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समाज
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एक अलग नज़रिया
| 3-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
अफगानिस्तान में बुर्के का दाम छू रहा आसमान, जींस पहनने पर बंदूक की नोक से पिटाई कर रहे तालिबानी
अफगानिस्तान में अब आलम यह है कि बुर्के के दाम कहीं कहीं दो गुना तो कहीं 10 गुना बढ़ गए हैं. वहीं जींस पहनने वाले लोगों को बंदूक की नोक से पीटा जा रहा है. तालिबानी जींस को पश्चिमी पहनावा मानते हैं जबकि वे खुद आंखों पर चश्मा और पैरों में बूट पहने नजर आ रहे हैं.
समाज
| 2-मिनट में पढ़ें
रीवा सिंह
@riwadivya
Press Conference ने बता दिया तालिबान बदल चुका है, अब ये और शातिर है...
नये तालिबान को पता है कि कब कैमरे पर आना है, कब ऑफ़ करना है. नया तालिबान जितना उन मासूमों की ज़िंदगी से खेल रहा है उतना ही उन लोगों के दिमाग से जो दूर बैठे चार सुर्खियां पढ़कर निर्णय बना लेते हैं.
सिनेमा
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एक अलग नज़रिया
| 4-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
भारतीय फिल्मों से अफगानिस्तान को मोहबब्त है, ‘खुदागवाह’ है जो 10 हफ्ते तक हाउसफुल चली थी
तालिबान के आने के बाद एक बार फिर अफगानिस्तान कबीलाई दौर में पहुंच सकता है. शायद फिल्म देखने पर दोबोरा रोक लगा दी जाए लेकिन जिन अफगानिस्तानियों के दिलों में हिंदी सिनेमा से प्यार है उसे कोई कैसे खत्म कर पाएगा...
सियासत
| 6-मिनट में पढ़ें
देवेश त्रिपाठी
@devesh.r.tripathi
Taliban 2.0: तालिबान बदल गया है लेकिन 'टर्म्स एंड कंडीशंस' के साथ
अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद तालिबान ने पहली बार प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिये देश-दुनिया को लेकर अपनी रणनीति, महिलाओं के अधिकारों जैसे मामलों पर अपना रोडमैप दुनिया के सामने रखा. तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने दुनिया के सामने कई बड़े-बड़े वादे किए.
समाज
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एक अलग नज़रिया
| 4-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
काबुल में CNN की रिपोर्टर का हुलिया एक दिन में बदला, समझ लीजिए बाकी अफगान महिलाओं का हश्र
पहले की तुलना में अब अफगानिस्तान की सड़कों पर महिलाएं बहुत कम नजर आ रही हैं. तालिबानी हुकूमत कायम होने के बाद महिलाएं ज्यादा पारंपरिक और दकियानूसी परिधानों में नजर आ रही हैं, जबकि पहले ऐसा तो नहीं था.
संस्कृति
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एक अलग नज़रिया
| 2-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
अफगानिस्तान के आखिरी मंदिर के आखिरी पुजारी की आखिरी ख्वाहिश
हम जिसकी बात कर रहे हैं वो रतननाथ मंदिर के पुजारी पंडित राजेश कुमार हैं. जिन्होंने काबुल छोड़ने से इनकार कर दिया है. पंडित राजेश कुमार का कहना है कि जान बचाकर भागने से अच्छा है कि मैं अपने भगवान के लिए समर्पित हो जाऊं और यहीं जान दे दूं.
समाज
| 6-मिनट में पढ़ें
देवेश त्रिपाठी
@devesh.r.tripathi
तालिबान का अफगान महिलाओं के लिए रोंगटे खड़े करने वाला फरमान, बनाई जा रही है एक लिस्ट
तालिबान के कब्जे वाले इलाकों में तालिबान कल्चरल कमीशन ने इमामों और मौलवियों को 15 साल से ज्यादा उम्र की लड़कियों और 45 साल से कम उम्र की विधवा महिलाओं की लिस्ट बनाकर देने का आदेश दिया था. पत्र में कहा गया था कि इन महिलाओं और लड़कियों की शादी तालिबानी लड़ाकों से कराकर उन्हें पाकिस्तान के वजीरिस्तान ले जाया जाएगा.
समाज
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एक अलग नज़रिया
| 4-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
अफगानिस्तान के लोगों ने इस्लामिक देशों को छोड़ भारत आना ही क्यों चुना?
हम कह सकत हैं कि भारत के वे लोग जो तालीबान का समर्थन कर रहे हैं उनमें और तालिबानियों में कोई अंतर नहीं हैं. ऐसे लोगों को तो सीख लेनी चाहिए कि कैसे कट्टरता किसी देश को दशकों पीछे ले जाती है और यह हम सभी देख रहे हैं. भाग्य मनाइए कि हम भारत में पैदा हुए हैं, कुछ लोगों को यहां रहना सुरक्षित नहीं लगता, उन्हें सबक लेना चाहिए.
सोशल मीडिया
| 6-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
तालिबान की आमद पर सुकून दर्शाने वाले भारतीय मुसलमान तरस के काबिल हैं!
भारतीय मुसलमानों का एक बड़ा वर्ग दिल की गहराइयों से तालिबान के घिनौने कृत्य का समर्थन कर रहा है. भारत में तालिबान समर्थक उम्मीद की किरण लिए हुए उनकी तरफ देख रहे हैं. भारतीय मुसलमानों को लग रहा है कि बस कुछ घंटे और है फिर निजाम-ए-मुहम्मदी अफगानिस्तान पर तारी हो जाएगा और आतंक से जूझते तालिबान के अच्छे दिन आ जाएंगे.