सरकार बेचेगी गंगाजल, फैसला कितना सही, कितना गलत?
मोदी सरकार की योजना जल्द ही गंगा जल को ऑनलाइन बुकिंग के जरिए बेचने की है, लेकिन सरकार के इस कदम का विरोध शुरू हो गया है, कितना सही या गलत है सरकार का ये कदम?
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गंगाजल में डुबकी लगाने से सारे पाप धुल जाते हैं और इसके सेवन से इंसान को जन्म-मोक्ष के बंधन से मुक्ति मिल जाती है. लेकिन हर किसी के लिए गंगा जी के किनारे जाकर गंगाजल लाना आसान नहीं होता है. ऐसे में सरकार ने गंगाजल को हरिद्वार और ऋषिकेश से सीधे लोगों के घरों तक पहुंचाने की योजना तैयार कर ली है.
सरकार की योजना के मुताबिक गंगाजल प्राप्त करने के इच्छुक लोग इसे ऑनलाइन खरीद सकेंगे और भारतीय डाक विभाग के पोर्टल पर इसकी ऑनलाइन बुकिंग करा सकेंगे. दूरसंचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने सरकार की योजना के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि सरकार जल्द ही गंगाजल को देश के कोने-कोने तक पहुंचाने का काम शुरू करेगी. सरकार गंगाजल की डिलिवरी के पोस्टमैन यानी कि डाकियों की मदद लेगी. इस योजना को सफल बनाने के लिए भारतीय डाक विभाग को इससे जोड़ा जाएगा. जिसका देश भर में जबर्दस्त नेटवर्क है.
सरकार भारतीय डाक विभाग की मदद से हरिद्वार और ऋषिकेश से शुद्ध गंगाजल की लोगों तक डिलिवरी सुनिश्चित करेगी. सरकार का कहना है कि भारतीय डाक विभाग ने इसके लिए योजनाएं बनाना शुरू भी कर दिया है और बहुत ही जल्द इस योजना को लॉन्च कर दिया जाएगा. हालांकि सरकार ने अभी गंगाजल को कितने रुपये में बुक किया जा सकेगा, इसके बारे में नहीं बताया है.
लेकिन सरकार की इस योजना का हरिद्वार में ही जोरदार विरोध शुरू हो गया है और हरिद्वार के संतों का कहना है कि सरकार गंगाजल को बेचकर लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत करने का काम करेगी. तो सवाल ये उठता है कि क्या सरकार का गंगाजल को बेचने के कदम सही है या फिर इस कदम का विरोध करने वालों विरोध जायज है? आइए जानें.
सरकार द्वारा गंगाजल बेचने की योजना का विरोधः
सरकार द्वारा जल्द ही गंगाजल की ऑनलाइन बुकिंग शुरू करने की घोषणा के बाद हरिद्वार में इसका तीखा विरोध शुरू हो गया. हरिद्वार के संत समुदाय ने सरकार के इस कदम पर नाराजगी जताते हुए कहा कि इससे संतों और लाखों लोगों की भावनाएं आहत होंगी जोकि गंगाजल को पवित्र मानते हैं.
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने भी सरकार के इस कदम पर अपनी नाखुशी व्यक्त की है. अखाड़ा परिषद के प्रवक्ता बाबा हटयोगी ने कहा कि लोग गंगा और गंगाजल की पूजा करते हैं और धार्मिक कार्यक्रमों में इसका प्रयोग किया दाता है. यह पवित्र है, न कि कोई वस्तु जिसे बेचकर राजस्व कमाया जाए. इन संतों का कहना है कि एक तरफ पीएम मोदी और उमा भारती गंगा की सफाई के लिए नमामि गंगे योजना चलाने की बात करते हैं तो साथ ही वे गंगा के पवित्र जल को बेचने की बात कर रहे हैं.
मोदी सरकार जल्द ही गंगा जल को ऑनलाइन बुकिंग के जरिए बेचेगी |
हालांकि हरिद्वार में जहां गंगा जल बेचने को सरकार की योजना का विरोध हो रहा है तो वहीं ऋषिकेश में लोगों ने सरकार की इस योजना का स्वागत किया है और लोगों में इस योजना के प्रति काफी उत्साह है.
सरकार का कदम कितना सही और कितना गलत?
सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना का मकसद एक तीर से कई निशाने लगाने का है. सरकार इस योजना से गंगाजल बेचकर जहां भारी आमदनी करने की योजना बना रही है तो साथ ही इस योजना से भारतीय डाक विभाग और डाकियों को जोड़कर डाक विभाग का भी राजस्व बढ़ाने की उसकी मंशा है. इससे पहले भी पिछले वर्ष भारतीय डाक विभाग गोदावरी का जल ऑनलाइन बुकिंग के जरिए बेच चुका है. अब सरकार इस योजना को गंगाजल के साथ भी लागू करना चाहती है.
इस योजना का विरोध कर रहे लोगों का विरोध धार्मिक कारणों से है और इसके अलावा उनके पास इस योजना के विरोध की कोई ठोस वजह नहीं है. लेकिन शायद इन लोगों को ये पता नहीं कि निजी ई-कॉमर्स कंपनियां पहले से ही गंगाजल को ऑनलाइन बुकिंग के जरिए बेच रही हैं.
ई-कॉमर्स वेबसाइट अमेजन पर गोमुख से निकले गंगाजल के एक लीटर लीटर को 299 रुपये में बेच रही है. यही नहीं इस वेबसाइट पर 100 मिली से लेकर एक लीटर तक की मात्रा वाला गंगा जल का पैक अलग-अलग कीमतों में उपलब्ध है.
सरकार के इस कदम पर इसलिए सवाल उठाए जा सकते हैं कि बजाए कि प्रदूषण की मार झेल रही गंगा की सफाई और उसे प्रदूषण मुक्त बनाने के सरकार ने अब इस नदी से ही पैसा कमाने का रास्ता निकाल लिया है. गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने के सरकार के तमाम दावों और करोड़ों रुपये की योजनाओं की घोषणाओं के बावजूद प्रदूषण की स्थिति जस की तस है.
अच्छा तो ये होता कि सरकार इस नदी को प्रदूषण मुक्त बनाती और फिर लोगों को शुद्ध गंगा जल बेचती. प्रदूषण के बोझ से कराह रही गंगा के जल को शुद्ध बताकर बेचने की सरकारी योजना कितनी सही है, सोचने की बात है?
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