गाय को बचाने की बात करना 'असहिष्णुता' कैसे?
यह बवाल गाय को लेकर ही क्यों? कई दूसरे जानवरों को भी हिंदु धर्म में विशेष जगह प्राप्त है. लेकिन इनका राजनीतिकरण नहीं किया जा सका. हम धर्मनिरपेक्ष देश हैं तो ख्याल भी तो हर किसी की भावना का होना चाहिए.
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यह सही है कि पिछले कुछ दिनों के अंदर कई ऐसे वाक्ये हुए जिसने देश में एक बहस छेड़ दी. गलत समय पर कुछ नेताओं ने गैर-जिम्मेदाराना बयान दिए. दादरी में शर्मशार करने वाली घटना हुई. लेकिन इन सबके बीच गाय को बचाने की बात करना 'असहिष्णुता' का उदाहरण कैसे बन जाता है? यह सवाल इसलिए क्योंकि ऐसा लगता है कि एक ट्रेंड सा बन गया है, हर बात को सहिष्णुता-असहिष्णुता से जोड़ कर देखने का.
जहां तक गाय की बात है तो मुगलों से लेकर अग्रेजी हुकूमत तक में गोमांस पर विवाद सामने आता रहा है. 1857 के गदर की जड़ में भी तो पशुओं की चर्बी ही थी.
सहिष्णुता-असहिष्णुता का फेर
हिंदू समाज में गाय का जो महत्व है उसे सब जानते हैं और समझते भी हैं. लेकिन जब इसकी बात कीजिए तो तुरंत दो धड़े बन जाएंगे. जो गाय को मारने का विरोध कर रहा है, उसे हम और आप 'असहिष्णु' के खाने में ला खड़ा करते हैं जबकि दूसरा पक्ष 'सहिष्णु' बन जाता है. फिर सहिष्णु पक्ष 'शांतिपूर्ण' विरोध करते हुए सार्वजनिक जगहों पर बीफ परोसने और खाने का ऐलान कर देता है.
यह बवाल, ये प्रदर्शन गायों को लेकर ही क्यों? कई दूसरे जानवरों को भी हिंदु धर्म में विशेष जगह प्राप्त है. लेकिन क्यों कभी इनका राजनीतिकरण नहीं किया जा सका. हम धर्मनिरपेक्ष देश हैं तो ख्याल तो हर किसी की भावना का होना चाहिए. दरअसल, सच यही है कि न गाय को बचाने की बात करने वालों को कोई चिंता है और न विरोध करने वालों की कोई खास नाराजगी. बस राजनीति है, तो उसे साधने की कोशिश होती है. नहीं तो गाय सड़कों पर प्लास्टिक चबाते नजर नहीं आती और न ही बीफ बैन पर नाराजगी जताने वाले अपनी जिद के लिए बवाल मचाते.
महात्मा गांधी ने कभी गोरक्षा पर अपना मत स्पष्ट करते हुए कहा था, 'सभी हिंदुओं की इसमें आस्था है. मानव जीवन में गोरक्षा मेरे लिए सबसे अद्भुत बात है.' गांधीजी हालांकि गोवध को प्रतिबंधित करने के खिलाफ भी थे. उनका मत था कि दूसरे धर्म वालों को गाय की हत्या न करने के लिए मनाया जाए. इसलिए यह जरूरी नहीं कि जो गोहत्या का विरोध कर रहा हो वह असहिष्णु हो और जो सड़कों पर बीफ खाने का तमाशा करते हो, वे सहिष्णु. गाय की रक्षा इस देश के बहुसंख्यक समाज की भावना है. इसलिए बिना विवादों को जन्म दिए इसकी कद्र की जानी चाहिए.
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