सरदार पटेल की मूर्ति और पैरिस के एफिल टॉवर में फर्क बताने वालों को कुछ बातें समझ लेनी चाहिए
बॉलीवुड एक्टर फरहान अख्तर का कहना है कि 'एफिल टावर और एम्पायर स्टेट बिल्डिंग दोनों ही किसी व्यक्ति द्वारा निजी धन का उपयोग कर बनाए गए थे. जबकि पटेल की मूर्ति जनता के पैसे से बनाई गई है.' लेकिन उनके इस कथन की जांच की गई तो मामला कुछ और ही निकला.
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ट्विटर पर बिजनेस मैन हर्ष गोयनका ने लिखा-
भरतीय जब पैरिस में होते हैं तो एफिल टॉवर को देखकर कहते हैं कि हम ऐसे निर्माण क्यों नहीं कर सकते?
भरतीय जब न्यूयॉर्क में होते हैं तो एंपायर स्टेट बिल्डिंग को देखकर कहते हैं कि हम ऐसे निर्माण क्यों नहीं कर सकते?
भरतीय जब भारत में होते हैं तो सरदार पटेल की प्रतिमा को देखकर कहते हैं कि हम इसके बदले अस्पताल और स्कूल का निर्माण क्यों नहीं कर सकते.
Indians when in Paris: Look at Eiffel Tower. Why can't we build such structures?Indians when in New York: Look at Empire State Building. Why can't we build such structures?Indians when in India: Look at Patel's Statue. Why can't we build a hospital or school instead!(WA)
— Harsh Goenka (@hvgoenka) November 29, 2018
जाहिर है गोयनका ने अपने ट्वीट के माध्यम से उन लोगों को निशाना बनाया जिन्होंने गुजरात में बनी सरदार पटेल की मूर्ति बनाए जाने का विरोध किया था. लोगों का विरोध इस बात को लेकर था कि इस मूर्ति को बनाने में 3600 करोड़ रुपए की लागत आई थी, जो कि एक बड़ा आंकड़ा है, ये बेहतर होता कि अगर इतनी बड़ी रकम को किसी और जगह उपयोग किया जाता. खैर अब इन बातों का कोई मतलब भी नहीं है क्योंकि मूर्ति तो बन चुकी है.
लेकिन गोयनका के इस ट्वीट का जवाब देते हुए बॉलीवुड एक्टर फरहान अख्तर ने जवाब दिया कि- 'यह एक झूठी समतुल्यता है. एफिल टावर और एम्पायर स्टेट बिल्डिंग दोनों ही किसी व्यक्ति द्वारा निजी धन का उपयोग कर बनाए गए थे. जबकि पटेल की मूर्ति जनता के पैसे से बनाई गई है. और यहां ये बात खत्म होती है.'
It’s a false equivalence. Both the Eiffel tower and Empire State Building were built by individuals using private funds. The statue has been built using public money. Here endeth the discussion. https://t.co/hFMbnHhUoc
— Farhan Akhtar (@FarOutAkhtar) December 1, 2018
ये तो सभी जानते हैं कि सरदार पटेल की मूर्ति मोदी सरकार ने बनाई है और सरकार को पैसा देश भर की जनता टैक्स के रूप में देती है. लेकिन पटेल की मूर्ति को बनाने के लिए बहुत से लोगों ने करोड़ों का दान भी दिया है. लेकिन एफिल टॉवर और एंपायर स्टेट बिल्डिंग को लेकर फरहान अख्तर की कही बात में कितनी सच्चाई थी, ये गौर करने वाली बात है.
सरदार पटेल की प्रतिमा 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' पर 3600 करोड़ की लागत से बनी है
फरहान अख्तर को उनका जवाब भी जल्दी मिल गया. ये एक 'फैक्ट चैक' था जो True Indology ने किया था. इन्होंने फरहान अख्तर की बात को सरासर गलत साबित किया और इस बाबत कुछ तथ्य भी पेश किए.
इनका कहना था- 'ये गलत खबर है. एफिल टावर का निर्माण किसी व्यक्ति के द्वारा निजी धन का उपयोग कर नहीं हुआ है. 1889 में, फ्रांसीसी सरकार ने फ्रांसीसी क्रांति के 100 वर्षों का जश्न मनाने के लिए एक विश्व मेला आयोजित किया था. मंत्री लॉक्रॉय ने एफिल नामक एक इंजीनियर को टॉवर बनाने की जिम्मेदारी दी थी और इसके लिए पब्लिक फंड से 1.5 मिलियन फ्रैंक दिए गए थे.
Fake news.
Eiffel tower was not "built by individuals using private funds".
In 1889, French Govt held a world fair to celebrate 100 years of French Revolution. Minister Lockroy commissioned an engineer named Mr.Eiffel to build the tower with a public fund of 1.5 Million Francs https://t.co/qPXEctdCJT
— True Indology (@TrueIndology) December 2, 2018
उन्होंने 'कंसेशन कॉन्ट्रैक्ट ऑफ एफिल टॉवर' की कॉपी की तस्वीर भी शेयर की. ये कॉन्ट्रैक्ट फ्रांसीसी सरकार और फ्रांसीसी सिविल इंजीनियर मि. एफिल के बीच 8 जनवरी 1887 को हुआ था.
This document named "concession contract of Eiffel tower" was signed by the French Government and the French Civil Engineer Mr. Eiffel on January 8, 1887.
French Govt agreed to sponsor the project with a subsidy of 1.5 million francs. Eiffel would also receive tourist fees pic.twitter.com/xvhjecdGOs
— True Indology (@TrueIndology) December 2, 2018
एफिल पर्यटक फीस और रेस्त्रां का किराया वसूल करने का हकदार था, जिन्होंने 20 सालों तक ऐसा किया भी. कॉन्ट्रैक्ट के अनुसार, उन्होंने 20 सालों तक एफिल टावर की ओनरशिप का आनंद उठाया था.
एफिल टॉवर को बनाने वाले इंजीनियर का नाम था गुस्टावे एफिल जिनके पास 20 सालों तक एफिल टॉवर की ओनरशिप थी
इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती कि ये एक "निजी परियोजना" थी. और एफिल की मृत्यु एक अमीर आदमी के तौर पर ही हुई थी.
Eiffel was entitled to received the tourist fees and rent of restaurants that had propped up there for 20 years. according to contract, he enjoyed ownership of Eiffel tower for 20 years.
This was not a "private project" by any stretch of imagination and Eiffel died a rich man pic.twitter.com/AG9lHLOtke
— True Indology (@TrueIndology) December 2, 2018
विश्व मेला "एक्सपोज़ीशन यूनिवर्सल" एक सफल कार्यक्रम रहा और 30 मिलियन पर्यटक एफिल टावर देखने के लिए गए. अनुमानित आय 324 मिलियन डॉलर थी जिसके सामने निर्माण लागत बहुत ही मामूली थी. इस कॉन्ट्रैक्ट ने एफिल को उस समय के दुनिया के सबसे अमीर पुरुषों में से एक बना दिया था.
The world fair "Exposition Universalle" was a successful event and 30 million tourists turned up to watch the Eiffel tower.
The estimated income was $324 million which completely dwarfed construction costs.
The contract made Eiffel the one of world's richest men of the time pic.twitter.com/9l6fgcUCXg
— True Indology (@TrueIndology) December 2, 2018
तो फिलहाल एफिल टॉवर के बारे में फरहान अख्तर ने जो कहा था कि एफिल किसी व्यक्ति विशेष की निजी संपत्ति थी और उसे किसी ने निजी पैसों से बनवाया था, उसे इन तथ्यों ने गलत साबित कर दिया.
सरदार पटेल की मूर्ति बनी, उसे लेकर लोगों ने सरकार की बहुत आलोचनाएं की. देश की जनता को पूरा अधिकार है कि वो सरकार के किसी भी फैसले के साथ सहमत हो या न हो. लेकिन उसके पीछे गलत जानकारी प्रचारित करना लोगों को शोभा नहीं देता. हालांकि 'ट्रू इंडोलॉजी' ने फरहान अख्तर की बात को सिर्फ सही किया, लेकिन लोगों ने उन्हें ही सरकार की तरफदारी करने वाला, BJP का प्रचारक और सरदार पटेल की मूर्ति के बनने को सही कहने वाला बता दिया. अब लोगों का क्या करें...
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