Lockdown खोलने से पहले PM Modi एक वॉर्म-अप टास्क जरूर दें
कोरोना वायरस (Coronavirus) को लेकर लॉकडाउन (Lockdown) हटाये जाने के हर पहलू पर गौर किया जा रहा है. मंत्री समूह की भी सिफारिशें हैं और विशेषज्ञों के भी - लेकिन उन सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को लोगों को मानसिक तौर पर तैयार करना जरूरी हो गया है.
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कोरोना वायरस (Coronavirus) के जरिये आयी महामारी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi)की अपील पर लोगों ने पहली बार एक साथ खड़े होकर ताली और थाली बजायी - ये स्टैंड अप मोड था. दूसरी बार सभी ने एक साथ दीये जलाये - ये लाइट अप मोड था. कोराना महामारी से जारी जंग में अब तक प्रधानमंत्री मोदी देश के लोगों को दो टास्क दे चुके हैं और दोनों ही सफलतापूर्वक सम्पन्न भी हो चुके हैं. अब तीसरे टास्क की बारी है और बीच बीच में लोग इसे लेकर अपनी भावनाएं भी सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं.
सवाल है कि लॉकडाउन (Lockdown) हटाने का फैसला लेने से पहले प्रधानमंत्री मोदी को कैसा टास्क देना चाहिये?
एक वॉर्म-अप सेशन की सख्त जरूरत है
देखा जाये तो पहला टास्क जनता कर्फ्यू के दौरान लोगों को लॉकडाउन के लिए मानसिक तौर पर तैयार करना था. दूसरा टास्क लॉकडाउन के दौरान लोगों का मनोबल बनाये रखने के लिए रहा होगा - अब तीसरा टास्क लॉकडाउन खत्म करने के लिए लोगों को मानसिक रूप से तैयार करने का मकसद लिये हुए होना चाहिये, ऐसा लगता है. यही वक्त की मांग भी है.
केंद्र की मोदी सरकार का मंत्री-समूह और अपने अपने स्तर पर राज्य सरकारें प्रधानमंत्री मोदी के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के बाद से ही लॉकडाउन खोलने की तैयारियों में जुटी हैं, लेकिन स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कोई भी मुख्यमंत्री जोखिम मोल लेने के लिए तैयार नहीं नजर आ रहा. बीच बीच में राजनीति भी चलती आ रही है. खासकर उन राज्यों में जहां गैर-बीजेपी सरकारें हैं. मौका देख कर बहते पानी में कांग्रेस नेतृत्व भी हाथ धो ले रहा है - बीजेपी का आईटी सेल भी.
वस्तुस्थिति ये है कि जागरुकता के तमाम उपायों के बावजूद व्हाट्सऐप पर फालतू के नुस्खे और इधर की बातें धड़ल्ले से उधर बढ़ा दी जा रही हैं - और ये समस्या दुनिया के किसी एक हिस्से में नहीं है, बल्कि हर तरफ एक जैसी ही अंधेरगर्दी मची हुई है. तभी तो व्हाट्सऐप मैसेज को बार बार फॉर्वर्ड किये जाने से रोकने के उपाय करने पड़ रहे हैं.
प्रधानमंत्री मोदी चाहें तो एक संदेश में लोगों से इस पर चर्चा कर सबको समझा सकते हैं - क्योंकि उनकी अपील सबसे ज्यादा असरदार होती है.
तीसरे टास्क का आइडिया क्या है?
एक्सपर्ट का कहना है कि लॉकडाउन हटाये जाने के बाद कोरोना वायरस के संक्रमण में अचानक इजाफा होने की आशंका रहती है. अगर ऐसा हुआ तो ये महामारी बेकाबू और पहले के मुकाबले बहुत ज्यादा खतरनाक स्वरूप दिखा सकती है. बात सिर्फ एक बार की ही तो है नहीं. विशेषज्ञ बताते हैं कि कोविड-19 भी मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियों की तरह हर साल वापसी कर सकती है - ऐसे में पूरी तरह पीछा छुड़ाने के लिए सतत जांच, कारगर इलाज और हर जरूरी एहतियात बरतना ही होगा जो हमेशा और हर मामले में चुनौती ही रही है.
जैसे प्रधानमंत्री मोदी अब तक सोशल डिस्टैंसिंग की अहमियत और लॉकडाउन के दौरान लक्ष्मण रेखा को हर हाल में मानने की बात समझाते रहे हैं - लॉकडाउन हटाने से पहले लोगों से संवाद कर छोटी छोटी चींजों पर रोशनी डाल कर बारीकियों को बेहतर तरीके से ब्रीफ कर सकते हैं.
फायदा ये होगा कि लोग लॉकडाउन हटाये जाने के बाद की स्थिति के मुकाबले के लिए पहले से ही मानसिक तौर पर तैयार हो चुके होंगे - और अगर ऐसा वास्तव में हो गया, फिर तो कोरोना क्या किसी भी महामारी या समाज और देश के सामने खड़ी चुनौती को चलते-फिरते मात दी जा सकती है.
आखिर ये बात भी तो प्रधानमंत्री मोदी खुद ही कहते हैं - मोदी है तो मुमकिन है. जैसे चुनावी रैलियों में प्रधानमंत्री वोट के लिए अपनी सरकार की उपलब्धियों और विरोधियों से देश के लिए खतरे की बात समझाते रहे, जैसे संसद में भी आने वाले चुनावों पर फोकस कर लोगों को आगाह करते रहे - एक बार वैसे ही प्रयोग फिर से दोहराया जाना चाहिये. लोग अब तक तो मोदी की बात तो मानते ही आये हैं - चाहे वो आम चुनाव हो, जनता कर्फ्यू हो या फिर कोरोना के खिलाफ दीया जलाने की बात हो. ये ठीक है कि मोदी की बात न मानने के उदाहरण भी मिलेंगे - हाल के विधानसभा चुनाव. आखिर में दिल्ली वाला भी. अब कुछ तो लोग ऐसे होंगे ही. आखिर तब्लीगी जमात के लोगों तक प्रधानमंत्री मोदी की अपील नहीं पहुंच रही होगी क्या? वो भी तब जब सबके साथ और सबके विकास में सबका विश्वास भी पहले ही ही जोड़ा जा चुका है.
लॉकडाउन खोलने के लिए वॉर्म अप सेशन कभी भी दिया जा सकता है. भले ही ये 8 बजे हो या 9 बजे या फिर सबकी सुविधा से 10 या 11 बजे जिस पर भी आम राय जैसी गुंजाइश लगती हो - प्रधानमंत्री को एक एक संदेश जरूर देना चाहिये - बेहतर होगा इस बार वीडियो मैसेज की जगह राष्ट्र के नाम संबोधन लाइव रखें. और भी अच्छा होता जब वो एक बार सबके साथ ही वीडियो कांफ्रेंसिंग कर लेते - और सवालों के जवाब में समझा देते कि लोग ऐसा करके दिखायें तो लॉकडाउन खत्म करने का विचार तेजी से किया जा सकता है.
वॉर्म-अप के बाद चलेगा, बल्कि दौड़ेगा भी
कोरोना वायरस को लेकर दुनिया के अलग अलग कोने से आ रही रिपोर्ट बताती है कि ये महामारी अक्सर परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों, पड़ोसियों और दूसरे साथियों के क्लस्टर को आसानी से टारगेट कर संक्रमण का शिकार बनाती है. चीन के मामले में मालूम हुआ है कि 80 फीसदी ट्रांसमिशन परिवारों में हुआ है - आपसी संपर्क से. भारत में तो तब्लीगी जमात सबसे बड़ी मिसाल है. दिल्ली में निजामुद्दीन मरकज में जो क्लस्टर बना उसका बीमारी फैलाने में सबसे ज्यादा योगदान देखा गया है - और ये स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी स्वीकार किया है.
प्रतिरोधक क्षमता कम होने के चलते बुजुर्ग सॉफ्ट टारगेट बनते हैं और बच्चों के लिए भी खतरनाक होता है. वैसे धीरे धीरे ये तस्वीर भी साफ होती जा रही है कि महामारी किसी को भी चपेट में लेने के लिए उम्र की मोहताज नहीं है. भारत में तो ये भी देखा जा चुके है कि 80 पार कर चुके लोग भी कोरोना को शिकस्त दे चुके हैं.
अगर कोरोना महामारी के खतरे को ठीक से समझ लिया. ठीक से मतलब, जैसे उड़ानों में ऑक्सीजन मास्क को लेकर दूसरों की मदद से पहले खुद पहनने की सलाह दी जाती है. कोरोना के मामले में खुद सुरक्षित होना का सीधा फायदा है कि वो आस-पास के सभी लोगों को अपनेआप ही सुरक्षित कर रहा है. आखिर सोशल डिस्टैंसिंह और तमाम एहतियाती उपायों में यही तो बताया जा रहा है.
अगर लोग ये समझ लें कि सोशल डिस्टैंसिंग और मास्क पहनना भी बाइक चलाते समय हेल्मेट और कार चलाते वक्त सीट बेल्ट लगाने जैसा ही है, न कि पुलिस के चालान से बचने का कोई तरीका है फिर तो सारी मुश्किल ही खत्म हो जाएगी - लेकिन लोगों में ऐसा समझ आये बगैर लॉकडाउन हटाना डबल मुसीबत को दावत देने जैसा ही हो सकता है.
अब सवाल ये उठता है कि लॉकडाउन कब खत्म किया जाना चाहिये?
सीधा सा और बहुत ही आसान जवाब है - जब लोग पूरी तरह तैयार हो जायें!
AEI - ये अमेरिकी संस्था पब्लिक पॉलिसी पर शोध करती है - अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टिट्यूट. अमेरिकी इंस्टिट्यूट ने ऐसी चार संभावित परिस्थियां बतायी हैं जिन पर गौर करने के बाद किसी भी देश के लिए लॉकडाउन हटाने का फैसला लेने या लागू की गयीं दूसरी पाबंदियां हटाने में मदद मिल सकती है.
1. सबसे पहले तो 14 दिन की अवधि में लोगों के संक्रमित होने वाली संख्या में कमी दर्ज की जा रही हो.
2. हर मरीज के इलाज की पूरी सुविधा हो - जिसके लिए सुविधाओं वाले अस्पताल, आइसोलेशन वार्ड, जरूरी दवाएं और वेंटिलेटर की कमी जैसी कोई मुश्किल न हो.
3. देश में कोरोना के संभावित संक्रमण के शिकार व्यक्ति की जांच कराये जाने की सुविधा संभव हो.
4. संक्रमित लोगों की गतिविधियों और उनके संपर्क में आने वाले लोगों को हर वक्त ट्रैक किये जाने के पूरे इंतजाम किये जा चुके हों.
स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों को देखें तो हर 24 घंटे में जो संख्या पहले 100 फिर 500 हुआ करती रही, भारत में धीरे धीरे 700 का नंबर पार करने लगी है - और दो महीने होते होते संक्रमित लोगों की तादाद भी 5 हजार के ऊपर पहुंच चुकी है.
1. पहली बार भारत में कोरोना वायरस से संक्रमण की पुष्टि 30 जनवरी को हुई थी - अब तब देश में कोविड-19 मरीजों की संख्या 5 हजार से ज्यादा पहुंच चुकी है.
2. अमेरिका में दो महीने होते होते संक्रमित लोगों की संख्या 20 हजार से कम रही.
3. इटली दो महीने से पहले ही कोरोना वायरस के संक्रमण के शिकार लोगों की संख्या 1 लाख पार गयी थी.
4. ब्रिटेन में दो महीने में कोरोना के शिकार 25 हजार से ज्यादा लोग हो चुके थे - और उनमें प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन भी हैं जो फिलहाल ICU में हैं.
5. फ्रांस दो महीने में 14,459 केस दर्ज किये गये थे, लेकिन 10 दिन बाद ही ये आंकड़ा तीन गुना हो गया और संक्रिमित लोगों की तादाद 50 हजार से ऊपर पहुंच गयी.
6. ईरान में दो महीने से कम समय में ही कोरोना पीड़ितों की संख्या 62,589 हो चुकी है.
7. चीन में कोरोना वायरस के संक्रमण का पहला केस 17 नवंबर को सामने आया था - 7 अप्रैल को चीन में 81,802 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाये गये.
बहरहाल, कोरोना महामारी के कहर के बीच ही अच्छी खबर ये है कि चीन ने कोरोना वायरस के एपिसेंटर रहे वुहान शहर से 76 दिन बाद लॉकडाउन हटा लिया गया है. दिसंबर, 2019 में कोरोना वायरस संक्रमण का पहला केस मिलने के बाद 23 जनवरी, 2020 को चीन के हुबेई प्रांत की राजधानी वुहान में पूरी तरह लॉकडाउन लागू कर दिया गया था.
76 दिनों के बाद वुमान में रेलवे स्टेशन के पास अपने घर जाने के इंतजार में लाइन में लगे लोग
कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच कई रिसर्च और स्टडी के नतीजे भी आ रहे हैं. कुछ राहत की बात करते हैं तो कई नयी आफत का इशारा कर रहे हैं. अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ में इन्फेक्शस डिजीज के प्रमुख एंथोनी फॉसी का दावा है कि कोरोना वायरस संक्रमण के आम लक्षण सर्दी, खांसी, बुखार,सांस में दिक्कत और गले में खराश जैसी समस्याएं जरूर हैं, लेकिन ये भी ध्यान रहे कि सांस लेने वाले बोलने भर से भी वायरस के फैलने का खतरा है.
खबर है कि कोरोना महामारी पर बने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाले मंत्री समूह ने लॉकडाउन हटाने के बाद ऑड-ईवन लागू करने, यातायात के सार्वजनिक साधनों में लोगों की संख्या तय करने जैसे सुझाव दिये हैं. साथ ही मंत्री समूह की सिफारिश है कि मॉल और स्कूल 15 मई तक बंद ही रखे जायें - और फिलहाल धर्मस्थलों पर तो रोक जारी ही रखी जाये. कुल मिलाकर निष्कर्ष यही निकलता है कि सरकारी लॉकडाउन हटाये जाने के बाद जनता लॉकडाउन हर हाल में जारी रहना चाहिये - और ये लागू हो पाये इसके लिए जरूरी है कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार लोगों से संवाद कर मानसिक रूप से तैयार करें - मोदी के तीसरे टास्क में ऐसे ही वॉर्म-अप सेशन की जरूरत लगती है.
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