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समाज
| बड़ा आर्टिकल
Shwet Kumar Sinha
प्रिये प्रियतमा, आज एकबार फिर तुम्हारी नगरी में हूं...
किसी बस स्टॉप पर बस के रूकने पर जब वो परचून वाला चढ़ता तो हमदोनों के ही जीभ लपलपा उठते थे और हमदोनों जी भरकर फिर अपना बचपन जीते. अबकी भी अभी उसी बस में बैठा हूं, पर अकेला. तुम नहीं हो साथ मेरे. पिछली सीट पर ही हूं और बस की उछल-कूद जारी है. पर इसबार बचपन नहीं, तुम्हारे साथ बिताए वो सारे पल जी रहा हूं.
समाज
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एक अलग नज़रिया
| 4-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
जो लोग कहते हैं कि पुरुष सैक्रिफाइस नहीं करते हैं, वे झूठ बालते हैं
यह धारणा गलत है कि सारा त्याग लड़कियां करती हैं. ऐसा कहने वाले शायद किसी जिम्मेदार शादीशुदा पुरुष से नहीं मिले हैं. पुरुष भी त्याग करते हैं. कभी बहन, कभी पत्नी, कभी मां तो कभी बेटी के लिए वो भी कुर्बानियां देते हैं. वो परिवार की जिम्मेदारी उठाने के लिए दिन रात काम करते हैं.
समाज
| 4-मिनट में पढ़ें
श्वेत कुमार सिन्हा
@409932558004725
भरे बाजार में आज बाबू कहकर आवाज क्या लगाई, कुछ इधर गिरे कुछ उधर
समाज की मनोदशा से रूबरू कराती एक लघू व्यंग्य कथा...
समाज
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एक अलग नज़रिया
| 3-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
सोलो ट्रिप पर जाने वाली अकेली लड़की 'खुली तिजोरी' नहीं होती
लड़कियां कहीं अकेले घूमने का नाम लें तो पहले ही मना कर दिया जाएगा, यही सोचकर ज्यादातर लड़कियां सोलो ट्रिप के बारे में घरवालों से पूछती ही नहीं हैं.
समाज
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एक अलग नज़रिया
| 5-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
जमाने ने लड़कों के साथ बहुत सितम किया है, उनका दर्द कोई नहीं समझता
तुम लड़का हो बाबू, याद रखना...जिस तरह बैल की जिम्मेदारी होती है ना पीछे की पूरी गाड़ी को खींचना. ठीक उसी तरह तुम्हारी भी जिम्मेदारी है, पूरे परिवार को खींचना ही पड़ेगा...
सोशल मीडिया
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एक अलग नज़रिया
| 3-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
मेट्रो में लड़की दो सीटों पर अकले बैठी और लड़का खड़ा रहा, इसे क्या कहेंगे?
सोशल मीडिया पर एक तस्वीर खूब वायरल की जा रही है. तस्वीर में दिख रहा है कि एक लड़की मेट्रों में दो सीटों पर पैर पसारकर अकेले बैठी है. जबकि उसके बगल में एक लड़का खड़ा है. लड़के को शायद बैठने के लिए सीट नहीं मिली है.
समाज
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एक अलग नज़रिया
| 3-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
दिल्ली में 10 साल के बच्चे के साथ गैंगरेप, लड़कों का यह दर्द कौन समझेगा?
दिल्ली के सीलमपुर इलाके में एक 10 साल के बच्चे के साथ तीन लोगों ने गैंगरेप किया है. इस जमाने ने लड़कों को मजबूती की संज्ञा देकर कठोर बना दिया. इतना कठोर की वे अपने दर्द को जमाने के सामने लाने से डरते हैं. वे अपने आंसुओं को गालों पर गिरने से पहले ही आंखों में पी जाते हैं.
समाज
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एक अलग नज़रिया
| 4-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
रिलेशनशिप में लड़कों की इन 7 आदतों से लड़कियां हो जाती हैं निराश, उनसे बना लेती हैं दूरी
प्यार में पड़े कुछ लड़के किसी बात पर अपनी प्रेमिका से कहते हैं तुम रहने दो, मैं देखता हूं. पहली बार उनके मुंह से यह बात सुनकर लड़की को लगता है कि वे कितने केयरिंग है. मगर हर बार जब लड़की को यही लाइन सुनने को मिलती है तो वह समझ जाती है कि लड़का उसकी परवाह नहीं करता, बल्कि उसे असक्षम समझता है.
समाज
| 5-मिनट में पढ़ें
देवेश त्रिपाठी
@devesh.r.tripathi
'शाहरुखों' से मेलजोल बढ़ाने से पहले सावधान रहें सभी 'अंकिता'
सोशल मीडिया पर दोस्ती के बाद मेलजोल बढ़ाने से पहले झारखंड (Jharkhand) के अंकिता हत्याकांड (Ankita Murder Case) और दिल्ली (Delhi) में नैना मिश्रा को गोली मारे जाने की घटना से सबक लेना चाहिए. दोनों ही नाबालिग लड़कियां दोस्ती को जबरदस्ती प्यार में बदलने वाले 'जिहाद' का शिकार बनी हैं. वैसे, नैना मिश्रा बच गई है. लेकिन, सबकी किस्मत नैना जैसी नहीं हो सकती है.