मेट्रो में चाकू: महिलाओं कि आत्मरक्षा या यात्रियों की सुरक्षा में सेंध
आनन-फानन में DMRC ने दिल्ली मेट्रो में महिलाओं को अपने साथ चाकू ले जाने की इजाजत दे दी. पर ये फैसला कितना सही है? क्या ये उम्मीद की जा सकती है कि महिलाएं इससे किसी अपराध को अंजाम नहीं देंगी?
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दिल्ली मेट्रो में अब महिलाएं अपने साथ छोटा चाकू ले जा सकती हैं. महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए दिल्ली मेट्रो की सुरक्षा संभाल रही केंद्रीय औधोगिक सुरक्षा बल (CISF) ने यह फैसला किया है. DMRC ने इस सम्बन्ध में निर्देश जारी कर दिए हैं जिसके अनुसार महिलाएं 4 इंच तक लंबा चाकू अपने साथ ले जा सकती हैं. दिल्ली मेट्रो का यह फैसला आनन फानन में लिया गया फैसला लगता है, जिसे बिना हानि लाभ सोचे नारी सुरक्षा के नाम पर ले लिया गया है. हालाँकि, सुरक्षाकर्मियों को यह अधिकार दिया गया है कि अगर उन्हें सुरक्षा को लेकर कोई आशंका हो तो वो यात्री को रोक सकते हैं, मगर जिस प्रकार की भीड़ भाड़ मेट्रो स्टेशनों पर दिखती हैं उसमे यह सुरक्षाकर्मियों की माथापच्ची बढ़ाने वाला ही होगा.
महिलाएं भी कई अपराधों के लिए जिम्मेदार होती हैं. ऐसे में ये फैसला घातक भी साबित हो सकता है. |
DMRC का ये फैसला अपने आप में कई सवाल खड़े करता है. भारत में कई अवसरों पर यह देखा गया है की यहाँ बनने वाले नियमों का उपयोग से अधिक दुरूपयोग किया जाता है, ऐसे में इस नियम का दुरूपयोग किया जाएगा इसकी सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता. इस फैसले से दिल्ली की महिलाएं कितनी सुरक्षित होंगी ये तो अभी कह पाना मुश्किल है, हाँ इस फैसले से मेट्रो में सफर कर रहे हजारों लाखों यात्रियों के सुरक्षा में जरूर सेंध लग जाएगी. एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली मेट्रो में जेबकतरों में 90 फीसदी महिलाएं हैं, ऐसी स्थिति में उन महिलाओं के लिए यह फैसला किसी वरदान से कम नहीं होगा. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस तरह के प्रयोग बहुत सफल नहीं रहे हैं, आंकड़ों की माने तो पिछले तीन वर्षों के दौरान अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और चीन जैसे देशों में चाकू द्वारा 36 लोगों की हत्या हो चुकी है जबकि चाकू से हमले में 150 लोगों के करीब घायल हो चुके हैं.
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मेट्रो द्वारा इस निर्णय में लगता है यह भी मान लिया गया है कि महिलाएं किसी भी आपराधिक गतिविधियों में शामिल नहीं होती हैं, जबकि समय-समय पर विभिन्न आतंकवादियों द्वारा वुमेन सेल बनाए जाने की भी सूचना आती रहती है. भारत में शायद इस घटना को कभी भुलाया नहीं जा सकता कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी की हत्या के पीछे भी औरत का ही हाथ था. ऐसे में ये मान लेना की इस फैसले से महिलाऐं आत्मसुरक्षित हो जाएँगी ये तर्कसंगत नहीं लगता. DMRC के इस निर्णय के पीछे ये तर्क हो सकता है कि चार इंच कि चाकू बहुत घातक नहीं हो सकती, मगर आज आ रहे नए नए हथियारों में चार इंच कि चाकू भी काफी घातक हो सकता है.
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