बस यही देखना बचा था कि तलाक के लिए भी अब टेस्ट होगा?
इस टेस्ट में बाकायदा कपल्स को नंबर दिए जाते हैं. जो कपल्स 60 से अधिक नंबर लाते हैं, उनकी शादी बचाई जाने की एक उम्मीद होती है. लेकिन जो कपल्स 60 से कम नंबर लाते हैं, उन्हें तलाक देने की सलाह दी जाती है.
-
Total Shares
अपने लाइफ पार्टनर के साथ आपकी सबसे अच्छी यादें कौन सी हैं? कितनी बार आप लोग साथ-साथ कहीं घूमने गए? आपके लाइफ पार्टनर का पसंदीदा खाना क्या है? आपके बच्चे को कौन सी चीजें सबसे अधिक पसंद हैं? चीन में इन दिनों कपल्स से कुछ ऐसे ही सवाल पूछा जा रहे हैं. कारण? ताकि इस बात का पता लगाया जा सके कि उन्हें तलाक ले लेना चाहिए या फिर साथ ही रहना चाहिए. चीन में ये सवाल 'तलाक टेस्ट' (Divorce Test) के दौरान पूछे जा रहे हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसी क्या बात है कि तलाक से पहले भी एक टेस्ट हो रहा है. चलिए इसके बारे में भी जान लेते हैं.
'तलाक टेस्ट' को पिछले ही हफ्ते चीन के पूर्वी जियांगसु प्रांत में सिविल अफेयर्स डिपार्टमेंट ने शुरू किया है. यह टेस्ट उन लोगों के लिए शुरू किया गया है जो अपनी विवाहित जिंदगी से परेशान हो चुके हैं और अलग होना चाहते हैं. इस टेस्ट को शुरू करने का उद्देश्य यह पता करना है कि क्या कुछ लोगों की शादियां टूटने से बचाई जा सकती हैं या नहीं? साथ ही इस टेस्ट के जरिए पति-पत्नी को एक दूसरे के बारे में बताना भी है. देखा जाए तो इस टेस्ट का सीधा सा मकसद ये है कि तलाक की संख्या को कम किया जा सके.
तो कितने नंबर लाने होते हैं तलाक लेने के लिए?
दरअसल, इस टेस्ट में जो अच्छे नंबरों से पास होता है या यूं कहें कि जो फर्स्ट डिवीजन (60 से अधिक नंबर) लाता है, उसकी शादी बचने की उम्मीद होती है. यानी कम से कम एक बार और उनकी शादी बचाई जा सकती है. इन सवालों में कपल्स से सालगिरह की तारीख और जन्मदिन की तारीख भी पूछी जाती है. लेकिन जिन कपल्स को इस टेस्ट में 60 से कम नंबर मिलते हैं, उन्हें तलाक के लिए आगे की कार्रवाई करने का सुझाव दे दिया जाता है.
क्यों शुरू करना पड़ा ऐसा टेस्ट?
तलाक टेस्ट के बारे में जो कोई सुन रहा है एक बार चौंक जरूर जाता है. सबके मन में एक ये सवाल भी उठ रहा है कि आखिर क्यों ऐसा हो रहा है. दरअसल, चीन में पिछले एक दशक में तलाक देने का ट्रेंड तेजी से बढ़ा है. पिछले साल 34 लाख चीनी कपल्स ने तलाक दिया था, जो उससे पिछले साल के मुकाबले 8 फीसदी अधिक था. 1979 में ये आंकड़ा सिर्फ 3.19 लाख था, लेकिन तलाक लेने के कानून जैसे-जैसे आसान होते गए, तलाक का आंकड़ा भी बढ़ता गया. 1995 में ये 10 लाख से अधिक पर जा पहुंचा था.
सोचने वाली बात ये है कि क्या वाकई किसी टेस्ट से तलाक को रोका जा सकता है? अगर गौर किया जाए तो बेशक रोका जा सकता है. तलाक से पहले जब कपल्स से उनकी यादगार बातों को लेकर सवाल पूछे जाते हैं तो बहुत से कपल्स का मन भी बदल जाता है. वहीं बहुत से कपल्स मामूली सी परेशानी को लेकर तलाक की बात करने लगते हैं, लेकिन जब एक साथ बैठकर अच्छे से उन्हें समझाया जाता है तो वह इस बात को समझ जाते हैं कि उन्हें तलाक लेने की जरूरत नहीं है. चीन की इस मुहिम से तलाक लेने वाले कपल्स में कमी जरूर आएगी.
ये भी पढ़ें-
इन महलों में रहने वालों की बात ही और है !
आपकी राय