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Updated: 24 सितम्बर, 2016 06:25 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
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एक घिनौनी हरकत जिसे सुनकर आप शायद यकीन नहीं कर पाएंगे. लुधियाना के जगरांव में पति पत्नी और उनकी 13 साल की बेटी रात के खाने के बाद टहलने निकले. करीब 10.30 बज रहा था, चलते-चलते पति पीछे रह गया, जबकि महिला बेटी के साथ आगे निकल गई. रास्ते में तीन यवकों ने उसे घेर लिया. महिला के साथ अश्लील हरकतें कीं और बेशर्मी की हद पार करते हुए एक व्यक्ति ने महिला को निर्वस्त्र कर दिया.

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13 साल की बेटी के सामने ही महिला के साथ अश्लील हरकतें कीं और निर्वस्त्र किया गया

इतना ही नहीं महिला का ये हाल करके सारे युवक बेशर्मी से तालियां और सीटियां बजाते रहे. इस घटना में जो बात सबसे अजीब है वो ये कि ये सब इन लड़कों ने केवल 8000 रुपए की शर्त के लिए किया. फिलहाल इनमें से एक पकड़ा गया है.

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दूसरी खबर राजस्थान की, ये घटना अभी नहीं घटी, बल्कि सदियों से घट रही है. राजस्थान सदियों से बाल विवाह की कुप्रथा का गवाह रहा है. इसे रीति और रिवाजों का जामा पहनाकर समाज इसे पोषित करता आ रहा है. जोधपुर के गांवों में रहने वाले बिश्नोई, जाट और कई अनुसूचित जातियों के समाज में अजीब मान्यता है, जिसका असर सीधा लड़कियों के जीवन पर पड़ता है.

यहां परिवार के किसी बुजुर्ग सदस्य की मृत्यु हो जाती है तो मत्यु होने पर परिवार की बेटी का विवाह कर दिया जाता है, चाहे उसकी उम्र कितनी भी हो. अगर परिवार में कोई बेटी नहीं है तो फिर नजदीकी रिश्तेदारी में किसी लड़की की शादी करा दी जाती है. किसी की मौत पर शादी कराना अपने आप में अजीब लगता है, लेकिन यहां सामाजिक मान्यता है कि मौत के गम को खत्म करने के लिए शादी सबसे अच्छा तरीका है. इसलिए किसी की मौत पर शादी होना तो तय है.

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 बुजुर्ग की मौत पर कर दी जाती है परिवार की बेटी की शादी

इसके साथ-साथ राजस्थान में सामूहिक विवाह का बहुत प्रचलन है. यहां अगर परिवार में किसी लड़की की शादी होती है, तो परिवार वाले लगे हाथों बाकी लड़कियों का ब्याह भी साथ ही करवा देते हैं, लड़की जब बड़ी हो जाती है तो उसे ससुराल भेज दिया जाता है. हैरानी होगी जानकर कि इस तरह के सामूहिक विवाह में दो महीने की बच्ची की भी शादी करवा दी जाती है. बाल विवाह अपराध है, लिहाजा इसकी खबर पुलिस और प्रशासन को न लगे, इसके लिए शहर से बाहर जाकर छोटी बच्चियों की शादी कराते हैं. विवाहित बच्चियों को सरकारी बाशिंदों की निगाहों से छिपा कर रखा जाता है.   

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तीसरी और सबसे हैरान करने वाली खबर दी है राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ने. एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक 2015 में बलात्कार के 95.5% दर्ज मामलों में आरोपी पीड़ित महिलाओं के परिचित ही थे. पिछले साल आईपीसी की धारा 376 के तहत बलात्कार के कुल 34,651 मामले दर्ज किए गए, जिनमें से 33,098 मामलों के आरोपी पीड़ित महिलाओं के परिचित थे, यानी हर 100 मामलों में से 95 में महिलाओं के जानने वालों ने ही बलात्कार किया. 488 मामलों में महिलाओं के साथ उनके दादा, पिता, भाई और बेटे ने कथित तौर पर बलात्कार किया, जबकि 891 प्रकरणों में उनके अन्य नजदीकी संबंधियों पर बलात्कार के आरोप लगे हैं.

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  बलात्कार के 95.5% मामलों में आरोपी पीड़ित महिलाओं के परिचित थे

ये तीनों खबरें समाज को खुद आइना दिखाती नजर आ रही हैं. ये वही समाज है जो महिलाओं के नाम के आगे देवी लगाकर उन्हें देवी का दर्जा देने का दम तो भरता है, वहीं चंद रुपयों की खातिर, मजे के लिए इन्हीं को सड़क पर नंगा भी कर देता है और उसपर ठहाके मारने में इन्हें जरा भी शर्म महसूस नहीं होती. ये वही समाज है जो बेटियों को बोझ समझता है, जो बेटियों को घर से जल्दी ब्याह कर ससुराल भेजने के लिए मौत के गम को भी भूल जाता है. कुरीतियों के बंधनों से खुद तो बंधा है और पीढ़ियों को भी सींच रहा है. ये वही समाज है जो महिलाओं के लिए नियम, कायदे बनाता है और खुद अपने ही घर की बच्चियों और महिलाओं पर बुरी नजर रखता है, उनका शोषण करता है. कैसे सुधरेगी महिलाओं की स्थिति, खुद विचार कीजिए.

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#महिलाएं, #समाज, #शोषण, Women, Society, Expolitation

लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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