अनपढ़ मंगेतर को ना बोलकर क्या लड़की ने पाप कर दिया?
आखिर लड़की ने अनपढ़ लड़के से शादी करने से इंकार करके क्या गुनाह कर दिया? क्यों कोई लड़की ये तय नहीं कर सकती कि उसे किससे शादी करनी है?
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बचपन में एक कहावत खूब सुनी थी. पढ़ोगे लिखोगे तो बनोगे नवाब, खेलोगे कूदोगे तो होगे खराब. खैर पढ़ने-लिखने से नवाबियत का संबंध तो कभी समझ न आया लेकिन हां ये जरुर पता चल गया है कि पढ़ना बहुत जरुरी है. किसी इंसान को इंसान बने रहना है तो एकमात्र उपाय पढ़ाई है. हम जो भी बनते हैं वो अपनी पढ़ाई के बदौलत बनते हैं. इंसान के व्यक्तित्व को पढ़ाई ही शेप देती है. पढ़ाई न हो तो शादी भी टूट सकती है.
मध्यप्रदेश की एक लड़की ने अपने मंगेतर से शादी करने से मना कर दिया क्योंकि उसका मंगेतर अनपढ़ था. एशियन एज के मुताबिक मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिला स्थित पडिया गांव की पप्पी तंवर ने अपने मंगेतर से शादी करने से इंकार कर दिया. पप्पी की मंगनी 6 साल के उम्र में ही कर दी गई थी. अब जब वो खुद बीएससी कर चुकी है तो उसने अनपढ़ लड़के से शादी तोड़ दी.
दम दिखा दिया लड़की ने
लेकिन इस फैसले के लिए लड़की की तारीफ करने के बजाए उसके गांव के खाप पंचायत लड़की के परिवार पर 'झगड़ा पैसा' देने की शर्त रख दी है. लड़की की जाति के 'झगड़ा' प्रथा के अनुसार मंगनी तोड़ने के लिए लड़की के परिवार वाले लड़के के घरवालों को 'झगड़ा पैसा' अदा करेंगे. अधिकारियों के अनुसार लड़की ने अब मध्यप्रदेश के महिला आयोग में शिकायत दर्ज कराई है. लड़के के घरवालों के दबाव में पंचायत द्वारा उत्पीड़न किए जाने की शिकायत लड़की की तरफ से की गई है.
हालांकि लड़की ने कहा कि उसके पिता 'झगड़ा पैसा' का 1.5 लाख देने के लिए तैयार हो गए थे लेकिन लड़के वालों ने अब 3 लाख की मांग करनी शुरू कर दी है. और पंचायत इसमें उनका साथ दे रही है. लड़की ने ये भी बताया कि कंप्यूटर का कारोबार करने वाले एक युवक से शादी के बाद जबर्दस्ती उससे केस वापस करा लिया गया.
आखिर लड़की ने अनपढ़ लड़के से शादी करने से इंकार करके क्या गुनाह कर दिया? क्यों कोई लड़की ये तय नहीं कर सकती कि उसे किससे शादी करनी है? ये खाप पंचायत अगर न्याय करने के लिए बैठे होते हैं तो फिर कैसे वो लड़के वालों की इस मनमानी को देखकर भी चुप हैं?
ये गर्व की बात है कि लड़की ने खुद ये तय किया कि उसे करना क्या है. आखिर शादी के बाद पूरी जिंदगी उसे उस अनपढ़ लड़के के साथ बितानी थी, ऐसे में फैसला भी उसी का होना चाहिए. उम्मीद यही है कि महिला आयोग जल्दी से इस मसले को सुलझा दे और खाप पंचायत के साथ-साथ महिलाओं को पांव की जूती समझने वाले हर इंसान को सबक भी सीखा दे.
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