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Updated: 25 जनवरी, 2018 09:18 PM
संध्या द्विवेदी
संध्या द्विवेदी
  @sandhya.dwivedi.961
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पति के नाम लिखा मशहूर लेखिका वर्जिनिया वुल्फ का यह खत आपको अंदर तक झिंझोड़ देगा. "किताब ‘अ रूम ऑफ वन्स ओन’ (A room of ones own) की लेखिका कहती हैं, अगर कोई औरत एक उपन्यास लिखना चाहती है तो उसके पास अपना पैसा और एक कमरा जरूर होना चाहिए."

इस किताब ने लंदन ही नहीं दुनियाभर में खलबली मचा दी. दरअसल इस किताब में एक ‘लेस्बियन’ औरत का भी जिक्र किया गया था. वे कहती हैं ‘ऐसा भी हो सकता है कि एक औरत दूसरी औरत के प्रति आकर्षित हो जाए.’

वर्जिनिया इसी किताब में यह भी कहती हैं, ‘लेखन से दूर रखने की साजिश के तहत ही औरतों को निजी धन और एक निजी स्थान से हमेशा दूर रखा गया.’ वे आगे कहती हैं, 'ये दोनों चीजें अगर औरतें हासिल कर लेती हैं, तो वे लेखन की दुनिया में मजबूत कदम रखेंगी.' यह बात आज भी उतनी ही सच है जितनी उस वक्त थी. उनकी ‘मिस इज डॉलवे’, ‘द लाइट हाउस’ जैसी किताबों खूब चर्चित किताबें रहीं.

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उन्होंने उपन्यास, बायोग्राफी, शार्ट स्टोरी ड्रामा, हर फील्ड में जमकर लिखा. लेकिन जो सबसे ज्यादा चर्चित रहा वो था उनका सुसाइड नोट जो उन्होंने अपने पति के नाम लिखा था.

उन्हें 28 मार्च 1941 में घर के पास ही एक नदी के किनारे अपने ओवरकोट की जेब में पत्थरों को भरते देखा गया था. उसके बाद वह गायब रहीं और फिर 18 अप्रैल को उनका शरीर मिला.

28 मार्च को घर से निकलने से पहले ही शायद उन्होंने यह पत्र अपने पति के नाम लिखा था-

Viginia Wolf, letter, suicideपति के नाम वर्जिनिया की ये चिट्ठी किसी भी आंखों में आंसू ला देगी

मेरे सबसे प्रिय

मुझे यह यकीन हो गया है कि मेरे ऊपर दोबारा पागलपन हावी हो रहा है. मुझे लगता है कि अब दोबारा हम उस डरावने समय से नहीं गुजर सकते हैं. और इस बार मैं इससे उबर नहीं पाऊंगी. मुझे आवाजें सुनाई देनी शुरू हो गईं हैं और मैं एकाग्र नहीं हो पा रही हूं. इसलिए मैं वह कर रही हूं जो मुझे इस स्थिति में सबसे ज्यादा ठीक लग रहा है. तुमने मुझे वह सारी खुशियां दीं जो मुमकिन थीं.

तुम मेरे साथ हर तरह से रहे, यकीनन जितना कोई रह सकता है. मुझे नहीं लगता कि दो व्यक्ति इस खौफनाक बीमारी के चलते साथ खुश रह सकते हैं. अब मैं और ज्यादा नहीं लड़ सकती. मैं जानती हूं कि मैं तुम्हारी जिंदगी तबाह करने जा रही हूं. लेकिन मेरे बिना तुम काम कर सकते हो और मैं जानती हूं यह तुम कर पाओगे.

तुमने देखा न कि मैं यह पत्र भी ठीक से नहीं लिख पा रही हूं. मैं पढ़ नहीं सकती. मैं क्या कहना चाहती हूं, मेरी जिंदगी की सारी खुशियों का श्रेय मैं तुमको देती हूं. तुम मेरे साथ बेहद धैर्य के साथ रहे. कोई जितना अच्छा मेरे साथ हो सकता है, तुम मेरे साथ उतने अच्छे रहे. मैं कहना चाहती हूं कि यह हर कोई जानता है.

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लेखक

संध्या द्विवेदी संध्या द्विवेदी @sandhya.dwivedi.961

लेखक इंडिया टुडे पत्रिका की विशेष संवाददाता हैं

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