बेंगलुरु में युवती के साथ हुई हरकत का मास्टरमाइंड तो कहीं और है...
बेंगलुरु में दो लड़कों ने सरेराह एक लड़की के साथ बदसलूकी की और घटना सीसीटीवी में कैद हो गई. कुछ लड़के हिरासत में ले लिए गए हैं. लेकिन क्या वाकई ये ही इस हमले के मास्टरमाइंड हैं? जवाब है- नहीं.
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बेंगलुरु में नए साल के जश्न पर लड़कियों के साथ जो कुछ भी हुआ उसकी जितनी भी निंदा की जाए कम है. कर्नाटक के गृहमंत्री दावा कर रहे हैं कि इस मामले में कुछ लड़कों को गिरफ्तार किया गया है. लेकिन क्या इन लड़कों को पकड़कर इस घटना की जड़ तक पहुंचा जा सकता है? और क्या अब आगे से ऐसे हमले नहीं होंगे? क्या लड़कियां बेखौफ सड़कों पर आ-जा सकेंगी?
तो इन सब सवालों का एक ही जवाब है- 'नहीं'.
ऐसा इसलिए क्योंकि अब भी ऐसे लोग समाज में मौजूद हैं जो लड़कियों के साथ होने वाली छेड़छाड़ या अन्य ज्यादती के लिए लड़कियों को ही जिम्मेदार मानते हैं. एक तबका ऐसा भी है जो अबू आज़मी के शर्मनाक बयान को न सिर्फ सही ठहरा रहा है बल्कि इस मास मोलेस्टेशन के लिए लड़कियों के छोटे कपड़ों और रात को इंजॉय करने को असल वजह बता रहा है.
लेकिन ऐसे लोगों के लिए हकीकत जानना बेहद जरूरी है. और ये हकीकत सामने लाया है एक वीडियो. जो बेंगलुरु की ही एक सड़क पर लगे सीसीटीवी ने कैद किया.
महिला के साथ जबरदस्ती की और उसे लूटकर भागे लड़के |
इसमें आप देख सकते हैं कि एक लड़की गली के बाहर ऑटो से उतरी कुछ ही दूरी पर अपने घर की ओर जा रही है, इतने में दो बाइकसवार उसे घेरते हैं, उससे जबरदस्ती करते हैं. वो चिल्ला रही थी जिसे सुनकर गली के बाहर कुछ लोग आते भी हैं, लेकिन सबसे शर्मिंदगी की बात ये थी कि वो लोग भी उस लड़की के साथ हो रही ज्यादती तो सिर्फ इंजॉय कर रहे थे. एक भी बंदा उसे बचाने नहीं आया (हो सकता है कि ये लोग इन लड़कों के साथी ही हों). महिला ने उस दरिंदे के थप्पड़ भी लगाया, लेकिन फिर वो उसे घसीटता हुआ दूसरे साथी की तरफ ले गया. और उसके कपड़े खींचने की कोशिश करता रहा. आखिर में लड़की को सड़क पर पटककर उसका पर्स लेकर फरार हो गए.
और जो लोग इन हरकतों के लिए महिलाओं के कपड़ों को दोष दे रहे थे उन्हें तो साफ साफ नजर आ ही रहा होगा कि इस महिला ने न सिर्फ तन ढकने वाले कपड़े पहने हुए थे बल्कि शॉल भी ओड़ रखा था. लेकिन फिर भी उसके साथ ये सब हुआ. इस बात के लिए कोई जवाब है?
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अब बहुत से लोग इस बात का उलाहना देंगे कि रात को लड़की सड़क पर निकलेगी तो ऐसा ही होगा. पर जरा सोचकर देखिए, बड़े शहरों में कितनी ही लड़कियां नाइट शिफ्ट में काम करती हैं और देर रात को ही घर लौटती हैं, ऐसे में क्या उन सबके साथ इस तरह की हरकत होना सिर्फ इसलिए सही है कि वो लड़कियां हैं और रात में घर के बाहर हैं? क्या हम भेड़ियों और पागल कुत्तों के समाज में रहते हैं कि घर से निकलेंगे तो वो हमें नोच खाएंगे? जो लोग समझते हैं कि घर की चारदीवारी और पर्दे में रहने से ही लड़कियों की इज्ज्त महफूज होती है तो वो जान लें कि बलात्कार के सबसे ज्यादा मामले वो हैं जहां घरवालों ने ही लड़कियों को हवस का शिकार बनाया.
तो जनाब, जब तक ऐसी घटनाओं के लिए लड़कियों को ही जिम्मेदार मानने वाले लोग समाज में हैं. तो उनकी सोच बेंगलुरु में स्कूटर पर आए मनचलों को प्रेरणा देती रहेगी. और वे ऐसे हमले करते रहेंगे. फिर राजनीतिक दल आपस में आरोप लगाएंगे. टीवी चैनलों पर बहस होगी. लेकिन वह लड़की, जिसके साथ हादसा हुआ है, उसकी दुनिया बदल गई होगी.
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