ये हैं 5 सबसे खतरनाक रासायनिक हथियार, चंद सेकेंड में ले लेते हैं जान
रासायनिक हथियार आपको सुनने में भले ही महज किसी आम हथियार जैसा लगे, लेकिन इससे होने वाला विनाश दिल दहला देने के लिए काफी है. प्रथम विश्व युद्ध के दौरान भी कई रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल हुआ था, जिनसे हजारों लोगों की मौत हो गई थी.
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रूस के रक्षा मंत्रालय ने दावा किया है कि उसे सीरिया में 40 टन से भी अधिक रासायनिक हथियार बरामद हुए हैं. फ्रांस के राष्ट्रपति ने कहा है कि अगर उन्हें ऐसी जानकारी मिली कि आम लोगों के खिलाफ रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया गया है तो फ्रांस की सेना सीरिया पर हमला तक कर सकती है. अमेरिका ने भी सीरिया को रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल न करने की चेतावनी दी है. रासायनिक हथियार आपको सुनने में भले ही महज किसी आम हथियार जैसा लगे, लेकिन इससे होने वाला विनाश दिल दहला देने के लिए काफी है. प्रथम विश्व युद्ध के दौरान भी कई रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल हुआ था, जिनसे हजारों लोगों की मौत हो गई थी. तो आइए जानते हैं रासायनिक हथियार क्या होते हैं और इनके हमले से कितनी भयावह स्थिति पैदा हो सकती है? साथ ही जानेंगे 5 सबके खतरनाक रासायनिक हथियारों के बारे में.
क्या होते हैं रासायनिक हथियार?
जब किसी जहरीले रसायन यानी कैमिकल को हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, तो उसे रासायनिक हथियार कहते हैं. इसमें जहरीली गैस या अन्य जहरीले पदार्थ का हमला किया जाता है. इस हथियारों के इस्तेमाल को लेकर फ्रांस और अमेरिका जैसे देश भी इसलिए खौफ खाए हुए हैं, क्योंकि ये पल भर में ही हजारों-लाखों लोगों को मौत की नींद सुलाने के लिए काफी है.
कितने खतरनाक होते हैं ये?
रासायनिक हमले की सबसे खतरनाक बात ये है कि इससे लोग घुट-घुट कर मरते हैं और ये हमला कब हो गया, आपको पता भी नहीं चलता. जब तक किसी को पता चलता है कि रासायनिक हमला हुआ है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है और हजारों-लाखों लोग मौत के मुंह में समा चुके होते हैं. अप्रैल 2017 में सीरिया में एक रासायनिक हमला होने की खबर थी, जिसमें करीब 80 लोगों की मौत हो गई थी. मरने वालों में 20 बच्चे भी शामिल थे. इसे लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक में पश्चिमी देशों ने सीरिया की सरकार की निंदा भी की थी.
ये हैं सबसे खतरनाक 5 रासायनिक हथियार
1- VX के हथियार
यह एक ऐसा खतरनाक जहरीला रासायनिक मिश्रण होता है, जिससे चंद सेकेंडों में ही व्यक्ति की मौत हो जाती है. उत्तर कोरिया के तानाशाह शासक किम जोंग उन के भाई किम जोंग नैम की हत्या इसी रसायन से की गई थी. यह सीधे इंसान के तंत्रिका तंत्र यानी nerve system पर हमला करता है. इसके महज 10 मिलीग्राम ही किसी व्यक्ति की जान लेने के लिए काफी हैं. इसका न कोई रंग होता है, न स्वाद होता है और न ही कोई गंध होती है. यह रसायन तंत्रिका तंत्र पर हमला करके सांसों को बंद कर देता है, जिससे दिल धड़कना बंद हो जाता है और व्यक्ति की मौत हो जाती है. इसकी सबसे खतरनाक बात ये है कि यह त्वचा के अंदर घुस जाता है. यानी अगर किसी के शरीर पर इसके 10 मिलीग्राम डाल दिए जाएं तो यह उसके शरीर के अंदर घुस जाएगा और चंद सेंकेंड में ही व्यक्ति की मौत हो जाएगी. देखिए किम जोंग नैम की हत्या का वीडियो-
2- सारीन (sarin) लिक्विड और गैस
यह भी VX जैसा होता है, लेकिन उससे थोड़ा कम खतरनाक होता है. ठीक VX की तरह ही सरीन भी व्यक्ति के तंत्रिका तंत्र पर हमला करता है. इसकी एक बूंद भी अगर किसी पर पड़ जाए तो उसकी मौत हो जाती है. 1995 जापान के टोक्यो में एक सब-वे के अंदर सरीन की गैस से हमला किया गया था, जिसमें 13 लोगों की मौत हो गई थी और करीब 6000 लोग घायल और बीमार हो गए थे. एक व्यक्ति ने इस गैस से भरा बैग सब-वे के अंदर फाड़ दिया था, जिससे लोग इस गैस के संपर्क में आ गए.
1995 में टोक्यो के सब-वे में सरीन अटैक हुआ था, जिसमें 13 लोगों की मौत हो गई थी.
3- मस्टर्ड (mustard) गैस
यह वही गैस है, जिसका इस्तेमाल प्रथम विश्व युद्ध के दौरान भी किया गया था. इसे सल्फर मस्टर्ड [(Cl-CH2CH2)2S] भी कहते हैं. इसका असर काफी धीरे-धीरे होता है. मस्टर्ड गैस आंखों, श्वसन तंत्र, त्वचा और कोशिकाओं पर हमला करती है. पहली बार जब ये गैस शरीर पर लगती है तो ऐसा लगता है जैसे कि जल गया हो, लेकिन कुछ देर बाद ही इसकी वजह से बेहद तेज दर्द होने लगता है. इस गैस की वजह से इंसान अंधा भी हो सकता है. हालांकि, इस गैस से मौत नहीं होती है, लेकिन अगर बहुत अधिक मात्रा में यह किसी के शरीर में चली जाए तो उसकी मौत भी हो सकती है. प्रथम विश्व युद्ध के दौरान भी जितने लोगों पर मस्टर्ड गैस का हमला किया गया था, उनमें से सिर्फ 5 फीसदी लोगों की ही मौत हुई थी.
4- फॉस्जीन (Phosgene) गैस
यह गैस भी बेहद खतरनाक होती है, जिसका इस्तेमाल प्रथम विश्व युद्ध में हुआ था. जैसे ही कोई शख्स इस गैस के संपर्क में आता है, उसकी सांस फूलने लगती है और फिर कफ बनने लगता है और नाक बहने लगती है. खैर, आपको बताते चलें कि इस गैस का इस्तेमाल प्लास्टिक और कुछ तरह के कीटनाशक बनाने में भी किया जाता है. इस गैस का मकसद भी किसी को जान से मारना नहीं होता है, लेकिन अधिक मात्रा में शरीर में जाने पर इसका खतरनाक परिणाम हो सकता है. प्रथम विश्व युद्ध में जर्मनी ने ब्रिटिश सेना पर करीब 88 टन फॉस्जीन का इस्तेमाल किया था, जिसमें लगभग 120 लोगों की मौत हो गई थी और 1069 लोग बुरी तरह से घायल हो गए थे. प्रथम विश्व युद्ध में जितने भी लोगों की रासायनिक हथियारों से मौत हुई थी, उनमें से 80 फीसदी फॉस्जीन गैस की वजह से ही मरे थे.
प्रथम विश्व युद्ध में भी रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया गया था, जिससे बहुत से लोगों की मौत हुई थी.
5- क्लोरीन (chlorine) गैस
आमतौर पर सफाई करने, कीटनाशक बनाने, रबर बनाने या फिर पानी को साफ करने के लिए किया जाता है. वहीं दूसरी ओर, अगर क्लोरीन की बहुत अधिक मात्रा किसी के शरीर में चली जाए तो वह जानलेवा साबित हो सकती है. इस गैस का हमला सीधे फेफड़ों पर होता है, जिससे व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत होती है, जिसकी वजह से मौत भी हो सकती है.
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