परमाणु हथियार चमकाने लगे सनकी शहंशाह
जिन प्रमुख देशों के पास परमाणु हथियार हैं, अब वहां की सत्ता आक्रामक नेताओं के हाथ में आ गई है. और इसमें डोनाल्ड ट्रंप सबसे पेचीदा हैं. और खतरनाक भी.
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-क्या हम विश्व युद्ध की ओर बढ़ रहे हैं ? जवाब है - जी हां.-क्या डोनाल्ड ट्रंप और ब्लादिमीर पुतिन इसके लिए जिम्मेदार हैं?जवाब है- सिर्फ ट्रंप.-क्या परमाणु युद्ध होगा?जवाब है- जी नहीं.-तो फिर?जवाब है- तनाव बढ़ता रहेगा और तनाव कम करने की दवा बिकती रहेगी.
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दुनिया शीत युद्ध से बदतर हालात में है. क्योंकि लड़ाई पूंजीवादी अमेरिकी गुट और साम्यवादी सोवियत गुट के दायरे से बाहर निकल गई है. अजीब-अजीब गठबंधन बन रहे हैं तो अजीब-अजीब मुकाबले मैदान में हैं. अफगानिस्तान में पाकिस्तान से भिड़ चुका रूस अब उसके करीब खड़ा है. पूंजीवाद के चरम को पाने के लिए 'कम्युनिस्ट' चीन अब अमेरिका से भिड़ने को तैयार है. रूस एक नए रूप में मिडिल-ईस्ट में सक्रिय हो उठा है.
ट्रंप किसी भी परिस्थिती में न्यूक्लियर हथियार इस्तेमाल करने से नहीं चूकेंगे |
इन पेंचीदा समीकरणों में सबसे दिलचस्प किरदार है डोनाल्ड ट्रंप. अमेरिका की जनता ने उन्हें चुनकर पूरी दुनिया की कुंडली में साढ़े साती डाल दी है.
उनका ताजा कमाल ये है-
The United States must greatly strengthen and expand its nuclear capability until such time as the world comes to its senses regarding nukes
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) December 22, 2016
यानी ट्रंप महाराज कह रहे हैं 'अमेरिका को अपनी परमाणु ताकत का और विस्तार करना चाहिए. तब तक जबतक कि दुनिया को उसका एहसास न हो जाए.'
शीत युद्ध के खात्मे के बाद से किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने ऐसी भड़काऊ बातें नहीं की थी. बल्कि बीच में तो परमाणु हथियारों को कम करने पर भी बहस शुरू हो गई थी.
पुतिन यूरोपीय देशों के लिए खतरा बन सकते हैं |
खैर, दूसरी तरफ है रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन. परमाणु हथियारों पर बड़े-बड़े बयान देना उनके साप्ताहिक कार्यक्रम में शामिल है. ट्रंप के ट्वीट से दो घंटे पहले पुतिन ने अपने कमांडरों को संबोधित करते हुए कहा कि 'रूस को अपने परमाणु हथियार इतने उन्नत कर लेने चाहिए कि कोई मिसाइल डिफेंस सिस्टम उसे रोक न पाए.'
अब इन दोनों महारथियों की बातें सरसरी तौर पर तो एक जैसी ही हैं, लेकिन इनकी बारीकी में जाएं तो ट्रंप ज्यादा खतरनाक दिखते हैं. इसलिए नहीं कि वे बिना किसी कारण परमाणु हथियारों पर बात कर रहे हैं, बल्कि वे कुछ ऐसे विचार रखते हैं, जिनसे पूरी दुनिया का न सिर्फ शक्ति संतुलन बिगड़ेगा, बल्कि कई देश खुलेतौर पर खतरे में पड़ जाएंगे.
इसे समझने के लिए चुनाव प्रचार के दौरान उनकी हिलेरी क्लिंटन के साथ हुई बहस का ये वीडियो देखना पड़ेगा-
ट्रंप कह रहे हैं कि जापान, दक्षिण कोरिया, सऊदी अरब के साथ हुई संधियों पर पुनर्विचार करना चाहते हैं. निरंकुश उत्तर कोरिया और आक्रामक चीन से यदि जापान और दक्षिण कोरिया को कोई बचाए हुए तो वह है अमेरिका. अब यदि अमेरिका का नया राष्ट्रपति ये कहता है कि हम इन देशों की सुरक्षा में अपने करोड़ों डॉलर क्यों बर्बाद करें, तो इसका मतलब पूर्वी एशिया में खतरे की बड़ी घंटी बजने वाली है.
नॉर्थ कोरिया को सबसे क्रूर देशों में से एक माना जाता है |
दुनिया का दूसरा हिस्सा, जो ट्रंप के कारण खतरे में पड़ सकता है, वह है यूरोप. चुनाव प्रचार के दौरान ट्रंप अपने भाषण में एंजेला मर्केल की तीखी आलोचना कर चुके हैं. वे सीरियाई शरणार्थियों के यूरोप में आने के खिलाफ रहे हैं. लेकिन उनके विचार से उलट यूरोप में ऐसा होता रहा. राष्ट्रपति निर्वाचित होने वाले ट्रंप अब यूरोप को लेकर गुस्से में हैं. यूरोप में नाटो द्वारा लगाए जाने वाले एडवांस मिसाइल डिफेंस सिस्टम को लेकर उनके विचार ठंडे हैं. और उनकी इसी बेरुखी का फायदा उठाते हुए पुतिन यूरोपीय देशों के प्रति आक्रामक हो गए हैं.
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अब ट्रंप या तो अमेरिका के रुपए की परवाह करना चाहते हैं या फिर ये चाहते हैं कि एक बार चीन, उत्तर कोरिया या रूस कुछ हिमाकत कर दें. ताकि फिर उन्हें अपनी ताकत दिखाने का मौका मिले. या हथियार बेचने के नए मार्केट मिल जाएं.
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