काबुल में CNN की रिपोर्टर का हुलिया एक दिन में बदला, समझ लीजिए बाकी अफगान महिलाओं का हश्र
पहले की तुलना में अब अफगानिस्तान की सड़कों पर महिलाएं बहुत कम नजर आ रही हैं. तालिबानी हुकूमत कायम होने के बाद महिलाएं ज्यादा पारंपरिक और दकियानूसी परिधानों में नजर आ रही हैं, जबकि पहले ऐसा तो नहीं था.
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अफगानिस्तान में सत्ता बदलते ही वहां की महिलाओं जिंदगी बदल गई है. लोगों को सबसे ज्यादा चिंता इस बात की है कि अब अफगानिस्तान की महिलाओं की शिक्षा का अब क्या होगा..वहां की लड़कियां डरी हुईं हैं कि अब उनकी दुनियां कैसी होगी.
जो लड़कियां पिछले 20 सालों से अफगानिस्तान में पली-बढ़ी हैं, वे खौफ में हैं. उन्हें नहीं समझ आ रहा है कि क्या हो रहा है. वहां की महिलाएं उनपर होने वाली दरिंदगी को भूली नहीं हैं, उन्हें याद है कि तालिबान के शासन के समय कैसे उनपर कोड़े बरसाए जाते थे. वे वहां से भागने की फिराक में है.
दो दिन में अफगानिस्तान में कितना अंतर आया है यह इन दो तस्वीरों से समझा जा सकता है. इन तस्वीर में दिखने वाली महिला का नाम क्लेरिसा वार्ड है. जो अमेरिकी मीडिया हाउस CNN की इंटरनेशनल चीफ रिपोर्टर हैं. बीफोर और ऑफ्टर वाली ये तस्वीरें काफी तेजी से वायरल हो रही है.
एक तस्वीर में US रिपोर्टर सामान्य कपड़ों में हैं तो दूसरी में हिजाब पहना हुआ है. लोगों ने इस तस्वीर के जरिए यह बताने की कोशिश की है कि तालिबान ने किस तरह अफगानिस्तान की महिलाओं को एक दिन में बदल दिया है. तालिबानी हुकूमत का असर दिखाने वाली इस तस्वीर को भले ही थोड़ा अलग तरीके से पेश किया गया हो लेकिन यह सच है कि वहां की महिलाओं की हालात अब बदतर होने वाली है. महिलाओं के होने या ना होने से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता.
अफगानिस्तान की महिलाओं के भविष्य की झलक इस तस्वीर में है!
तस्वीर के बारे में सीएनएन की टीवी रिपोर्टर क्लेरिसा वॉर्ड ने ट्वीट करके बताया है कि इसे गलत तरीके से पेश किया गया है. 'पहली फोटो प्राइवेट कंपाउंड के अंदर की और दूसरी फोटो तालिबान के कब्जे वाले काबुल की गलियों की है. मैं पहले भी जब भी काबुल की सड़कों पर रिपोर्टिंग करती थी तो हमेशा सिर पर स्कार्फ लगाती थी. हां यह सच है कि तब मैं अबाया नहीं पहनती थी. बेशक यहां बदलाव आया है, लेकिन जितना इस फोटो में दिखाया गया है वह अलग है.'
मतलब यह है कि क्लेरिसा वॉर्ड को स्कार्फ से अबाया तक के बदलाव को तो अपनाना ही पड़ा. दोनों में बहुत ही ज्यादा फर्क है. इन हालातों में जब क्लेरिसा अमेरिकी दूतावास के बाहर रिपोर्टिंग कर रही थीं. तब उन्होंने कहा था कि दो दिन पहले की तुलना में अब अफगानिस्तान की सड़कों पर महिलाएं बहुत कम नजर आ रही हैं. तालिबानी हुकूमत कायम होने के बाद महिलाएं ज्यादा पारंपरिक और दकियानूसी परिधानों में नजर आ रही हैं, जबकि पहले ऐसा तो नहीं था.
सामान्य भाषा में कहें तो तालिबान कट्टर इस्लाम में यकीन रखते हैं तो महिलाओं पर पाबंदियों की हिमायत तो करेंगे ही. इस बीच कुछ ऐसी तस्वीरें भी सामने आई जिसमें दुकानों के बाहर से महिलाओं की पोस्टरों को हटाया जा रहा था.
एक और तस्वीर आज सामने आई, जिसे टोलो न्यूज़ के प्रमुख मिराक़ा पोपल ने शेयर किया है. इस तस्वीर में एक महिला एंकर स्टू़डियो में तालिबान की मीडिया टीम के एक सदस्य का लाइव इंटरव्यू ले रही है. इस तस्वीर में महिला एंकर ने हिजाब पहन रखा था.
तालिबान भले ही यह कह रहा है कि हम महिलाओं की इज्जत करेंगे, उन्हें शिक्षा और काम करने की आजादी होगी लेकिन देखने में तो कुछ और ही सामने आ रहा है. ऐसी खबरें सामने आ रही हैं कि शहरों में लूटपाट जारी है. महिलाओं और बच्चियों को अगवा किया जा रहा है. लड़कियों की तालिबान के लड़ाकों से शादी कराकर पाकिस्तान भेजने की भी बात सामने आ रही हैं.
देखिए कुर्ता और स्कार्फ या दुप्ट्टे में नजर आने वाली क्लेरिसा की रिपोर्टिंग का पहनावा कितना बदल गया है. इसकी गवाही सामने वाला वीडियो है. जिस वीडियों में वे सिर से पैर तक बुरके में नजर आ रही हैं उसमें तालिबानी लड़ाके भी दिखाई दे रहे हैं. जो जीप में बैठकर ‘अमेरिका का खात्मा हो’ जैसी नारेबाजी कर रहे हैं.
This meme is inaccurate. The top photo is inside a private compound. The bottom is on the streets of Taliban held Kabul. I always wore a head scarf on the street in Kabul previously, though not w/ hair fully covered and abbaya. So there is a difference but not quite this stark. pic.twitter.com/BmIRFFSdSE
— Clarissa Ward (@clarissaward) August 16, 2021
असल में इससे पहले भी क्लेरिसा अफगानिस्तान में रिपोर्टिंग करती हुए नजर आ चुकी हैं लेकिन तब उन्होंने इतना पारंपरिक परिधान नहीं पहना था. हाल ही में 15 अगस्त को रिपोर्टिंग करते समय उन्होंने कुर्ता और दुपट्टा पहना था वहीं 16 अगस्त को रिपोर्टिंग करते समय वे हिजाब में नजर आईं. अब कहने और सुनने को बचा क्या है, समझने वालों के लिए अफगानिस्तान से आने वाली तस्वीरें ही काफी हैं. वे खुद अपनी कहानी कह रही हैं.
पिछले 20 सालों से महिलाओं ने लोकतंत्र की बहाली के लिए बहुत कोशिशें की लेकिन अब सब पर पानी फिर गया. महिलाओं की जिंदगी कैसी होगी, यह सब कुछ इस्लामिक कानून, धार्मिक फॉरम और कोर्ट तय करेंगे. सब शरीयत के सिद्धांतों के हिसाब से तय होगा...अब आप कल्पना कीजिए कि उनकी जिंदगी कैसी होगी...वैसे समझ तो आ ही गया है!
Courage https://t.co/tRH23S1r3r
— Clarissa Ward (@clarissaward) August 17, 2021
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