कालाबाजारियों को शय देने वालों के लिए महत्वपूर्ण संदेश!
Covid की इस दूसरी लहर के बीच जैसे हाल हैं पूरे देश में, लूट मची है और जो जिस तरह इस आपदा को अवसर में बदल सकता है वो अपना काम बदस्तूर जारी रखे हुए है. भले ही कालाबाजरी को लेकर शासन प्रशासन सख्त हो मगर इसे तब तक नहीं होका जा सकता जब तक इसके लिए लोग खुद आगे न आएं.
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एक ऐसे समय में जब कोविड की दूसरी लहर का पीक आना अभी बाकी हो देश के तमाम छोटे बड़े शहरों में त्राहि त्राहि मची है. लोग मर रहे हैं और इसका फायदा वो गिद्ध उठा रहे हैं जिन्हें गिद्ध की संज्ञा देना मौजूदा वक़्त में अतिश्योक्ति न होगा. जैसे हाल हैं पूरे देश में लूट मची है और जो जिस तरह इस आपदा को अवसर में बदल सकता है वो अपना काम बदस्तूर जारी रखे हुए है. भले ही कालाबाजरी को लेकर शासन प्रशासन सख्त हो मगर इसे तब तक नहीं होका जा सकता जब तक इसके लिए लोग खुद आगे न आएं. बात सीधी और एकदम स्पष्ट है. ऑक्सिज़न सिलेंडर, रेमडेज़वियर व अन्य चीज़ों के लिये विक्रेता को एडवांस में फूटी कौड़ी न दें.
सामान लेते वक़्त ही पेमेंट करें. ऐसी विपदा की स्थिति में भी दुष्टों की कमी नहीं जो लोगों की ज़रूरतों को परिहास का पात्र बना रहे हैं. एडवांस पेमेंट के बाद भी चीज़ें नहीं मिल रही हैं क्योंकि वो बेच ही नहीं रहे. दूसरी ओर ऐसे भी होनहार हैं जो 55 हज़ार में सिलेंडर लेकर सवा लाख में बेच रहे हैं, वापस नहीं कर रहे. कालाबाज़ारी ख़ूब हो रही है और समाज में उपजे लोग ही ऐसा कर रहे हैं.
आपदा के इस मौके पर कालाबाजारियों को तभी नियंत्रित किया जा सकता है जब इसके लिए हम खुद सामने आएं
सचेत रहें, सावधान रहें. जिसे आपको दवा देनी होगी वह एडवांस पेमेंट क्यों मांगेगा? आपको बारात की केटरिंग का इंतज़ाम थोड़ी करना है जो बुकिंग अमाउंट देंगे. दवा को दवा की तरह ख़रीदें.
ऐसी धांधली और कालाबाज़ारी पर नकेल कसना अत्यंत आवश्यक है नहीं तो ख़रीदते रह जाएंगे दो हज़ार की रेमडेज़वियर डेढ़ लाख में, ग़रीब से तो जीने का हक़ ही छिन जाएगा, मिडिल क्लास व्यक्ति पूरी कमाई झोंककर ऑक्सिज़न ही ख़रीद सकेगा.
करबद्ध निवेदन कर रही हूँ कि मेरे रेफ़ेरेंस से किसी को एडवांस पेमेंट न करें. मेरा नाम लेकर कोई आप तक सामान पहुंचाने की दावेदारी करे और पैसे पहले ही अकाउंट में मांगें तो मुझे बतायें, ख़ाल उधेड़ दूंगी. निवेदन करते-करते थक गयी हूँ, मासूम लोगों की विवशता से खेलते लोगों को देखकर भद्रकाली ही सवार हो गयी हैं, न दिमाग़ दुरुस्त किया तो बताइएगा.
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