Foundation Room: लॉसवेगास में धार्मिक अवहेलना पर आखिर दुनिया चुप क्यों है?
अमेरिका (America) में एक बार फिर हिंदू - जैन धर्मों (Indian Religion) का अपमान किया गया है. मामला लास वेगास (Las Vegas) स्थित फाउंडेशन क्लब (Foundation Club) का है जहां क्लब को भारतीय धर्मों के ईश्वरों से सजाया गया है.
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लास वेगास (Las Vegas) में फॉउंडेशन रूम (Foundation Room) नामक एक क्लब है. जिसे भारतीय धर्मों के ईश्वर (Indian God and Goddess) से सजाया गया है. इस क्लब में उन प्रतिमाओं के साथ पोल डांस होता है, न्यूडिटी में बार डांसर्स उन प्रतिमाओं पर बैठकर फ़ोटो खिंचाती हैं. शराब के जाम चीयर्स किए जाते हैं. अश्लीलता का शायद ही कोई रूप बचा हो जो वहां प्रदर्शित ना हो रहा हो. वहां महावीर, बुद्ध, गणेश, नटराज, शंकर आदि कई सनातन धर्मों से जुड़े ईश्वर की प्रतिमाएं हैं जिनके साथ ऐसी दोयम दर्ज़े की हरक़तें हो रही हैं. पश्चिम और पश्चिम की ही तर्ज पर अब इस देश में भी सनातन धर्मों, जिनमें परंपरा, सभ्यता, संस्कार, त्याग, शील, आचरण आदि की बात कही जाती है, उन धर्मों का मज़ाक उड़ाना, उनके कहे के ठीक विपरीत काम करना, उनके ईश्वरों की अवहेलना करना ये आज के दौर में बौद्धिकता, स्वछंदता और विरोध का नया रूप है.
मैं जैन हूं. जैन शास्त्र सुनकर पढ़कर बड़ी हुई हूं. बचपन में एक बार ऐसा हुआ कि दोस्तों के साथ रहकर मैंने एक चुटकुला सीखा. यह चुटकुला किसी दूसरे धर्म के ईश्वर का मज़ाक बनाता था. तब मम्मी ने समझाया था कि ऐसा करना ग़लत है. आप अपने धर्म का पालन करें, अपने ईश्वर के आगे ही सिर झुकाएं यह आपका सदाचार होगा लेकिन आप ऐसा करते हुए किसी दूसरे के धर्म का या ईश्वर का मज़ाक बनाएं तो यह अनाचार होगा.
Have to apply filter on pics & post . This club in las Vegas, USA has the most inappropriate placing of Hindu & Jain deities where ppl drink ,smoke & do drugs.Please retweet & tag Jain & Hindu Temples & other indian foundation in USA ,so appropriate action can be taken pic.twitter.com/bNHYoTAjYi
— agamshastra (@truejainology) June 21, 2020
अफ़सोस कि पश्चिमी उच्छृंखलता में यह सीख नहीं दी जाती. वे सर्वोच्च हैं और स्वछंदता ही एक मार्ग है यह मानने वालों के आगे हर तर्क बेकार होता है. किंतु यह कहां तक सही है कि अपनी मौज मनाने में आप किसी दूसरे की भावनाओं को ठेस उनके ईश्वर का अपमान करके पहुंचाएं?
लास वेगास के एक क्लब में जमकर भारतीय संस्कृति की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं
वे ईश्वर जिन्होंने दिगंबर दशा धारण की, शील अपनाया, ब्रह्मचर्य साधा, संसार से मोह त्यागकर स्व में लीन हो गए, जिनकी प्रतिमाओं को शुद्धता के साथ ही छूने की बात कही है, उनकी गरिमा और सम्मान की बात कही है, उस सबके ठीक विपरीत उनके सामने यूं फूहड़ता प्रदर्शित करना भी क्या आनंद और अभिव्यक्ति की आज़ादी मानी जाएगी या फिर हमारी अनदेखी और कमज़ोरी है यह कि इसे स्वीकार करने पर मजबूर हैं?
Such pictures are disturbing ! Here more shocking is the this place named Foundation room Mandalay BayIt's an club which serves alcohol , beef and non vegetarian food.Here ppl come to party and click such inappropriate pictures with the idol which is not acceptable.Thread.. pic.twitter.com/bDmbV8bMXo
— Arpit jain (@arpitjain__) June 21, 2020
मैं मानती हूं कि उस क्लब में रखी गईं ये प्रतिमाएं धार्मिक रीतियों से प्राण प्रतिष्ठित नहीं की गई हैं. अतः जैसा कि धर्म में लिखा है बिना प्राण प्रतिष्ठा के ये मात्र पत्थर का एक टुकड़ा हैं किंतु सांकेतिक रूप में तो यह सरासर अवहेलना और विरोध का घटिया रूप है. धिक्कार है आनंद के ऐसे रूप पर जिसमें अपनी मौज के लिए आप अन्य धर्मों के ईश्वर का यूं मज़ाक बना रहे हैं, उनके अनुयायियों की भावनाओं को ठेस पहुंचा रहे हैं.
'नाइटक्लब' ये शब्द सुनकर आपके दिमाग में क्या आता है? यह भोग-विलास की जगह है. पश्चिम में तो यह नशा और न्यूडिटी का केंद्र है. इस केंद्र में हिन्दू भगवानों की मूर्तियां लगाकर उनके साथ पोल डांस करना, अश्लील तस्वीरें खिंचवाना, जाम छलकाना क्या सांकेतिक रूप से हमारी संस्कृति और धर्म की अवहेलना नहीं है? हैरानी की बात है ना कि वहां गणेश से लेकर महावीर तक की प्रतिमाएं हैं लेकिन जीसस की नहीं.
यदि उन्हें वाक़ई 'नाइटक्लब' में भी धार्मिक ज़ोन बनाना ही होता तो वे उस ईश्वर का ना बनाते जिसमें उनकी आस्था है? लेकिन नहीं जिसमें उनकी आस्था है उसके सामने कैसे नंगानाच करेंगे? हां लेकिन दूसरों के ईश्वर के सामने किया जा सकता है. Foundation Room नाम के इस नाइट क्लब की अमेरिका के कई शहरों में ब्रांच हैं और उनमें इन्होंने अनेकों हिन्दू/जैन/बुद्ध की प्रतिमाएं लगा रखी हैं. क्या यह देखकर भी आंख मूंद लेनी चाहिए? या 'प्राण प्रतिष्ठा के बिना कैसा भगवान' जैसे तर्क से अपने मन को शांत कर लेना चाहिए?
जब हमें किसी का विरोध करना होता है तो हम पुतला जलाते हैं. यह सांकेतिक विरोध होता है. यही सांकेतिक विरोध और अवहेलना हमारे ईश्वर की वहां हो रही है. एक हवसी आदमी किसी स्त्री की तस्वीर सामने रखकर अपनी हवस पूरी कर लेता है, तो क्या हम उसका विरोध नहीं करेंगे यदि हमें पता चले कि उसने जो तस्वीर रखी है वह हमारी ही मां-बहन की है.
यहां तो बात ईश्वर की है. वह ईश्वर जिसने ब्रह्मचर्य अपनाकर सांसारिक मोह त्याग दिया उसकी प्रतिमा के साथ पोल डांस जैसी अश्लील हरकतें क्या अनदेखी कर देनी चाहिए? आप किसी को धर्म पालने के लिए मजबूर नहीं कर सकते लेकिन अपनी आस्था और इष्ट की इस तरह बेज़्ज़ती देखकर चुप भी तो नहीं रह सकते.
कई लोग इसके विरोध में कानूनी कार्यवाही करने की कोशिश कर रहे हैं. यह कितनी सफ़ल होगी पता नहीं लेकिन इसे युहीं छोड़ देने को दिल नहीं मानता. चुप रह जाने को दिल नहीं मानता. क्या हमारी चुप्पी ही ग़लत को बढ़ावा देना नहीं होती? आप जो भी इसे पढ़ रहे हैं, इसके विरोध में यदि कुछ भी कर सकते हैं तो करें.
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