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Updated: 13 अप्रिल, 2020 11:47 AM
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21 दिनों के लिए मौजूदा लॉकडाउन 14 अप्रैल को खत्म हो रहा है. फिलहाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और उनके सलाहकारों की टीम लाकडाउन को आगे बढ़ाने (What is Lockdown Part 2 plan in India) के मुद्दे पर बहुत ही गंभीरता से विचार कर रही है. औपचारिक घोषणा प्रधानमंत्री मोदी करने वाले हैं और उसी का हर किसी को इंतजार है. प्रधानमंत्री मोदी जब घोषणा करेंगे तब करें, कई राज्य सरकारों ने तो राज्यों में पहले से ही कोरोना वायरस (Coronavirus) के खतरे के मद्देनजर लॉकडाउन की मियाद बढ़ा दी है - और इसीलिए सवाल उठता है कि प्रधानमंत्री मोदी के नये भाषण में तारीख की औपचारिक जानकारी के अलावा और क्या क्या हो सकता है?

मोदी नया क्या कहेंगे?

लग तो यही रहा है कि जो कुछ कहना है प्रधानमंत्री मोदी पहले ही संकेत दे चुके हैं और ये संकेत उनके नये स्लोगन के जरिय समझने की कोशिश हो रही है - जान भी, जहान भी.

देश भर के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग में प्रधानमंत्री मोदी का इस स्लोगन पर खासा जोर दिखा. पहले वो कहा करते रहे कि 'जान है तो जहान है', अब वो इससे आगे बढ़ने की बात कर रहे हैं - यानी सारा जोर जान बचाने पर ही नहीं रखना है, जहान बचाना भी बहुत जरूरी हो गया है और उसके लिए कमर कस लेनी चाहिये.

फिर तो मान कर चला जाना चाहिये कि प्रधानमंत्री जो कुछ भी कहेंगे वो 'जान और जहान' के इर्द-गिर्द ही घूमता हुआ होगा. लॉकडाउन 1 के फैसले को लेकर मोदी सरकार विपक्ष के निशाने पर रही है. लॉकडाउन लागू किये जाने पर कांग्रेस ने स्वागत भी किया था और समर्थन भी जताया था, लेकिन फिर सोनिया गांधी, राहुल गांधी और पी. चिदंबरम ने सवाल उठाने भी शुरू कर दिये - बगैर तैयारी के लॉकडाउन लागू कर दिया गया और ट्विटर पर #LockdownWithoutPlan भी ट्रेंड करता रहा है.

भीलवाड़ा के कलेक्टर से जब तैयारियों के बारे में पूछा गया तो राजेंद्र भट्ट ने बताया कि पूरे जिले में कर्फ्यू लागू करने से पहले वो दूध और जरूरी चीजों की आवश्यकता का आकलन कराये थे - क्योंकि उन्हें समझना था कि डिमांड और सप्लाई किस तरीके के हैं. दरअसल, लंबे समय तक कोआपरेटिव क्षेत्र में काम करने के कारण वो इस चीज को बारीकी से समझ रहे थे - और उनका यही अनुभव देश के सामने भीलवाड़ा मॉडल बन कर आया है.

हाल ही में इंडिया टुडे से बातचीत में जाने माने पत्रकार पी. साईनाथ ने निकट भविष्य में ही पलायन के शिकार लोगों के सामने जल संकट की समस्या को लेकर आशंका जतायी है. सोचिये, अगर ऐसा हुआ तो बार बार हाथ धोने के लिए उनके पास पानी कहां से आएगा - और फिर कोरोना वायरस के खिलाफ जंग कैसे लड़ी जा सकेगी. निश्चित तौर पर लॉकडाउन लागू कर दिये जाने के बाद जैसे जैसे चुनौतियां सामने आ रही होंगी, प्रधानमंत्री मोदी और उनकी टीम उनके बारे में सोच और समझ रही होगी - और आगे के लिए नये सिरे से रणनीति भी तैयार कर रही होगी.

narendra modiलॉकडाउन 2 में क्या है खास?

सीनियर पत्रकार आर. जगन्नाथन की राय में तो प्रधानमंत्री मोदी को लॉकडाउन बढ़ाना ही नहीं चाहिये - क्योंकि ऐसा किये जाने पर पहले से ही वेंटिलेटर पर चली आ रही देश की अर्थव्यवस्था को हर सांस के लिए जूझना पड़ सकता है. आर. जगन्नाथन लिखते हैं, जैसे स्वस्थ शरीर के लिए सही एंटीडोट जरूरी होता है, कोविड 19 के लिए सही एंटीडोट ही स्वस्थ इकनॉमी के लिए आवश्यक है - एंटीडोट वो होता है जो स्वस्थ शरीर पर किसी भी बाहरी आक्रमण से लड़ता है.

आर. जगन्नाथन की दलील है वर्क-फ्रॉम-होम की स्थिति में ड्राइवर कौन रखेगा - और यही हाल घरेलू नौकर और मेड का भी होने वाला है क्योंकि उनके लिए दोबारा काम पाना भी मुश्किलभरा हो सकता है. जगन्नाथन को लगता है काम देने वाले एम्प्लॉयर भी लोगों की जगह मशीनों और ऑटोमेशन को तरजीह देंगे - क्योंकि अब तक ऐसा ही होता आया है.

ऐसे में लगता है कि 'जान भी और जहान भी' फॉर्मूले के जरिये ऐसे सारे सवालों के जवाब देने की कोशिश होगी. क्योंकि एक दिन के जनता कर्फ्यू के बाद लॉकडाउन तो लागू कर दिया गया और अगले ही दिन से तमाम राज्यों में दिहाड़ी मजदूरों का पलायन शुरू हो गया. लोग सड़कों पर निकल आये और पैदल ही अपने घरों की तरफ चल दिये. हो सकता है इसके पीछे राजनीति भी रही हो, लेकिन जो सच सामने आया उसे ढका तो जा सकता नहीं. ऐसे लोग आज भी जहां तहां राहत शिविरों में या फिर घर भी पहुंचे हैं तो उनके सामने जीवन की बाकी जरूरतें कौन कहे, भूख का संघर्ष शुरू हो गया है. ये तो है कि सरकारी तौर पर भी और स्वयंसेवी लोगों की तरफ से खाने के पैकेट पहुंचाये जा रहे हैं और कम्युनिटी किचेन भी चलाये जा रहे हैं - लेकिन जगह जगह से छीनाझपटी की भी तो खबरें आ ही रही हैं.

फिर तो मान कर चलिये पहला लॉकडाउन 'जान बचाने के लिए' लागू किया गया और अब दूसरा वाला 'जहान को बनाये रखने के लिए' होगा.

14 अप्रैल के बाद क्या होगा?

प्रधानमंत्री के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान ज्यादातर मुख्यमंत्री लॉकडाउन बढ़ाने की बात कर रहे थे, लेकिन आंध्र प्रदेश के सीएम जगनमोहन रेड्डी की राय सबसे अलग नजर आयी. दरअसल, जगनमोहन रेड्डी संपूर्ण लॉकडाउन के पक्ष में नहीं हैं - बल्कि वो लॉकडॉउन 2 में सिर्फ कस्टोमाइज्ड पैकेज चाहते हैं. मतलब, सिर्फ उतना ही लॉकडाउन लागू हो जितनी जहां भी जरूरत हो. अब सवाल है कि सारे मुख्यमंत्री एक तरफ और जगनमोहन रेड्डी एक तरफ क्यों हैं? क्या जगनमोहन रेड्डी को संपूर्ण लॉकडाउन से कोई दिक्कत है जो बाकियों को नहीं है?

देखा जाये तो जगनमोहन रेड्डी के आइडिया में चुनौतियां ज्यादा हैं - और लागू करने में कुछ हद तक जोखिम भी है. ये जोखिम जान और जहाने से कहीं आगे राजनीतिक लगती है. अगर कहीं, किसी खास इलाके में लॉकडाउन सही तरीके से लागू नहीं हुआ तो सारा दोष संबंधित राज्य सरकार के मत्थे आ जाएगा - फिर राजनीति शुरू होगी. विपक्ष सत्ता पक्ष को घेर लेगा. अब बाकी सब तो चलेगा भी, लेकिन राजनीतिक तौर पर जोखिम कौन उठाना चाहेगा.

संपूर्ण लॉकडाउन लागू करना तुलनात्मक तौर पर काफी आसान है. एक आदेश के तहत एक खास गाइडलाइन होती है जिस पर सभी को अमल करना होता है. बस झंझट खत्म समझो. प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्रियों की वीडियो कांफ्रेंसिंग से छन छन कर जो कुछ आ रहा है, साथ ही, सूत्रों और जानकारों की राय के साथ जो स्थितियां बन रही हैं - ऐसा लगता है कि लॉकडाउन 2 पहले की तुलना में काफी अलग हो सकता है.

1. कलर जोन का बंटवारा: जिस तरह मुख्यमंत्रियों के साथ पिछली बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने उद्धव ठाकरे का ये सुझाव मान लिया था कि लॉकडाउन और सोशल डिस्टैंसिंग को लागू करने में धर्मगुरुओं की मदद लेनी चाहिये, इस बार जगनमोहन रेड्डी के सुझाव माने जा सकते हैं - लॉकडाउन 2 के दौरान कोरोना वायरस के खतरे के स्तर के हिसाब से देश को तीन सेक्टर में बांटा जा सकता है - रेड, येलो या ऑरेंज और ग्रीन. जिस हिस्से में कोरोना वायरस का कोई केस नहीं आया हो या एक खास अंतराल में कोई नया केस न आया हो उसे ग्रीन जोन में रखा जा सकता है. जहां खतरा मौजूद हो लेकिन सुधार के लक्षण भी नजर आ रहे हों उसे येलो या ऑरेंज जोन में रखा जा सकता है - और जहां कहीं भी सबसे ज्यादा खतरा नजर आ रहा हो वो स्वाभाविक तौर पर रेड जोन में आएगा.

रेड जोन वैसे इलाके हो सकते हैं जिनको हॉट-स्पॉट की कैटेगरी में रखा गया है और उसे पूरी तरह सील कर दिया गया है. कई राज्यों में पहले से ही ये व्यवस्था अप्रैल के आखिर तक लागू की जा चुकी है.

2. काम-धाम कैसे और कैसा होगा: ग्रीन सेक्टर में कुछ एहतियाती उपायों के साथ कारोबारी गतिविधियों को आम दिनों की तरह धीरे धीरे पटरी पर लाने की कोशिश हो सकती है. ऐसी जगहों पर सरकारी दफ्तरों में पहले की तरह कामकाज शुरू करने की कोशिश की जा सकती है - और स्थानीय स्तर पर कारोबारी गतिविधियों को सपोर्ट करने के भी सरकारी तौर पर प्रयास हो सकते हैं.

3. मेक इन इंडिया के अवसर बढ़ सकते हैं: प्रधानमंत्री मोदी का कहना है कि ये संकट आत्मनिर्भर बनने और राष्ट्र को आर्थिकि महाशक्ति बनाने का अवसर है. मोदी की इस बात में मेक इन इंडिया को प्रमोट करने के संकेत मिलते हैं. वैसे भी चीन में तबाही के चलते वहां से आने वाले सामानों की आपूर्ति पहले से ही ठप हो चुकी है - और स्थिति सुधरने में भी लंबा वक्त लग सकता है. ऐसे में जरूरी सामानों को स्थानीय स्तर पर बनाने और उनको उपयोग में लाये जाने की कोशिशें हो सकती हैं. सबसे पहले ये काम ग्रीन जोन में शुरू किये जा सकते हैं.

4. अन्नदाता को सपोर्ट मिल सकता है: प्रधानमंत्री मोदी ने ही ये भी कहा है कि किसानों की मदद से ही देश स्वस्थ और समृद्ध बन सकता है - और इसके लिए प्रधानमंत्री ने कृषि उपज के डायरेक्ट मार्केटिंग को प्रोत्साहित करने का सुझाव दिया है - मान कर चलना होगा, लॉकडाउन 2 में ऐसी चीजों को बढ़ावा मिलने जा रहा है.

5. छोटे उद्योगों को बढ़ावा: हाल ही में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने एमएसएमई मंत्रालय के अफसरों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग में लॉकडाउन के दौरान सूक्ष्म, लघु, और मध्यम उद्योगों को जारी रखने के लिए एक्शन प्लान तैयार करने को कहा था - ऐसा लगता है लॉकडाउन 2 में ऐसी कोई चीज भी देखने को मिल सकती है.

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