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Updated: 01 सितम्बर, 2015 05:23 PM
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कहानी क्रिस्सी  की-

अपने साथ रेप के 42 वर्षों के बाद क्रिस्सी हेंड (Chrissie Hynde) ने माना कि उस दुखद घटना के लिए वह पूरी तरह से जिम्मेदार थीं. हेंड ने कहा कि घटना वाले दिन उन्होंने जरूरत से ज्यादा शराब पी रखी थी, ड्रग्स भी लिया था और भड़काऊ कपड़े पहन रखे थे. इसके अलावा उन्होंने शरारती तत्वों से भरे बाइकर्स गैंग पर भरोसा किया, जिन्होंने उनका रेप किया. ऐसे विवादित मुद्दे पर क्रिस्सी हेंड के पक्ष और विपक्ष में दुनिया की जानी-पहचानी 6 महिला लेखकों ने अपने मत रखे.

जैनेट स्ट्रीट पोर्टर (जर्नलिस्ट, ब्रॉडकास्टर और सेलिब्रिटी) : इनके अनुसार क्रिस्सी हेंड की बातों में दम है. लड़कियां सही मायने में हद से ज्यादा रिस्क लेती हैं. साथ ही इन्होंने यह भी कहा कि जरूरत पड़ने पर रिस्क लेना बुरा नहीं है लेकिन सिर्फ फन के लिए रिस्क मूर्खतापूर्ण है.

सारा वाइन (लेखिका और ब्रिटेन के एजुकेशन सेक्रेटरी की पत्नी) : क्रिस्सी हेंड के तर्कों का समर्थन करते हुए इन्होंने नारीवादियों के एक समान अधिकार की मांग पर ही सवाल खड़े कर दिए. इनका कहना है कि रेप जैसी घटना से बचने के लिए एक समान अधिकार के बजाए कॉमन सेंस की जरूरत होती है - कहां जाएं, कब जाएं, कैसे जाएं, कैसे रहें.

क्लैर फॉक्स (ब्रिटिश लिब्रेटेरियन लेखक और थिंक टैंक की संस्थापक) : इन्होंने क्रिस्सी हेंड के तर्कों को संदर्भ में समझने की गुजारिश की है. क्रिस्सी की बातों का समर्थन करते हुए इन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर महिलाएं या लड़कियां खुद का रेप करवाने के लिए आग्रह नहीं करती हैं लेकिन कुछ सावधानियां बरतने पर वह इससे बच सकती हैं.

वे जो क्रिस्सी से सहमत नहीं-

पॉली वेरनॉन (हॉट फेमिनिस्ट की लेखिका) : क्रिस्सी हेंड के तर्कों को सिरे से खारिज करती हैं. इसके लिए इनके पास खास वजहें भी हैं. यह खुद भी यौन उत्पीड़न का शिकार हुई थीं. अपनी घटना के बारे में याद करते हुए वेरनॉन बताती हैं कि जिस दिन ऐसा हुआ था, उस दिन यह पूरे कपड़ों में थीं - जीन्स, गोल गले की टीशर्ट, इसके ऊपर बड़े साइज की पूरी बाजू वाली स्वेटशर्ट, डेनिम जैकेट और लेदर बूट - इतने कपड़े कि पीछे से देखने में कंफ्यूज कर जाए कि लड़की है या लड़का. वेरनॉन ने कहा, 'इसके बावजूद दोस्तों से मिलकर रात में घर लौटते समय सुनसान रास्ते पर एक आदमी ने पीछे से मुझे दबोच लिया और सड़क पर लिटा कर रेप की कोशिश की. बहुत कोशिशों के बाद मैं बच पाई.' अपनी कहानी के जरिये यह कहना चाहती हैं कि यौन उत्पीड़कों को आपके कपड़ों से कोई लेना-देना नहीं होता है. उन्हें अपनी शक्ति या मर्दानगी का प्रदर्शन करना होता है, इसलिए वे ऐसा करते हैं.

जेनी मुरे (जर्नलिस्ट, ब्रॉडकास्टर और लेखिका) : क्रिस्सी हेंड की तरह इनके साथ भी यंग एज में रेप हुआ था - पार्टी में गई थीं, बहुत छोटी स्कर्ट पहन रखी थीं, जरूरत से ज्यादा शराब पी ली थीं, लेकिन जिस पर भरोसा किया, उसी ने इनका रेप किया. फिर भी यह क्रिस्सी हेंड की बातों से इत्तेफाक नहीं रखतीं. इनका कहना है कि सहमति के बिना सेक्स रेप है. किसी लड़की ने क्या पहना, कितनी शराब पी ली, कहां सो गई... इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. अगर उसने सहमति नहीं दी है तो मर्दों को उसके साथ सेक्स करने का कोई अधिकार नहीं है.

जूली बिंडेल (लेखिका, नारीवादी और जस्टिस फॉर विमिन की सह-संस्थापक) : क्रिस्सी हेंड के तर्कों को खारिज करती हैं. यह कहती हैं कि किसी खास कपड़े या खास व्यवहार को रेप का आग्रह मानना समाज में प्रचलित एक खतरनाक ट्रेंड है. मर्दों का रेप जैसे जघन्य अपराध करके बच निकलना समाज की ऐसी ही सोच का नतीजा है.

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