सोलो ट्रिप पर जाने वाली अकेली लड़की 'खुली तिजोरी' नहीं होती
लड़कियां कहीं अकेले घूमने का नाम लें तो पहले ही मना कर दिया जाएगा, यही सोचकर ज्यादातर लड़कियां सोलो ट्रिप के बारे में घरवालों से पूछती ही नहीं हैं.
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फिल्म आई थी जब वी मेट. उसमें गीत का किरदार निभाने वाली करीना कपूर की ट्रेन छूट गई होती है और वे स्टेशन में अकेले भटक रही होती हैं. उसी बीच स्टेशन मास्टर से उनकी मुलाकात होती है, जो उन्हें अकेले देखकर कहता है कि अकेली लड़की खुली तिजारी की तरह होती है. इस डायलॉग के बारे में सोचकर आज भी माथा ठनक जाता है. लगता है कि अगर लड़कियों को सोलो ट्रेवल की इजाजत नहीं मिलती तो उसमें कहीं ना कहीं यह कहावत भी दोषी है. अब ऐसी सोच रखने वालों के बीच भला एक लड़की खुद को कैसे सुरक्षित महसूस करेगी?
ऐसे लोगों को समझना होगा कि अकेली लड़की खुली तिजोरी नहीं होती जिसे ताला लगाकर रखने की जरूरत है
ऐसे लोगों को समझना होगा कि अकेली लड़की खुली तिजोरी नहीं होती जिसे ताला लगाकर घर में छिपाकर रखने की जरूरत है. वह एक जीता-जागता इंसान होती है जिसके दो हाथ और दो पैर होते हैं. उसके पास भी दिमाग होता है. वह भी अपना अच्छा-बुरा समझ सकती है. वह भी अकेले यात्रा कर सकती है. इस सोच के नाम पर आखिर कब तक लड़कियों को पीछे ढकेला जाएगा. कब तक उनकी शारीरिक बनावट उनकी कमजोरी बनी रहेगी, कब तक उन्हें लड़कों से काम आंका जाएगा? अब सोलो ट्रिप पर जाने के लिए बलवान होने की जरूरत तो नहीं होती है ना? वैसे भी कोई लड़की सोलो ट्रिप पर घूमने जाती है, कुश्ती लड़ने नहीं.
क्या होता है जब लड़कियां घर में सोलो ट्रेवल की बात करती हैं-
जिस जमाने में लड़कियों को किसी काम के लिए घरवाले अकेले कहीं आने-जाने नहीं देते. लड़कियों को अकेले बस, ट्रेन में यात्रा नहीं करने देते, उस जमाने में लड़कियां बड़ी हिम्मत करते घर में सोलो ट्रिप की बात करती हैं. घरवालों को सोलो ट्रिप जैसी बातें आज के जमाने में भी टैबू ही लगती हैं.उन्हें लगता है कि लड़की अकेले कहीं जा ही नहीं सकती. सबसे पहले तो वे यही बोलते हैं कि अकेले जाने की जरूरत क्या है? अकेले कैसे मैनज करेगी. कुछ उंच-नीच हो गई तो? अकेले भी भला कौन एंजॉय करता है? नहीं-नहीं हम तु्म्हें अकेले नहीं छोड़ सकते. अरे घरवाले तो सहेलियों के साथ भी ट्रिप पर जाने से मना करता है, ऐसे में सोलो ट्रिप की बात करना पागलपन है.
कोई नहीं चाहता कि लड़की ट्रेन में अकेले सफर करे. अकेले सफर करने के नाम पर सबका मुंह बन जाता है. वे कहते हैं, स्टेशन कैसे जाओगी? सामान भारी होगा और सीट का पता कैसे करोगी. लड़की कहेगी कि वह अकेले जा सकती है, फिर भी कोई उसे सीट तक बिठाने आएगा और फिर कोई रिसीव करने...इसके बाद ही लड़की को अकेले ट्रेन से जाने दिया जाएगा. हालांकि ट्रेन में अकेले सफर करने के बाद भी उसे अकेले घूमने तो नहीं जाने दिया जाएगा. हमारा मानना है कि यह सच है कि घरवालों को बेटी की चिंता रहती है मगर थोड़ा भरोसा उस पर भी तो दिखाना चाहिए.
लड़कियां कहीं अकेले घूमने का नाम लें तो पहले ही मना कर दिया जाएगा, यही सोचकर ज्यादातर लड़कियां सोलो ट्रिप के बारे में घरवालों से पूछती ही नहीं हैं. शादी से पहले पापा, मम्मी, भाई मना कर देते हैं और शादी के बाद पति औऱ ससुराल वाले कहीं अकेले नहीं जाने देते. वे कहते हैं कि बेटी जमाने पर भरोसा नहीं है. हमें तुम्हारी सुरक्षा की चिंता है.
सोलो ट्रिप और लड़का लड़की में भेदभाव-
अगर घर का बेटा कहीं जाने की बात करता है तो उसे रोका-टोका नहीं जाता. कोई इतना पूछता भी नहीं है कि कैसे जा रहे हो? किसके साथ जा रहे हो, लेकिन अगर लड़की को अकेले ट्रेवल करना पड़े तो सबसे पहले तो घरावाले पूरी कोशिश करते हैं कि कोई साथ में चला जाए. लड़का जब चाहे अकेले या अपने दोस्तों के साथ ट्रिप पर जा सकता है. उसे कोई मनाही नहीं होती है.
इस तरह लड़कियों का सोलो ट्रिप पर जाने का सपना तो पूरा नहीं हो पाता है. जमाना कहा से कहां बदल गया, मगर लोगों के लिए आज भी लड़कियां खुली तिजोरी हैं, जिसे जब चाहे लूटा जा सकता है.
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