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Updated: 22 मार्च, 2018 06:13 PM
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देश में सूखे की वजह से हाहाकार मचा हुआ है, पानी के लिए लोग एक-दूसरे का खून बहाने से भी नहीं चूक रहे हैं. पानी की किल्लत ऐसी कि जान की कीमत भी कम पड़ जाए.' आज के समय में देश के कई राज्यों में पानी की समस्या ने विकराल रूप ले लिया है. कोई सिर्फ पानी की कमी को पूरा करने के लिए कई शादियां कर रहा है, तो कहीं पर पानी की सुरक्षा के लिए हथियारबंद गार्ड तैनात कर दिए गए हैं. जिन्हें पानी की कोई कमी नहीं है, उन्हें तो ये सब सिर्फ एक कहानी भर लगेंगे, लेकिन इस कहानी के पीछे कितना दर्द छुपा है, इसका अंदाजा आपको दिल्ली की इस लड़की की कहानी सुनकर समझ आ जाएगा.

दिल्ली : छोटी लड़की शारदा, कड़ी धूप और पानी के लिए लंबी लाइन

शारदा की कहानी दिखाती है कि जीने के लिए कितना संघर्ष है. उसे पानी लेने के लिए घंटों कड़ी धूप में लंबी लाइनों में खड़े रहना पड़ता है. हाथ में बाल्टी और बोलतें लिए दिल्ली जल बोर्ड के टैंकर का इंतजार कर रहे लोगों में एक शारदा भी है. जैसे ही टैंकर आता है, पानी के लिए प्यासे लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है. कई बार तो ऐसा भी हो जाता है कि अफरा-तफरी मच जाती है और शारदा को खाली हाथ ही लौटना पड़ता है और बाजार से महंगा पानी खरीदकर पीना पड़ता है. पानी का टैंकर तीन दिनों में एक बार आता है और वो भी सुबह-सुबह 7 बजे, ऐसे में जो जल्दी उठकर पानी लेने चला गया, उसे तो पानी मिल जाता है, लेकिन जिसने देर कर दी, उसे पछताना पड़ता है.

पानी दिवस, किसान, सूखा, फसल, दिल्ली, गुजरात, ओडिशा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्रदिल्ली में पानी को लेकर झगड़ा होना एक आम सी बात है, लेकिन ये एक गंभीर समस्या है.

दिल्ली के साउथ वेस्ट डिस्ट्रिक्ट के पालम इलाके में तो विमला देवी नाम की एक महिला के पति की पानी के झगड़े में ही मौत तक हो चुकी है. महिला के पति दिल्ली पुलिस से रिटायर्ड एसआई थे, जो पानी लेने गए थे, लेकिन जिंदा वापस नहीं लौटे. दिल्ली का पानी भी जहरीला हो चुका है. जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार 158 जिले का भू-जल खारा निकला, 267 जिलों में ज्यादा मात्रा में फ्लोराइड, 385 जिले में नाइट्रेट्स, 53 जिले में आर्सेनिक और 270 जिलों में आयरन की मात्रा ज्यादा पाई गई. 63 जिले में ज्यादा मेटल पाए गए, जैसे- लीड, क्रोमियम, कैडमियम जो कि हमारे शरीर के लिए हानिकारक हैं.

मध्य प्रदेश: पानी की रखवाली के लिए हथियारबंद गार्ड

आपने सोने-चांदी और रुपए-पैसे की रखवाली करते हथियार बंद गार्ड तो देखें होंगे, लेकिन क्या कभी पानी की रखवाली करते गार्ड देखे हैं. मध्य प्रदेश में जाइए, आपको ये नजारा भी देखने को मिल जाएगा. जिस तरह दिल्ली में पानी की दिक्कत है, उसी तरह मध्य प्रदेश में भी दिक्कतें सामने आई हैं. बुंदेलखंड के टीकमगढ़ में पानी की रखवाली के लिए 3-4 हथियारबंद गार्ड तैनात हैं. दरअसल, वहां की नगर पालिका परिषद को डर रहता है कि उनके हिस्से का पानी नजदीकी यूपी के लोग न चुरा लें, ऐसे में गार्ड तैनात करते पड़ रहे हैं. मध्यप्रदेश में शाहपुरा तालाब के आसपास के इलाकों का भू-जल पीने योग्य नहीं है. सरकारी जांच एजेंसी ने इसे स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक बताया गया है. इसके बावजूद टैंकर संचालकों द्वारा इस भूजल की सप्लाई करने की खबरें भी आई हैं.

पानी दिवस, किसान, सूखा, फसल, दिल्ली, गुजरात, ओडिशा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्रयूपी के लोग पानी चुरा न लें, इसलिए मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ में नगर पालिका परिषद ने पानी पर पहरा लगा रखा है.

महाराष्ट्र: जितनी ज्यादा बीवियां, उतना अधिक पानी

अब बात करते हैं महाराष्ट्र की, यहां पर पानी के लिए लोग अधिक शादियां कर रहे हैं. लोग अधिक शादियां करते हैं, क्योंकि जितनी अधिक पत्नियां होगीं, उतना अधिक पानी लाएंगी. इन्हें पानी पत्नी भी कहा जाता है. महाराष्ट्र के डेंगेंमल गांव में कोई नल नहीं है. यहां पानी पीने के लिए सिर्फ दो कुंए हैं, जो चट्टानी पहाड़ों के पास हैं. कुएं के पास काफी भीड़ होने के कारण पानी भरने में काफी वक्त लग जाता है. इसी कारण यहां के लोगों ने एक से ज्यादा शादी की हैं. यहां के निवासी शकाराम भगत (66) ने बताया कि यहां पानी लाने में काफी वक्त लगता है, इसलिए उन्होंने तीन शादियां की हैं. इनमें 2 पत्नियां पानी लाती हैं और तीसरी घर संभालती है.

पानी दिवस, किसान, सूखा, फसल, दिल्ली, गुजरात, ओडिशा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्रशकाराम भगत (66) ने तीन शादियां की हैं, दो पत्नियां पानी लाती हैं, एक घर संभालती है.

ओडिशा: नदी किनारे गड्ढा खोदकर जमा करना पड़ता है पानी

ओडिशा के जिले कालाहांडी में गर्मियों के समय पानी की काफी किल्लत हो जाती है. पानी की समस्या दूर करने के लिए यहां की औरतें सूर्योदय में घरों से निकल कर एक से डेढ़ किलोमीटर पैदल चलकर नदी के तट के पास जाती हैं और वहां एक गड्डा खोदती हैं, जिसमें जमीन का पानी जमा होता है. जमीन के इस पानी से ही उनकी प्यास बुझती है. गड्ढा छोटा होगा या बड़ा, ये इस बात पर निर्भर करता है कि जहां पर गड्ढा खोदा जा रहा है वहां पर जमीन में पानी का लेवल कितना है. कई बार लोग एक से अधिक गड्ढे भी खोदते हैं, ताकि उनकी पानी की कमी आसानी से पूरी हो सके. यह उनके के लिए काफी संघर्ष भरा काम है परंतु उनके पास कोई और उपाए भी नहीं है. चूंकि इस गड्डे में पानी जल्दी सूख जाता है, इसलिए उन्हें पानी लेने एक बार से अधिक आना पड़ता है. पानी दूषित होने के कारण कई बार उनकी तबियत भी खराब हो जाती है. छत्तीसगढ़ और ओडिशा राज्यों के बीच पिछले 33 साल से विवाद चल रहा है, जो अब राजनीतिक रंग ले चुका है. दोनों ही राज्यों की राजनीतिक के बीच पिस रहे हैं गरीब किसान, जिन्हें न तो सिंचाई के लिए पानी मिल पा रहा है, ना ही पीने के लिए.

पानी दिवस, किसान, सूखा, फसल, दिल्ली, गुजरात, ओडिशा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्रओडिशा में महिलाएं कुछ इस तरह से गड्ढा खोद कर पानी निकालती हैं.

गुजरात: सी-प्लेन उतारने में पानी बर्बाद दिया, किसान सूखे से मर रहे हैं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात में हर तीन साल में एक बार सूखा पड़ता है. औद्योगिक नजरिए से तो गुजरात बहुत समृद्ध है, लेकिन अगर बात किसानों की करें तो पानी की दिक्कत के चलते उन्हें मुसीबतों का सामना करना पड़ता है. पानी की कमी की वजह से किसानों की फसल खराब हो जाती है, जिससे उन्हें भारी नुकसान होता है. किसानों को पानी मुहैया कराने को लेकर ही नर्मदा विवाद भी चल रहा है, ताकि किसानों को पानी मिल सके. पिछले साल दिसंबर में हुए गुजरात विधानसभा चुनाव में भी पानी की दिक्कतों का असर देखने को मिला. ग्रामीण क्षेत्रों से वहां की सत्ताधारी भाजपा की सरकार को काफी कम वोट मिले. यहां तक कि मोरबी जिले से तो एक भी वोट नहीं पड़ा. गांव को लोग इस बात से नाराज थे कि मोदी सरकार ने उन्हें पानी मुहैया कराने की व्यवस्था नहीं की और सी-प्लेन उतारने में डैम भरकर सारा पानी बर्बाद कर दिया. फिलहाल ग्रामीणों को सिंचाई के लिए पानी देने से भी मना कर दिया गया है.

पानी दिवस, किसान, सूखा, फसल, दिल्ली, गुजरात, ओडिशा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्रसी-प्लेन के लिए पानी था, अब किसानों के लिए नहीं है.

राजस्थान: पानी नहीं बजने दे रहा शहनाई

देश में पानी कई रंग दिखा रहा है और उसका एक रंग ये भी है कि पानी की वजह से लड़कों की शादी नहीं हो रही. राजस्थान और हरियाणा की सीमा पर बुड़ाक नाम का एक गांव है, जहां के 70 लड़कों की शादी सिर्फ इसलिए नहीं हो पा रही है क्योंकि उस गांव में पानी की दिक्कत है. यूं तो ये गांव हरियाणा में आता है, लेकिन इसकी प्यास राजस्थान से ही बुझती है. राजस्थान से टैंकरों के सहारे पानी बुड़ाक गांव लाया जाता है, जिससे लोग अपनी और अपने जानवरों की प्यास बुझाते हैं, कपड़े धोते हैं, बर्तन साफ करते हैं और अन्य जरूरी काम करते हैं. जब भी कोई रिश्ता लेकर यहां आता है तो वो सबसे पहले खेती के बारे में पूछता है और तब सामने आती है पानी की भयानक किल्लत से होने वाली परेशानी. वो परेशानी जिसके चलते न तो खेती हो पाती है, ना ही लोगों की रोजमर्रा की जरूरतें पूरी हो पाती हैं. ऐसे में कोई भी अपनी लड़की की शादी ऐसे गांव में नहीं करना चाहता है.

तमिलनाडु और कर्नाटक: पानी ने लगा दी 'आग'

इन दो राज्यों में एक विवाद फैला हुआ है, जिसके चलते पानी ने 'आग' लगा दी है. यहां कावेरी नदी को लेकर 137 साल से विवाद चल रहा है, जिसके चलते हिंसा और आगजनी जैसी घटनाएं भी हो चुकी हैं. सितंबर 2016 में तो इसकी वजह से धारा 144 तक लागू करनी पड़ी थी. सबसे पहले तकरार 1881 में हुई थी, जो अब तक जारी है. विवाद के निपटारे के लिए 1990 में कावेरी जल विवाद ट्राइब्यूनल (CWDT) बनाया गया, जिसने कहा कि कर्नाटक को जून से लेकर मई तक हर साल 192 टीएमसी फुट पानी छोड़ना होगा. ट्राइब्यूनल ने कहा कि खराब मानसून वाले साल में सभी राज्यों को इसी अनुपात में जल में कमी को साझा करना होगा. लेकिन इस प्रावधान ने कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच विवाद और बढ़ा दिया. खराब मानसून के चलते पिछले कुछ सालों में कर्नाटक बार-बार यह कहता रहा है कि उसके पास इतना पानी नहीं है कि तमिलनाडु को दे. सितंबर 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक को आदेश दिया कि वह अगले 10 दिनों के लिए हर दिन तमिलनाडु को कावेरी नदी का 15,000 क्यूसेक पानी दे. सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद पूरे कर्नाटक में बड़े पैमाने पर हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए.

पानी दिवस, किसान, सूखा, फसल, दिल्ली, गुजरात, ओडिशा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्रकावेरी जल विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पूरे बेंगलुरु में हिंसा फैल गई

उत्तर प्रदेश: पानी के लिए हुई लड़ाई

जिस तरह दिल्ली, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र में पानी को लेकर झगड़ा चल रहा है, पश्चिम उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर से भी वैसा ही एक मामला सामने आया है. एक ट्यूबवेल से पानी लेने को लेकर दो गुटों के बीच झड़प हो गई, जिसमें आठ महिलाएं और एक व्यक्ति घायल हो गए. एक सार्वजनिक ट्यूबवेल पर महिलाएं पानी लेने के लिए इकट्ठा हुई थीं. एक महिला ने लाइन से निकलकर आगे जाने की कोशिश की, तो कहासुनी शुरू हो गई. यही कहासुनी बाद में बड़े झगड़े में तब्दील हो गई और महिलाओं ने आपस में लड़ाई कर ली, जिसमें कई महिलाएं घायल हुईं.

पूरे देश में अलग-अलग जगहों पर पानी की समस्या तो है ही, लेकिन उससे निपटने के सबके अलग-अलग तरीके हैं. जिस तरह ओडिशा में रोज गड्ढा खोदकर पानी पीने तक की नौबत आ गई है और जैसे लोग सिर्फ पानी लाने के लिए अधिक शादियां कर रहे हैं, उससे सरकार पर सवाल उठना लाजमी है. किसानों तक पानी पहुंचाने के वादे तो हर नेता अपने भाषण में करता है, लेकिन ये वादे सिर्फ चुनाव जीतने तक सीमित होकर रह जाते हैं और अंत में किसान अपनी जिंदगी जैसे जी रहा होता है, वैसा ही रह जाता है.

( कंटेंट : निशा यादव, आईचौक के साथ इंटर्न )

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