प्रदूषण: इन शहरों से सीख ले सकती है दिल्ली
दीवाली के बाद से दिल्ली की हवा में जो ज़हर घुला है उसे हटाने के लिए सरकार और आम जन सभी को कमर कसनी होगी. ये पहली बार नहीं कि इतिहास में कोई ऐसी घटना हुई हो. इससे पहले भी कई शहरों ने ये त्रासदी झेली है.
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दीपावली के दिन से दिल्ली में जो धुएं की चादर छाई हुई है वह जानलेवा है. सर्दी के शुरुआत में ये धुआं कई बीमारियों का कारण बनेगा. इस स्थिति को बदलने के लिए सिर्फ सरकार ज़िम्मेदार नही है. शहरवाशियों को भी अपनी जागरूकता बढ़ानी पढ़ेगी. लेकिन यह मानव इतिहास में पहली बार नही है कि किसी जगह की नागरिकों को इस धुएं से निपटना पड़ रहा है. यह पहले भी हुआ है और जैसे जैसे नगर सभ्यता बढ़ती जाएगी वैसे वैसे आगे भी होता रहेगा.
नज़र डालते है कुछ ऐसी ही ऐतिहासिक घटनाओ पर.
दिसंबर 3, 1930 को बेल्जियम की मीयस वैली इलाके में घाना कोहरा छाया हुआ था. कारखानों की ज़हरीला गैस सर्द मौसम के कारण उसी इलाके में सिमट के रह गई और जबतक वह हटी तबतक 60 लोगों की मौत हो चुकी थी. सरकार तुरंत हरकत में आई - जांच बिठाई गई और नया कानून लागू किया गया. कारखाने हटाए गए और आज बेल्जियम दुनिया में सबसे स्वच्छ देशों में से एक है.
सांकेतिक फोटो |
1948 में दोनोरा, पेंसिलवानिया पीले और काले धुएं की चादर में ढक गया था. शहर में स्टील और जिंक के कारखाने थे तो धुआं आम बात था, लेकिन इस बार इस धुएं ने हटने का नाम नहीं लिया और पांच दिन तक बना रहा. 20 लोगों की मौत हो गई, 6000 से ज़्यादा बीमार हुऐ. कांग्रेस ने कानून बनाया, कारखानों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ - जिस मामले में कारखाने के मालिक हार गए उसे कुछ साल बाद बंन्द कर दिया गया.
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दिसंबर 1952 में इतिहास के सबसे खतरनाक धुंए का कहर बरपा. लंदन के ऊपर यह धुएं की चादर पांच दिन तक बनी रही. 4000 लोगों की जान गई, हज़ारों पशु मरे, हज़ारों अस्पताल में दाखिल हुऐ. कुछ जगह यह धुआं इतना गहरा था के राह चलने वालों को अपना पैर तक नही दिख रहा था. जांच बैठाई गई और 1956 में 'स्वच्छ हवा कानून' लागू किया गया, सारी फैक्टरियों को हटाया गया, घरों और फैक्टरियों में स्वच्छ ईंधन के इस्तेमाल लाज़मी कर दिया और आज देखिे लंदन का हाल.
50 और 60 के दशक में लॉस एंजेलिस शहर धुएं से जूझता रहा. जन जागरूकता के कारण कानून में बदलाव आया है, कैलिफोर्निया आज अमेरिका के सबसे स्वच्छ राज्यों में से एक है - हालांकि अपनी भोगोलिक स्थिति के कारण लॉस एंजेलिस आज भी घने कोहरे से प्रभावित है लेकिन वह अब ज़हरीला नही है.
चीन के शहर प्रदूषण के लिए काफी बदनाम है. लेकिन जनवरी 2013 में, बीजिंग में 'एयर क्वालिटी इंडेक्स' कुछ चौकानेवाला 993 के स्टार पर पहुँच गया, इस सन्दर्भ में बता दूं की 5 अक्टूबर की शाम दिल्ली के आनंद विहार इलाके में यह इंडेक्स 999 के स्तर पर था. यह स्थिति सिर्फ बीजिंग की नहीं थी, चीन के कई और शहर भी प्रभावित थे, 80 करोड़ लोग इसकी चपेट में थे. बीजिंग के अस्पताल रोज़ सात से आठ हज़ार मरीजों के इलाज़ कर रहे थे. कानून में तुरंत बदलाव किया गया, दो हज़ार से ज़्यादा कारखानो को बीजिंग से बाहर भेजा गया, पटाकों की बिक्री पर बैन लगा दिया गया और पुरानी गाड़ियां सड़क से हटाने की कवायद शुरू कर दी गई. सरकार ने $ 277 बिलियन का प्रावधान किया इस योजना को साकार करने के लिए. नतीजा है कि अब बीजिंग का 'एयर क्वालिटी इंडेक्स' 200 से 257 के बीच में है.
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ऐसा नही है के दिल्ली इन जगहों से सीख नही ले सकती है पर इसके लिए सिर्फ सरकार को ज़िम्मेवार करना उचित नही होगा, जन जागरूकता भी ज़रूरी है. एप्प और मिशन से समस्याएं नही सुधरती - उसको मिलके सुधारना होता है - और जल्दी क्योंकि इससे हमारे बच्चों का भविष्य जुड़ा हुआ है.
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