दिमाग का धुंआ उड़ा देगा सिगरेट की खपत का पैमाना !
देश में 19 फीसदी पुरूष और 2 फीसदी औरतें सिगरेट-बीड़ी पीते हैं, जबकि 29.6 फीसदी पुरूष और 12.8 फीसदी महिलाएं चबा सकने वाली तंबाकू का सेवन करते हैं. इसके अलावा जो ट्रेंड है, वह कहीं ज्यादा दिलचस्प है.
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मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया,
हर फिक्र को धुएं में उड़ाता चला गया...
1961 में सुपरस्टार देवानंद की फिल्म 'हम दोनों' का ये सुपरहिट गाना सिगरेट पीने वालों के लिए संजीवनी सरीखा है. सिगरेट से होने वाले नुकसान के बारे में बात करने पर लोग इस गाने ही बहाना भी दे देते हैं. लेकिन 2010 की तुलना में अब देश में सिगरेट पीने वालों की संख्या में 6 प्रतिशत यानी 81 लाख लोगों ने इससे तौबा कर लिया है. वैश्विक स्तर पर व्यस्कों द्वारा तंबाकू के इस्तेमाल पर नजर रखने वाले मानक ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे (GATS) द्वारा किए गए एक सर्वे में ये आंकड़े सामने आए हैं.
GATS ने अगस्त 2016 से फरवरी 2017 के बीच किए गए अपने सर्वे में देश के 74,037 घरों से सैंपल कलेक्ट किया. इसमें 15 साल या उससे ऊपर की उम्र के लोगों का डाटा लिया गया था. इसके पहले ऐसा सर्वे 2009-10 में किया गया था. सर्वे में पाया गया कि सरकार के कड़े नियमों, तंबाकू उत्पादों पर चित्र वाली चेतावनी, ज्यादा टैक्स और तंबाकू के उपयोग से होने वाले नुकसानों के प्रति जागरुकता अभियान के चलते देश में तंबाकू उत्पादों के प्रयोग में कमी दिखी है. सर्वे के अनुसार तंबाकू सेवन के मामले में 2010 के बाद से 33 प्रतिशत (15-24 वर्ष) और अव्यस्कों (15-17 वर्ष) में 54 फीसदी की कमी आई है.
सिगरेट के धुंए का छल्ला एक छलावा है
सर्वे के अनुसार तंबाकू उत्पादों पर चित्र वाली चेतावनी के आने के बाद से 55 फीसदी सिगरेट पीने वालों और 50 फीसदी तंबाकू पदार्थों का उपयोग करने वालों ने इनका सेवन बंद करने की इच्छा जताई. सर्वे से पता चलता है कि देश में 19 फीसदी पुरूष, 2 फीसदी औरतें और औसतन 10.7 फीसदी व्यस्क धुंए वाले तंबाकू का सेवन करते हैं. जबकि 29.6 फीसदी पुरूष, 12.8 फीसदी महिलाएं और औसतन 21.4 फीसदी व्यस्क बिना धुएं वाले तंबाकू का सेवन करते हैं.
सुखद बात ये है कि सिर्फ हमारे देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी तंबाकू और सिगरेट का सेवन घट रहा है. द्वितीय विश्व युद्ध के समय तक स्वीडन में लोग बिना धुएं वाले तंबाकू का सेवन करते थे लेकिन 1980 के समय यहां धूम्रपान करने वाले लोगों की संख्या 34 प्रतिशत हो गई. इसके बाद से ही स्वीडन की सरकार लोगों के बीच धूम्रपान और तंबाकू के सेवन से होने वाले नुकसान को लोगों प्रचारित करने लगी. इसके साथ ही साथ सरकार ने जागरुकता अभियानों के जरिए लोगों तक पहुंचने लगी. इसके साथ ही लोगों को तंबाकू छोड़ने के लिए प्रेरित करने के नजरिए से उन्हें तंबाकू का विकल्प भी उपलब्ध कराया.
लोगों को तंबाकू छोड़ने के लिए प्रेरित करने के लिहाज से सरकार ने लोगों को तंबाकू और निकोटीन का एक विकल्प मुहैया कराया. इसे स्नस कहते हैं. इस उत्पाद के आने के बाद देश में सिगरेट की बिक्री में भारी गिरावट दर्ज की गई. नतीजा सामने है. आज की तारीख में स्वीडन में तंबाकू पदार्थों के सेवन करने वालों की संख्या घटकर 5 फीसदी हो चुकी है.
सिगरेट और तंबाकू की लत छुड़वाने के लिए सरकार साम-दाम-दंड-भेद हर तरीका अपना रही है. जिसका नतीजा अब सामने दिख रहा है. सबसे सुखद बात ये है कि लोग खुद भी तंबाकू और उसके उत्पादों के प्रति उदासीन हो रहे हैं. कूल दिखने के चक्कर में युवा सिगरेट की लत में फंस जाते हैं तो, ज्यादातर लोग टेंशन से निजात पाने का जरिया बताते हैं. बात चाहे जो भी हो लेकिन एक सच्चाई जो नहीं बदल सकती वो ये कि तंबाकू लोगों के जीवन को तबाह कर रहा है. इस तबाही के जिम्मेदार सिगरेट पीने वाले खुद हैं.
सिगरेट या तंबाकू के सेवन से जिंदगी की हर फिक्र धुएं में उड़ती हो या नहीं लेकिन जिंदगी जरूर धुंआ हो रही है.
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