सर्वे: वर्क फ्रॉम होम में वर्किंग वुमेन के साथ बढ़े हिंसा और उत्पीड़न के मामले
Work From Home में महिलाओं को शोषण और हिंसा (Violence and Harassment) का सामना पहले की तुलना में कई गुना ज्यादा करना पड़ा है. टेक इंडस्ट्री का विश्वेलषण करने वाले एक प्रोजेक्ट ने महिलाओं पर सर्वे करने के बाद यह खुलासा किया है.
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कितना मॉडर्न जमाना आ गया है ना. हर तरफ बराबरी और महिला कल्याण की बड़ी-बड़ी बातें हो रही हैं लेकिन औरतों का दर्द आखिर कम क्यों नहीं होता. कोरोना वायरस पर लगाम लगाने के लिए लॉकडाउन (lockdown news) लगा दिया गया. कंपनियों ने पिछले एक साल से कर्मचारियों को रिमोट वर्क (Remote Work) की सुविधा दे दी. जिसका साइड इफेक्ट हम सभी की जिंदगी पर हुआ लेकिन सबसे ज्यादा प्रभावित हुई हैं औरतें. महिलाओं के लिए लॉकडाउन अवसर बना या मुसीबत इस सर्वे (survey) से साफ पता चलता है.
WFH में महिलाओं ने क्यों छोड़ी नौकरी?
घरेलू महिलाओं पर तो दबाव बना ही, लेकिन कामकाजी महिलाओं (women) की परेशानी (sexual harassment) और बढ़ गई. घर से काम (Work From Home) करने की वजह से ऑफिस आने जाने का समय बचा तो कंपनियों ने वर्किंग ऑवर्स (working hours) बढ़ा दिए. वर्किंग वुमेन के ऊपर एक साथ घर और ऑफिस के काम का प्रेशर बढ़ गया. महिलाओं को घरवालों का ख्याल रखने से लेकर खाना बनाने, घर की साफ-सफाई और ऑफिस का काम, सब एक साथ मैनेज करना पड़ रहा है.
हालत यह है कि वर्किंग वुमेन अपना ख्याल (Domestic violence) नहीं रख पा रहीं. खाना-पीना और सेल्फ केयर को महिलाओं ने दरकिनार कर दिया है, जिससे उनकी सेहत पर असर पड़ रहा है. हफ्ते में एक दिन की छुट्टी भी घर के कामों में ही निकल जाती है.
WFH में महिलाओं के साथ हुआ लिंग भेदभाव
ऐसा इसलिए क्योंकि पुरुष घर के काम में हाथ नहीं बटाते. उनको लगता है यह मेरा काम थोड़ी है? महिला घर पर ही तो है मैनेज कर लेगी. वे खुद लैपटॉप खोलकर बैठ जाते हैं जैसे सिर्फ उनकी जॉब ही महत्वपूर्ण है. घर की औरत का क्या है, किचन और ऑफिस एक साथ संभालती है तो ठीक है वरना छोड़ दे नौकरी, क्या फर्क पड़ जाएगा. कई महिलाओं ने इन परेशानियों और मेंटल प्रेशर के चलते जॉब छोड़ भी दी. उसके बाद उनको आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा.
आलम यह है कि, महिलाओं को शोषण और हिंसा (Violence and Harassment) का सामना पहले की तुलना में कई गुना ज्यादा करना पड़ा है. टेक इंडस्ट्री का विश्वेलषण करने वाले एक प्रोजेक्ट ने 3000 महिलाओं पर सर्वे किया और यह जानना चाहा कि रिमोट कल्चर से महिलाओं की स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ा है. इस सर्वे के अनुसार, एक तरफ वर्किंग ऑवर्स बढ़ने और प्रेशर की वजह से महिलाओं की टेंशन बढ़ी. वहीं दूसरी ओर उनके साथ होने वाले उत्पीड़न और हिंसा के मामलों में भी बढ़ोतरी हुई.
वैसे भी वर्क फ्रॉम की वजह से महिलाओं को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. पूरी दुनिया में रिमोट वर्क के कारण यह बदलाव छोटे-बड़े हर सेक्टर में देखने को मिल रहा है. महिलाओं को दोगुनी परेशानियों और शोषण का सामना करना पड़ा है. दरअसल, रिमोट वर्क की वजह से एशियन, ब्लैक और 50 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को भी दिक्कतें हुई हैं.
सर्वे के अनुसार आप शोषण को दो हिस्सों में बांट सकते हैं. पहले में महिलाओं से एक ही बात बार-बार पूछना, फिजिकल रिलेशन (Physical Relation) के लिए प्रेशर बनाना, बार-बार डेट (Date) पर जाने के लिए पूछना जैसी बातें शामिल हैं. वहीं दूसरी श्रेणी में महिलाओं को इस तरह से अपमानित करना जो कंपनी नियम के अनुसार अपशब्द की श्रेणी में नहीं आता है. यानी कंपनी के हिसाब से उसे मिसबिहेव नहीं कहा जा सकता है.
इस सर्वे में एक तिहाई से ज्यादा महिलाओं ने माना कि लिंग के आधार पर उन्होंने भेदभाव (gender equality) का ऐसा अनुभव पहले कभी नहीं किया है, जितना रिमोट वर्क के समय. वहीं वर्क फ्रॉम होम (wfh) के साथ ही घर की जिम्मेदारी और बच्चों की देखभाल के कारण कई महिलाओं को अपनी नौकरी छोड़नी पड़ी, यह बात भी सर्वे में सामने आई है.
तो अब महिलाओं की ऐसी हालत पर समाज के ठिकेदार क्या कहेंगे? एक महिला को अपने स्त्रीत्व भाव को बचाना चाहिए? वह पुरुषों से आगे निकलना ही क्यों चाहती है? पूरे मन से दिन-रात सबकी सेवा करना और सिर झुकाकर हां में हां मिलाना? या फिर कोई ना कोई बहाना बनाकर घर की औरतों पर ही दोष मढ़ देंगे, शायद यह करना सबसे आसान काम होगा, है ना?
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