दिल्ली की लड़कियां नशे में गाड़ी नहीं चलातीं या पकड़ी नहीं जातीं?
पिछले 5 सालों में दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने ड्रिंक एंड ड्राइव के करीब 1.4 लाख चालान काटे हैं, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि 5 सालों में सिर्फ एक महिला का ड्रिंक एंड ड्राइव केस में चालान कटा है. आखिर कैसे बच निकलती हैं नशे में धुत लड़कियां.
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अलग-अलग कारणों से चर्चा में रहने वाली दिल्ली एक बार फिर से सुर्खियों में छा गई है. पिछले 5 सालों में दिल्ली में सिर्फ एक महिला का नशे में गाड़ी चलाने के लिए ड्रिंक एंड ड्राइव का चालान कटा है. पहली नजर में तो ये दिल्ली के लिए गर्व करने वाली बात लगती है, लेकिन अगर गहराई में जाएं तो पता चलेगा कि ये दिल्ली के लिए एक बड़ी शर्मिंदगी की वजह है. दरअसल, यहां सवाल ये उठता है कि क्या अलग-अलग तरह के नशों के लिए बदनाम दिल्ली में लड़कियां नशा करके कभी गाड़ी नहीं चलातीं? इस दौरान दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने ड्रिंक एंड ड्राइव के करीब 1.4 लाख चालान काटे हैं. यानी नशे में गाड़ी सिर्फ लड़के चलाते हैं, लड़कियां नशे में कभी गाड़ी को हाथ नहीं लगातीं. अगर आप ऐसा सोच रहे हैं तो आप गलत हैं. इसकी हकीकत दिल्ली के लिए तो शर्मिंदगी का कारण है ही, मोदी सरकार को भी शर्मिन्दा करने वाली है.
तो इसलिए नहीं पकड़ी गईं लड़कियां
दिल्ली पुलिस के लिए सबसे शर्मिंदगी की बात ये है कि दिल्ली ट्रैफिक पुलिस में महज 3 महिला पुलिस हैं. दिल्ली पुलिस के अधिकारी के अनुसार- ऐसा नहीं है कि महिलाएं नशे में गाड़ी नहीं चलाती हैं, लेकिन दिल्ली ट्रैफिक पुलिस में इतनी महिलाएं नहीं हैं कि नशे में गाड़ी चलाने वाली महिलाओं की जांच कर सकें. मोदी सरकार भी महिलाओं को बराबरी देने की बात तो खूब करती है, लेकिन दिल्ली ट्रैफिक पुलिस में महिलाओं की कमी सरकारी दावों की पोल खोल रही है.
5 सालों में किस एक महिला का कटा है चालान?
आपके मन में ये सवाल भी घूम रहो होगा कि आखिर वो कौन सी एक महिला है, जिसका ड्रिंक एंड ड्राइव के मामले में चालान काटा गया है? सवाल ये भी है कि जब कोई पुलिसवाला किसी महिला को हाथ ही नहीं लगा सकता तो फिर चालान काटना मुमकिन कैसे हो पाया? 11 मार्च को उत्तरी दिल्ली में एक महिला का नशे में गाड़ी चलाने के लिए चालान काटा गया था. यह इसलिए मुमकिन हो सका क्योंकि उस महिला की गाड़ी का एक्सिडेंट हो गया था. इस एक्सिडेंट में गाड़ी में बैठे दो लड़कों की मौत हो गई थी. महिला के खिलाफ लापरवाही से किसी की मौत होने का मामला दर्ज किया गया था.
कानून भी बन जाता है पैरों की बेड़ियां
मौजूदा नियम के अनुसार कोई भी पुलिस वाला किसी महिला को नशे में गाड़ी चलाने पर पकड़े जाने पर उसकी जांच के लिए गाड़ी से बाहर नहीं निकाल सकता. यानी सीधे-सीधे समझा जाए तो कोई भी ट्रैफिक पुलिस वाला कानूनन किसी महिला को हाथ नहीं लगा सकता. ऐसे में जरूरत पड़ती है महिला ट्रैफिक पुलिस की, जिनकी भयानक कमी है. एक ट्रैफिक पुलिस अधिकारी ने खुद इस बात को कबूला है कि ट्रैफिक पुलिस वालों को जब भी किसी पब या डिस्को के पास तैनात किया जाता है तो उन्हें यह साफ दिखाई देता है कि एक महिला नशे में गाड़ी चला रही है, लेकिन उनके पास महिला को रोककर गाड़ी का शीशा तक नीचे करने के लिए कहने का अधिकार नहीं है.
अब तक काटे गए चालान पर डालिए एक नजर
दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 5 सालों में दिल्ली में ड्रिंक एंड ड्राइव के कुल 1.4 लाख चालान काटे गए हैं. आपको बता दें कि दिल्ली में नशे में गाड़ी चलाते हुए पकड़े जाने पर 1000 का जुर्माना लगता है और तीन महीने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस का सस्पेंशन हो जाता है. आइए जानते हैं किस साल कटे कितने चालाना?
2013- 26,633
2014- 29,584
2015- 25,958
2016- 28,006
2017- 29,850
तो इस पूरी रिपोर्ट का निष्कर्ष ये निकलता है कि महिलाओं का ड्रिंक एंड ड्राइव का चालान न काटे जाने के पीछे का कारण महिला ट्रैफिक पुलिस की कमी है. यानी देखा जाए तो कानून खुद ही मुखर्जी नगर जैसे हादसों को बढ़ावा दे रहा है, क्योंकि पुलिस वाले नशे में धुत गाड़ी चलाती हुई लड़की को रोक नहीं सकते और उन्हें रोकने के लिए महिला ट्रैफिक पुलिस हैं नहीं. वहीं दूसरी ओर, भले ही ट्रैफिक पुलिस में हैं तो क्या, हैं तो महिलाएं ही ना. ऐसे में उनकी सुरक्षा का भी ट्रैफिक पुलिस को ध्यान देना होता है.
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