज का सीधा फायदा ताज होटल में छिपे आतंकियों को मिला. जब तक इसकी जानकारी मिली, बहुत देर हो चुकी थी.
ऐसे ही कासिम की गिरफ्तारी के बाद पुलिस से पहले मीडिया उससे सवाल-जवाब करती नजर आई. आरुषि तलवार मर्डर केस भी ऐसा ही एक उदाहरण रहा जहां 'क्राइम स्पॉट' के साथ खूब छेड़छाड़ हुआ. नतीजा हमारे सामने हैं, उस मर्डर केस के कई पहलुओं से पर्दा आज भी नहीं हट सका है. ऐसे में सवाल है कि दोष किसका है. यह सही है कि मीडिया की अपनी जिम्मेदारी भी बनती है कि वह ये तय करे कि उसे क्या दिखाना है और क्या नहीं. लेकिन ब्रेकिंग की आपाधापी में कई बार यही सीमा टूट भी जाती है. इसलिए मीडिया से इतर सवाल तो जिम्मेदार पदों पर बैठे अधिकारियों से भी पूछा जाना चाहिए.
आपकी राय