जिंदगी और 'फन' का कॉकटेल नशा है नाश का घर
आखिर मस्ती और मजे के नाम पर हम अपने जीवन से खिलवाड़ करना कब बंद करेंगे. कूल दिखने की ऐसी होड़ की सुरक्षा और समझ को ताक पर रख देते हैं.
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आज की युवा पीढ़ी रिस्क लेने से नहीं डरती. यही कारण है कि रोज नए प्रयोग करना और उनका फेवरेट शगल है. रहन-सहन के तरीकों से लेकर खाने-पीने की चीजों तक हर जगह वो एक्सपेरीपेंट करते हैं. कभी कुछ अच्छा पाने के लिए तो कभी सिर्फ फन के लिए. फन का मतलब सभी के लिए अलग-अलग है. कुछ लोगों के लिए फन का मतलब है स्पीड तो कुछ के लिए पहाड़ चढ़ना तो कुछ के लिए ऐसा काम कर जाना जो कभी किसी ने नहीं किया हो.
शराब के कॉकटेल ने पेट की ही कहानी बदल दी
इस चक्कर में ही कभी-कभी कई युवाओं को लेने के देने पड़ जाते हैं. हाल की कुछ घटनाएं इसी बात की तस्दीक करती हैं कि जिंदगी और फन के इस कॉकटेल को एन्जॉय करने के लिए सारी हदें पार कर जाते हैं. कुछ दिनों पहले, दिल्ली-एनसीआर की एक पब में घटी घटना ने लोगों को हैरान कर दिया. गुरूग्राम के एक पब में 30 साल का युवक अपने दोस्तों के साथ पार्टी करने गया था. इस पब में आजकल शराब के साथ नाइट्रोजन मिलाकर दी जाती है. नाइट्रोजन मिलाने की वजह से ड्रिंक में से झाग उठता है जो देखने में बहुत कूल लगता है. युवक ने 'फन' के लिए उसे पी तो लिया लेकिन 'हाई' होने की जगह हॉस्पीटल पहुंच गया. पेट का 40 फीसदी हिस्सा काटना पड़ गया.
पब्लिसिटी के लिए पंगा
दूसरा मामला चीन की वायरल ब्लॉगर झांग के साथ हुआ हादसा है. 26 वर्षीय झांग चीन की ऑनलाइन सेलिब्रिटी हैं और अपने वीडियो ब्लॉग के लिए फेमस हैं और करोड़ों कमाती हैं. अपने ताजा लाइव वीडियो की लाइव स्ट्रीमिंग में झांग अपने फॉलोअर्स को एलोवेरा खाकर दर्शकों को सेहत पर पड़ने वाले उसके फायदे बताना चाहती थीं. लेकिन हो गया ठीक उल्टा. शुरु में तो झांग ने कहा कि- 'ये बहुत टेस्टी है. लेकिन थोड़ी ही देर बाद वो चीखने लगीं. ये तीखा है, बहुत तीखा.' जल्दी से उन्हें हॉस्पीटल ले जाया गया, जहां उनकी स्थिति में सुधार आया. दरअसल जिस पौधे को वो एलोवेरा समझ बैठीं थी वो अगेव अमेरिकाना नाम का एक जहरीला पौधा था.
ये दोनों ही मामले ना तो पहले थे ना ही आखिरी. रोजाना पागलपन के ऐसे सैकड़ों मामले देखने को मिलते हैं. लेकिन जो मुद्दे की बात है वो ये कि आखिर मस्ती और मजे के नाम पर हम अपने जीवन से खिलवाड़ करना कब बंद करेंगे. कूल दिखने की ऐसी होड़ की सुरक्षा और समझ को ताक पर रख देते हैं. इंस्टैंट और वर्चुअल वर्ल्ड में जीने की आदत ने युवाओं के दिमाग पर पब्लिसिटी का पर्दा डाल दिया है जिसके बाहर वो देख ही नहीं पा रहे.
जरुरत है जमीन पर पैर रखने की और सोशल मीडिया पर फेक लाइफ जीने के बदले प्रैक्टिकल वर्ल्ड में रहने की.
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