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Updated: 11 जून, 2019 04:54 PM
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Nirmala Sitharaman अपने काम में कितनी सख्त हैं वो उन्होंने रक्षा मंत्री रहते हुए भी सिद्ध किया है और अब वित्त मंत्री रहते हुए भी साबित कर रही हैं. नई जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने जो फैसला किया है वो न सिर्फ काबिले तारीफ है बल्कि निकम्मे और भ्रष्टाचारी सरकारी कर्मचारियों के लिए डर की वजह भी.

वित्त मंत्रालय ने Income Tax department के 12 वरिष्ठ अफसरों को जबरन रिटायरमेंट यानी Compulsory Retirement दे दिया है. रूल 56 के तहत इन अफसरों को सरकार ने समय से पहले ही रिटायर कर दिया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक इन अफसरों में मुख्य तौर पर भ्रष्टाचार के आरोप थे, जिसमें जबरन वसूली, रिश्वत मांगने, पद का दुरुपयोग करके अवैध और बेहिसाब संपत्ति अर्जित करना शामिल है. लेकिन एक अधिकारी पर तो यौन शोषण जैसे गंभीर आरोप भी थे.

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में चीफ कमिश्नर, प्रिंसिपल कमिश्नर्स और कमिश्नर जैसे पदों पर तैनात ये 12 अधिकारी हैं अशोक अग्रवाल (आईआरएस 1985), एसके श्रीवास्तव (आईआरएस 1989), होमी राजवंश (आईआरएस 1985), बीबी राजेंद्र प्रसाद, अजॉय कुमार सिंह, बी अरुलप्पा, आलोक कुमार मित्रा, चांदर सेन भारती, अंडासु रवींद्र, विवेक बत्रा, स्वेताभ सुमन और राम कुमार भार्गव शामिल हैं.

income tax dept compulsory retirementआयकर विभाग के 12 वरिष्ठ अफसरों की सेवाएं समाप्त की गईं

Raid करने वालों पर ये रेड जरूरी थी

इनकम टैक्स की नौकरी को 'कमाई वाली' नैकरी कहा जाता है. ये वो विभाग है जिसमें काम करने के लिए हर कोई लालायित रहता है. क्योंकि यहां माया का खेल चलता है. बड़े अधिकारी से लेकर पीओन तक हर कोई मलाई खाता है. जिसके पास धन ज्यादा है या काला है वो इनकम टैक्स वालों से बहुत डरता है. इनकम टैक्स का नोटिस आने से ही हवा निकल जाती है. तो ऐसे विभाग में काम करने वालों के बारे में सोचिए कि वो किस तरह रहते होंगे. किस तरह का रसूख दिखाते होंगे और किस कदर कमाते होंगे. ये बातें वो हैं जो इस देश का सामान्य व्यक्ति भी जानता है.

जब आम आदमी जानता है तो जाहिर है सरकार भी जानती है. लेकिन अब तक ये विभाग किसी भी कार्रवाई से अछूता रहा था. लेकिन निर्मला सीतारमण के इस सख्त फैसले से इन सबके हौसले पस्त हो गए. मोदी सरकार भ्रष्टाचार के मामले में खुद को पिछले 5 साल से साबित करती आ रही है और नए कार्यकाल में भी सबसे पहले निशाने पर वही लोग आए जहां भ्रष्टाचार कूट-कूटकर भरा हुआ है.

नियम 56 का इस्तेमाल होते रहना चाहिए

ऐसा नहीं है कि सरकार ने पहली बार इस तरह की कोई कार्वाई की है. 2014 में सत्ता में आने के बाद ही मोदी सरकार ने पहली बार वित्त मंत्रालय के रूल 56 के तहत काम में सुस्ती दिखाने वाले अधिकारियों को रिटायर कर दिया था. रूल 56 के तहत राजपत्रित अधिकारियों जैसे IAS, IPS और ग्रुप-ए के अधिकारियों के साथ साथ गैर-राजपत्रित अधिकारियों को भी अनिवार्य रिटायरमेंट दिया जा सकता है. ये वो अधिकारी होते हैं जिनकी उम्र 50 से 55 साल के बीच हो और वो 30 साल की नौकरी कर चुके हों.

मोदी सरकार इन अधिकारियों को रिटायर करके सिर्फ महकमों की सफाई करना चाहती है. ये वो अधिकारी हैं जो काम करते नहीं और पद का फायदा उठाकर रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार से अपनी जेबें भरते हैं.

income tax dept compulsory retirementसभी सरकारी विभागों को ऐसे ही ट्रीटमेंट की जरूरत है

मोदी सरकार ने शुरुआत इनकम टैक्स विभाग से की है. लेकिन उन्हें ये रूल अन्य सरकारी विभागों पर भी इस्तमाल करने की सख्त जरूरत है. जैसे बिजली विभाग, PWD, RTO, एक्साइज़, जल विभाग... लिस्ट में कौन सा नाम छोड़ा जाए ये भी बड़ा सवाल है क्योंकि सभी सरकारी विभागों की छवि एक ही जैसी है. इन विभागों में हर कदम पर नोट देने होते हैं. तभी काम आगे बढ़ता है. सिर्फ अधिकारी ही नहीं, बाबू और पीयोन सब अपनी अपनी दादागिरी दिखाते हैं. हालांकि सरकार ऑफिसों के समय को लेकर पहले से ही सख्त है अब इस तरह से सख्ती की गई तो सरकारी दफ्तरों की छवि भी सुधर जाएगी.

अच्छी बात तो ये है कि खबर ये भी आ रही हैं कि सरकार ने खराब परफॉर्मेंस देने वाले अधिकारियों की लिस्ट भी बना ली है. और आने वाले कुछ समय में रूल 56 की गाज कुछ और सरकारी अधिकारियों पर गिर सकती है. और इस पूरी कवायद से एक तीर से दो निशाने लगेंगे. वो ये कि अनिवार्य रिटायरमेंट देने से विभाग की सफाई तो होगी ही साथ ही रोजगार की संभावनाएं भी बढ़ जाएंगी. आखिर इन भ्रष्ट लोगों की जगह भरने के लिए सरकार रिक्तियां भी तो निकालेगी. अगर इसी तरह की कार्रवाइयां होने लगें तो आने वाला दिनों को वाकई अच्छे दिन कहा जा सकता है. 

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