ये गधे का प्रमोशन है या उसका अपमान?
मिस्र के काहिरा शहर के एक चिडियाघर ने पर्यटकों को लुभाने के लिए गधे पर पेंट से काली-सफेद धरियां बनाकर उसे जेबरा बना डाला. अब दुनिया भर में मजाक बन रहा है.
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किसी कार्टून शो में देखा था कि एक गधा खुद को बेहतर दिखाने के लिए खुदपर काली सफेद धारियां बना लेता है जिससे वो जेबरा दिखाई दे. लेकिन बारिश आते ही उसका सारा पेंट धुल जाता है और उसकी खूब कुटाई होती है. खैर वो तो कार्टून शो था, हकीकत से कोई लेना देना नहीं. लेकिन लगता है इस कार्टून शो से कुछ लोग प्रेरित हो गए, उन्होंने हकीकत में ये हरकत कर डाली.
मिस्र के काहिरा शहर के एक चिडियाघर ने पर्यटकों को लुभाने के लिए गधे पर पेंट से काली-सफेद धरियां बनाकर उसे जेबरा बना डाला.
गधे पर काली सफेद धारियां बनाकर जेबरा बना दिया गया
मेहमूद नाम का एक छात्र वहां घूमने गया तो उसने गधे को जेबरा बने देखा. उसने उस 'जेबरा' के साथ तस्वीर खिंचवाई और उसके चेहरे के भाव बता रहे थे कि वो आगे करना क्या चाहता है. उसने वो तस्वीर फेसबुक पर शेयर कर दी.
चिडियाघर में इस जेबरा के रहने वाले स्थान पर फेन्स लगे थे, जिससे रगड़ खाकर गधे पर किया हुआ पेंट फैला हुआ दिखाई दे रहा था. जिससे चिडियाघर की कारिस्तानी साफ नजर आ रही थी.
गधे पर बनी धारियों को रंग साफ फैलता दिख रहा है
भले ही गधा और जोबरा कद काठी में एक जैसे लगते हों और धारियों के अलावा कोई और फर्क नहीं दिखता हो, लोकिन काफी चीजें हैं जो दोनों में अलग अलग हैं. आप ध्यान से देखेंगे तो पाएंगे कि गधे के कान लंबे और नोकीले आकार के और बाहर की तरफ होते हैं जबकि जेबरा के कान गोलाई लिए और एंटीने की तरह एकदम सीधे होते हैं. और हां जेबरा की पट्टियों का रंग एकदम सुर्ख होता है वो फैलता नहीं है.
इतने पर भी इस चिडियाघर के डायरेक्टर ये मानने को तैयार ही नहीं हैं कि उन्होंने गधे को रंगा है. उनका कहना अब भी यही है कि उनके जेबरा असली हैं.
ये है असली जेबरा
ये है असली जेबरा, जो गधे से काफी अलग होता है
ऐसा पहली बार नहीं है कि किसी ने ये चालाकी की हो. 2009 में भी गाज़ा के एक चिड़ियाघर में यही हुआ था. वहां भी दो सफेद गधों को इसी तरह जेबरा बनाया गया था.
2012 में गाज़ा के ही एक चिड़ियाघर में जानवरों की कमी के चलते जिंदा नहीं मरे हुए स्टफ्ड जानवरों (डमी) को रखा गया था.
मरे हुए जानवरों की खाल में भुस भरकर उसे असली जानवरों की जगह पर रखा गया था
2013 में चीन ने तो कमाल ही कर दिया था. वहां के एक ज़ू में शेर की जगह तिब्बत के एक कुत्ते (tibetan mastiff) को रखा गया था जो दिखने में शेर जैसा लगता था. लेकिन जब वो 'शेर' 'भौंकने' लगा तब असलियत सामने आई.
आयात प्रतिबंधों के चलते या महंगे होने के कारण कुछ चिडियाघर बाहर से जानवर मंगवा नहीं पाते, और वो इस तरह के आइडिया पर काम करने लगते हैं. जिन लोगों को जानवरों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती वो धोखा खा जाते हैं.
ये तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल है और इस चिड़ियाघर का ये गधा इंटरनेट सेंसेशन बन गया है. इस गधे ने भले ही लोगों को हंसाया हो, लेकिन गौर से देखेंगे तो पाएंगे कि इस गधे ने जानवरों के ऊपर हो रही क्रूरता का एक सच सबके सामने लाया है. एक्सपर्ट्स की मानें तो इस तरह से किसी जानवर के शरीर पर पेंट करना उसकी सेहत के लिए अच्छा नहीं है. इससे उसे सांस लेने में तकलीफ भी हो सकती है. जानवरों के हित में काम करने वाली संस्थाओं को अब चिडियाघरों की तरफ भी नजर दौड़ाना चाहिए.
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