Lockdown में दोस्त को सूटकेस में भरकर ले जाना कौन सी समझदारी है!
14 अप्रैल के पहले और बाद वाले लॉक डाउन (Lockdown part 2 vs Lockdown part 1) के फर्क का अंदाजा हमें मंगलौर (Mangalore) में हुई घटना को देखकर लग चुका है. हम भारत (India) से कोरोना वायरस ( Coronavirus) को तभी हटा पाएंगे जब हम लॉक डाउन 2 में उन गलतियों को न दोहराएं जो हमें लॉक डाउन 1 के दौरान की हैं.
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14 अप्रैल 2020.वो तारीख जब कोरोना वायरस (Coronavirus) से बचाव के लिए लगाया गया लॉकडाउन (Lockdown) खत्म होगा. जैसे हालात हैं और जिस तरह भारत में मौत का ग्राफ (Coronavirus Deaths In India) बढ़ रहा है फिलहाल देश की जनता को राहत मिलती दिखाई नहीं दे रही है. माना जा रहा है कि लॉकडाउन 1 (Lockdown part 1) के बाद लॉक डाउन 2 (Lockdown part 2) की स्क्रिप्ट भी सरकार की तरफ से लिख दी गई है जिसमें सावधानी और सख्ती को अहम रोल दिया गया है. बता दें कि अब तक भारत में कोरोना के 9152 मामले सामने आ चुके हैं. जबकि 308 लोग इस लाइलाज बीमारी के चलते अपनी जान से हाथ धो बैठे हैं. बीमारी से लेकर मौत तक जैसे आए रोज़ आंकड़े बढ़ रहे हैं, इस बात में संदेह की कोई गुंजाइश नहीं है कि Lockdown 2 में न सिर्फ कठोरता की संभावनाएं ज्यादा होंगी बल्कि तमाम चुनौतियां भी हमारे सामने होंगी जिनका सामना हमें हर हाल में करना है.
मन जा रहा है कि लॉक डाउन 2, लॉक डाउन 1 के मुकाबले कहीं ज्यादा जटिल है
लॉक डाउन 1 के मुकाबले लॉक डाउन 2 में व्यक्ति के सामने दिक्कत कैसी होगी? इसका अंदाजा कर्नाटक में हुई एक घटना से लगा सकते हैं. जिसमें एक छात्र को इसलिए पकड़ा गया, क्योंकि कोरोना संकट के मद्देनजर वो मना किये जाने के बावजूद अपने मित्र को अपने अपार्टमेंट में लाया और मित्र वहां तक आ जाए इसके लिए उसने सूटकेस का सहारा लिया. लेकिन अपनी एक छोटी सी नादानी के चलते छात्र पकड़ा गया.
मामला मंगलौर शहर का है जहां एक अपार्टमेंट परिसर में अपार्टमेंट असोशिएशन के लोगों ने एक छात्र को अपने दोस्त को सूटकेस में बंद कर अपार्टमेंट में घुसने की कोशिश करते पकड़ा गया. स्थानीय पुलिस के अनुसार कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए अपार्टमेंट असोशिएशन ने दोस्त को परिसर में आने की अनुमति नहीं दी. जिसके बाद उस छात्र ने यह अजीब तरीका अपनाया.
बताया जा रहा है कि लोगों को सूटकेस में हरकत होती दिखी जो उन्हें अजीब लगा और उनका संदेह गहराता गया बाद में जब जांच हुई तो सूटकेस में छात्र का दोस्त पाया गया. जिसके बाद अपार्टमेंट के लोगों ने दोनों ही युवकों को पुलिस के हवाले कर दिया. इस मामले को अगर ध्यान से देखें तो मिल रहा है कि यहां पुलिस बाद में आई है पहले अपार्टमेंट के लोग ख़ुद सामने आए हैं यानी कहीं न कहीं लोग खुद कोरोना जैसी खौफनाक बीमारी के प्रति गंभीर हुए हैं और आगे बढ़कर एक दूसरे की जान बचाने के लिए सामने आए हैं.
मंगलौर में हुए इस मामले के दूसरे पक्ष को देखें तो मिलता है कि जहां लोगों ने अपनी सुरक्षा के लिए अपने अपार्टमेंट में रहने वाले छात्र की भी परवाह नहीं की यानी लॉक डाउन 2 के इस दौर में लोगों का डर साफ तौर पर देखा जा सकता है. मंगलौर में हुई इस घटना के बाद इतना तो तय माना जा रहा है कि लॉक डाउन 2 ज्यादा खरतनाक भी है और हमें भी इसके प्रति गंभीर रहने की ज़रूरत है.
गौरतलब है कि कोरोना वायरस के मद्देनजर जिस वक्त देश मे पहले 21 दिनों के लॉक डाउन की घोषणा हुई न तो कोई इस बीमारी के विषय में जानता था. न ही हमारे देश की सरकार ने बीमारी की गंभीरता के बारे में सोचा था. बात अगर लोगों की हो तो इस दौरान लोगों ने भी खूब लापरवाही की. चाहे वो बेवजह सड़कों पर घूमने वाले लोग रहे हों. या फिर दिल्ली स्थित निज़ामुद्दीन मरकज़ में हुआ तब्लीगी जमात का प्रोग्राम .पलायन करते मजदूरों से लेकर विदेश से आकर अपनी ट्रेवल हिस्ट्री छुपाने वाले लोगों तक ने जमकर उत्पात मचाया और आज नतीजा हमारे सामने है.
लॉकडाउन के चलते बंद दुकानों के बाहर बैठे मजदूर
आज जिस तेजी से बीमारी फैल रही है इसको नियंत्रित तभी किया जा सकता है जब लॉक डाउन 1 की ही तरह लॉक डाउन 2 को प्रभावी ढ़ंग से न सिर्फ लागू कराया जाए बल्कि सख्ती भी बरती जाए. बाक़ी लॉक डाउन 2 की बात चल रही है तो हमारे लिए ये बताना भी बहुत ज़रूरी है कि ये लोगों पर इसलिए भी भारी पड़ने वाला है क्योंकि अब इसका सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाला है जिसका असर कहीं ज्यादा खतरनाक होने वाला है.
बात सीधी और साफ है पहले लॉक डाउन में हम खूब मौज मस्ती कर चुके हैं. थाली बजा चुके हैं दीप जला चुके हैं. अब जबकि लॉक डाउन 2 शुरू होने वाला है हमें तमाम तरह की चीजों के लिए तैयार हो जाना चाहिए. ऐसा इसलिए क्यों कि आने वाले वक्त में चुनौतियां तमाम हैं और इनसे हम तभी निपट पाएंगे जब हम समझदारी सूझ बूझ और सावधानी से काम लें.
बहरहाल लॉक डाउन 2 के बाद भारत से कोरोना वायरस जाता है. या फिर लोग और ज्यादा इसकी चपेट में आएंगे> इसका फैसला वक़्त करेगा. लेकिन जो वर्तमान है उसमें किसी तरह की चूक को बर्दाश्त करने की गुंजाइश नहीं है. बीमारी से बचने का एक मात्र तरीका सावधानी है. तो बस अब वो वक़्त आ गया है जब सावधानी से काम लेना चाहिए ताकि इस बीमारी को जल्द से जल्द दूर किया जा सके. अंत में बस इतना ही कि वक़्त जटिल है. इसलिए लोगों को तैयार रहना चाहिए.
आने वाले समय में हम ऐसा बहुत कुछ देखने वाले हैं जिसकी कल्पना हमने शायद ही कभी ही हो. कह सकते हैं कि चुनौती का सामना हम तभी कर सके हैं या फिर कुदरत से ये लड़ाई हम तभी जीत सकते हैं जब हम मानसिक रूप से तैयार हों. लॉक डाउन 2 जटिल है. लेकिन अगर हमने दिमाग के अलावा संयम से काम लिया तो हम बहुत कुछ ऐसा हासिल कर सकते हैं जो हमारे आने वाले भविष्य के लिए सुखद होगा.
हम बार बार इस बात को दोहरा रहे हैं समय मुश्किल है तो क्या हुआ अगर हम सब साथ आ गए और लापरवाही को दरकिनार कर सूझ बूझ से काम लिया तो हम ऐसा बहुत कुछ कर लें जाएंगे जो इतिहास में याद करा जाएगा.
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