हाय री व्यवस्था! 4 महीनों से 9 भैंसों को खोज रही दिल्ली पुलिस
भैंस के साथ दिल्ली पुलिस का भी रिश्ता जुड़ गया है - वो भी चार महीनों से. कमिश्नर तक भी बात पहुंच गई और हर हफ्ते होने वाली क्राइम रिव्यू मीटिंग में इन भैंसों पर चर्चा भी होती है.
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उत्तर प्रदेश बेकार राज्य है, बिहार सबसे पिछड़ा है. दोनों की पुलिस एकदम निठल्ली है - आम जनता के लिए. हां, नेताओं के लिए यह एकदम चुस्त-दुरुस्त है. उत्तर प्रदेश में तो एक नेताजी की भैंस खोजने तक के लिए पुलिस को लगा दिया गया था. अगर आप दिल्ली में रहते हैं और अन्य राज्यों को लेकर आपके मन में ऐसी छवि है तो जरा रुक जाइए. भैंस के साथ दिल्ली पुलिस का भी रिश्ता जुड़ गया है - वो भी चार महीनों से.
भैंसों की खोज में तकनीक का इस्तेमाल
विश्वास नहीं हो रहा! 'आपके साथ, आपके लिए - सदैव' वाली दिल्ली पुलिस की एक स्पेशल टीम मई से ही 9 भैंसों को खोजने में जुटी है - वो भी असफल. इस काम 10 ऑफिसर लगे हुए हैं. पंजाब, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के कई इलाकों में जगह-जगह छापे भी मारे गए. 100 से ज्यादा भैंसों पर इनकी निगाह भी गई और पहचान के लिए दिल्ली पुलिस ने आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल भी किया - वॉट्सऐप पर इनके फोटो खींच कर इनके मालिक को भेजा, पर सब व्यर्थ.
कमिश्नर तक पहुंची बात
बाहरी दिल्ली के अमन विहार इलाके में रहने वाले डेयरी मालिक सतीश कुमार को अपनी भैंसों की चोरी हो जाने से काफी घाटा हो रहा था. शुरुआत में पुलिस से कोई मदद नहीं मिलने पर वो डायरेक्ट दिल्ली पुलिस कमिश्नर बस्सी साहब से मिले. बस्सी साहब ने जॉइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस को मामले की जांच के लिए कहा. जॉइंट कमिश्नर ने डिप्टी कमिश्नर को आदेश दिया और तब जाकर भैंसों की खोज के लिए 10 पुलिस वालों (दो इंस्पेक्टर भी हैं टीम में) के साथ एक स्पेशल टीम तैयार की गई.
क्राइम रिव्यू मीटिंग में भी भैंस के चर्चे
मुझे मालूम है, आप हंस रहे होंगे. लेकिन सच्चाई तो सच्चाई है. बाहरी दिल्ली के जिलों की क्राइम रिव्यू मीटिंग में पुलिस के आला अधिकारियों के बीच इन भैंसों पर भी चर्चा होती है. सतीश कुमार खुद डिप्टी कमिश्नर विक्रमजीत सिंह से हर हफ्ते की रिपोर्ट भी लेते हैं.
हंसना है तो हंसिए... शाबाशी देनी है तो दीजिए... रोना है तो रोइए... लेकिन क्या उत्तर प्रदेश, क्या बिहार और क्या देश की राजधानी दिल्ली... हर जगह व्यवस्था यही है...
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