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Updated: 21 जनवरी, 2018 05:12 PM
श्रुति दीक्षित
श्रुति दीक्षित
  @shruti.dixit.31
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हमारे देश में आज के समय में जान की कीमत इतनी सस्ती हो गई है कि गाड़ी गंदी न हो इसके लिए तड़पते लोगों को अस्पताल भी नहीं ले जाता है कोई. ये घटना काल्पनिक या सिर्फ उदाहरण देने के लिए नहीं बताई जा रही. ये सच्चाई है यूपी पुलिस की.

दो 15 साल के लड़के बाइक से एक्सिडेंट होने पर सड़क किनारे पड़े हुए थे और यूपी पुलिस उन्हें अपनी गाड़ी में अस्पताल ले जाने को तैयार नहीं हुई. कारण? पुलिस वालों को चिंता थी कि कहीं उनकी गाड़ी गंदी न हो जाए.

वीडियो में बार-बार एक आदमी पुलिस वालों से जिरह कर रहा है कि सर एक बार बैठा लो. आपकी गाड़ी धो देंगे. सर बच्चे मर जाएं.. लेकिन मजाल है जो पुलिस वालों ने बात मानी हो. कई गाड़ियों को रोकने की कोशिश की गई, आखिर में ऑटो बुलाया गया, बच्चे सड़क पर पड़े रहे, लेकिन वहां मौजूद लोग और पुलिस वाले आपस में लड़ने से बाज़ नहीं आए.

यूपी पुलिस, एक्सिडेंट, असहिष्णुता, असंवेदनशीलता

अंत में वही हुआ जो नहीं होना चाहिए था. दो घरों के चिराग बुझ गए. दोनो बच्चे मर गए. वीडियो में आपस में लोग बात करते हुए सुनाई दे रहे हैं कि बच्चे बहुत तेजी से आ रहे थे. तो क्या सड़क पर खून से लथपथ पड़े बच्चों को देखकर भी पुलिस वालों को उनकी गलती ही दिख रही थी.

इस वीडियो को देखते समय मेरी आंखें नम हो गईं. आखिर कौन ऐसा करता है? कितने असंवेदशील समाज में रहते हैं हम? किस तरह से ये लोग खुद को पुलिस और आम जनता के रक्षक कहते हैं. जिन्हें रात भर बैठने में भी दिक्कत हो रही थी उन्हें ये समझ नहीं आया कि उनकी इस छोटी सी खुदगर्जी ने दो लोगों की जान ले ली.

अब भले ही यूपी प्रशासन उन पुलिस वालों के साथ कुछ भी करे, उन्हें सस्पेंड करे या किसी भी तरह का एक्शन ले पर क्या उन दो बच्चों की जान वापस आएगी? क्या पता अगर पुलिस वालों ने थोड़ी सी सावधानी दिखाई होती तो शायद किसी की जान बच जाती.

एक समय पर असहिष्णुता की बात पर देश में इतना बवाल मचा था. आज के समय में ये अंदाजा लगाना कि देश में कितनी असहिष्णुता फैली हुई है कोई बड़ी बात नहीं, लेकिन अगर देखा जाए तो आज के समय में असंवेदनशीलता ज्यादा बढ़ गई है. तभी तो 11वीं का एक बच्चा सिर्फ परीक्षा की तारीख आगे बढ़वाने के लिए एक छोटे बच्चे का बेरहमी से कत्ल कर देता है. इसीलिए तो हरियाणा में 4 साल की बच्ची का घिनौनी तरह से रेप होने के बाद भी ज्यादा हल्ला नहीं मचता, इसीलिए तो पुलिस वाले दो मरते हुए बच्चों को हॉस्पिटल नहीं पहुंचाते.

अब मुद्दा ये है कि बात असहिष्णुता की करें या फिर असंवेदनशीलता की?

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श्रुति दीक्षित श्रुति दीक्षित @shruti.dixit.31

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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