देश के चीफ जस्टिस के खिलाफ 'बगावत' !
भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में शुक्रवार को अभूतपूर्ण घटना हुई. सुप्रीम कोर्ट के चार मौजूदा जजों ने प्रेस कान्फ्रेंस करके भारत के चीफ जस्टिस के कामकाज के खिलाफ असंतोष जाहिर किया है. और इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बताया है.
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सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों ने न्यायपालिका को कटघरे में खड़ा कर दिया है. उन्होंने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट में बहुत सारी अनियमितताएं हो रही हैं, जिसे लेकर उन्होंने करीब 2 महीने पहले मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र भी लिखा था. उस पत्र में सुप्रीम कोर्ट की अनियमितताओं के अलावा कई जजों के खिलाफ शिकायत भी की जा चुकी है. इन जजों ने अपनी बात में कहा कि देश का लोकतंत्र खतरे में है. जजों के अनुसार सुप्रीम कोर्ट सही तरीके से काम नहीं कर रहा है. इन चार जजों में जस्टिस चेलमेश्वर, जस्टिस गोगोई, जस्टिस कुरियन जोसेफ और जस्टिस मदन लोकुर हैं.
जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा कि न्यायपालिका की निष्ठा पर लगातार सवाल उठ रहे हैं, इसलिए यह पत्र लिखा गया था. वह बोले कि जब हम जैसे वरिष्ठ जजों की बात पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई तो फिर हमारे सामने कोई रास्ता नहीं बचा और हमें प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी पड़ी. उस पत्र में सीजेआई से गड़बड़ियों की शिकायत की गई थी, जिसमें कई जजों पर भी सवाल उठाए. उन्होंने बताया कि पत्र में कहा है कि कुछ खास चीजें एक नियत तरीके से ही होनी चाहिए.
दो मामलों से तल्खी ?
एमसीआई केस : एमसीआई भ्रष्टाचार से जुड़े मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में पहले चेलमेश्वर की बेंच को करनी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट का रोस्टर तय करने वाले चीफ जस्टिस ने अपने अधिकारों का उपयोग करते हुए जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच को ट्रांसफर कर दिया. इस पर वकील प्रशांत भूषण ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा से ऐतराज जताया था कि इस मामले में उनका भी नाम है. इसलिए वे ऐसा न करें. 11 नवंबर 2017 को प्रशांत भूषण को नाराज होते हुए सुप्रीम कोर्ट बाहर आना पड़ा था. शुक्रवार को जस्टिस चेमलेश्वर ने अपने पत्र में इस मुद्दे को भी रेखांकित किया है.
जज लोया की मृत्यु का मामला : सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर केस की सुनवाई कर रहे सीबीआई जज बीएच लोया की संदिग्ध मृत्यु के मामले ने भी सुप्रीम कोर्ट के भीतर हलचल मचाई है. इस मामले की जांच के लिए जनहित याचिका पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है. इस केस में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी आरोपी हैं. जब जस्टिस चेलमेश्वर से पूछा गया कि क्या उनका विरोध जज लोया की मृत्यु से जुड़े मामले को लेकर भी है, तो उन्होंने जवाब 'हां' में दिया. इस केस की सुनवाई भी सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच कर रही है.
सुप्रीम कोर्ट के विवाद में मोदी सरकार का जिक्र भी हो रहा है
सुप्रीम कोर्ट के चार जजों की प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने सवाल किया कि क्या सुप्रीम कोर्ट के कामकाज में सरकार का हस्तक्षेप हो रहा है, तो उन्होंने इसका कोई सीधा जवाब नहीं दिया. लेकिन, चार जजों ने जिस पत्र को जारी किया है उसमें इस बात का इशारा किया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट का कामकाज मनमाने ढंग से हा रहा है. जिसमें कुछ खास हित साधे जाते हुए दिख रहे हैं.
इस घटनाक्रम के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को तलब किया. और इस बारे में बात की. वहीं दूसरी ओर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने भारत के अटॉनी जनरल जी वेनुगोपाल से मीटिंग की.
प्रशांत भूषण ने अपना बचा-खुचा गुस्सा निकाला :
एमसीआई केस में चीफ जस्टिस के कामकाज पर सवाल उठे चुके वकील प्रशांत भूषण को देश के चार वरिष्ठ जजों की प्रेस कान्फ्रेंस के बाद फिर मौका मिल गया. उन्होंने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि चीफ जस्टिस अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए जूनियर जजों को महत्वपूर्ण केस सौंप रहे हैं ताकि वे उनसे मनमाना नतीजा पा सकें.
अब आगे क्या...
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जजों और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के बीच विवाद के सार्वजनिक होने से अजीब स्थिति पैदा हो गई है. यही जज महत्वपूर्ण नियुक्तियों के लिए कॉलेजिमय के बतौर पर भी काम करते हैं. चूंकि ऐतराज का एक कारण जस्टिस लोया की मृत्यु से भी जुड़ा है, जिसका असर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से जुड़े एक मामले पर भी होता दिख रहा है. ऐसे में सरकार का सीधा हस्तक्षेप भी विवाद को नया रूप दे सकता है. सुब्रमणियन स्वामी पहले ही कह चुके हैं कि सुप्रीम कोर्ट के इस मतभेद से सरकार को दूर ही रहना चाहिए. ऐसे में अब चीफ जस्टिस और अटॉर्नी जनरल की भूमिका पर सारा दारोमदार टिका हुआ है.
बेहद महत्वपूर्ण लोगों के खास ट्वीट :
There’re many wise men saying many wise things in this country. We don’t want wise men saying 20 yrs from now that Justice Chelameswar, Gogoi, Lokur and Kurian Joseph sold their souls and didn’t do the right thing by our constitution: Justice Chelameswar
— Shekhar Gupta (@ShekharGupta) January 12, 2018
#JudgesPressConference - Here is the letter by Justice Chelameswar, Gogoi, Lokur and Kurian Joseph. 7 page letter. (1/2) pic.twitter.com/XY9tZQZHpL
— Bar & Bench (@barandbench) January 12, 2018
History repeats in a different way. Judges of SC had rebelled against Indira Gandhi as she interfered with appointment of judges. But never addressed PC like this. Today these honourable men criticised CJI, but who is the boss pulling the strings?
— nikhil wagle (@waglenikhil) January 12, 2018
No matter which side you are on ideologically this is open war in the Indian judiciary and status quo is unsustainable. Something has to give. This is a full blown constitutional crisis. Who will intervene? CJI, President, Parliament or...?
— barkha dutt (@BDUTT) January 12, 2018
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