पटाखोंं की कितनी आवाज आपको बहरा बना सकती है
यूं तो हर कोई तेज आवाज वाले पटाखे बजाना चाहता है, लेकिन लोग ये नहीं समझते कि कितनी आवाज उनके कानों के लिए सही है. चलिए रोजमर्रा की चीजों से समझते हैं किस चीज से कितने डेसीबल की आवाज निकलती है.
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सुप्रीम कोर्ट ने पटाखे जलाने को लेकर जो फैसला सुनाया है, उसे पूरा देश सिर्फ वायु प्रदूषण से जोड़कर देख रहा है. लेकिन ये मामला सिर्फ वायु प्रदूषण का नहीं, बल्कि ध्वनि प्रदूषण का भी है. खुद सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया है कि कोई भी कंपनी या फैक्ट्री पहले से निर्धारित सीमा से अधिक आवाज के पटाखे नहीं बना सकती है, ना ही कोई दुकानदार ऐसे पटाखे बेच सकता है. यानी सुप्रीम कोर्ट चाहता है कि लोग ऐसे पटाखे बिल्कुल ना बजाएं, जिनकी आवाज अधिक होती है. यूं तो हर कोई तेज आवाज वाले पटाखे बजाना चाहता है, लेकिन लोग ये नहीं समझते कि कितनी आवाज उनके कानों के लिए सही है. साथ ही लोग ये नहीं समझते कि उन्हें पटाखे से कितनी दूर खड़े होना चाहिए, ताकि उसकी आवाज का उनके कानों पर बुरा असर ना पड़े.
125 डेसिबल से अधिक की आवाज आपको बहरा कर सकती है.
कितनी आवाज के पटाखे बनाने की है इजाजत?
पेट्रोलियम तथा विस्फोटक सुरक्षा संगठन (PESO) द्वारा बनाए गए Environment (Protection) Rules, 1986 के तहत 4 मीटर की दूरी से पटाखों की आवाज 125 डेसिबल से अधिक नहीं होनी चाहिए. अब सवाल ये उठता है कि 125 डेसिबल कितना होता है? इसे कैसे समझें? हर पटाखे को जलाते समय हाथ में आवाज की तीव्रता को मापने की मशीन तो रख नहीं सकते हैं. आइए हम आपको आसान तरीके से समझाते हैं आवाज की तीव्रता के बारे में.
रोजमर्रा की चीजों से समझें आवाज की तीव्रता
जब हम फुसफुसाते हैं तो हम 30 डेसीबल की आवाज निकालते हैं. वहीं जब हम आपस में बात करते हैं तो हम करीब 60 डेसीबल की आवाज निकालते हैं. मोटरसाइकिल के इंजन की आवाज करीब 90 डेसीबल की होती है, जो आपके कानों को परेशान करती है. यहां आपको बता दें कि अगर आप लंबे समय तक 85 डेसीबल से अधिक की आवाज सुनते हैं तो धीरे-धीरे आपको बहरेपन की शिकायत हो सकती है. इतना ही नहीं, अगर अचानक आपके कानों में 120 डेसीबल से अधिक की आवाज पड़ती है तो आप अचानक बहरे भी हो सकते हैं. चलिए Centers for Disease Control and Prevention द्वारा बनाई गई रोजमर्रा की चीजों की लिस्ट से समझते हैं किस चीज से कितने डेसीबल की आवाज निकलती है. इससे आप ये आसानी से समझ सकेंगे कि आपके कानों के लिए कौन-कौन से पटाखों की आवाज खतरनाक नहीं है.
आवाज | तीव्रता (डेसीबल में) | कानों को परेशानी |
सामान्य सांस लेना | 10 | कोई परेशानी नहीं |
घड़ी की सुइयों की आवाज | 20 | कोई परेशानी नहीं |
फुसफुसाना | 30 | कोई परेशानी नहीं |
रेफ्रीजरेटर की घूं-घूं की आवाज | 40 | कोई परेशानी नहीं |
सामान्य बातचीत | 60 | कोई परेशानी नहीं |
वॉशिंग मशीन की आवाज | 70 | हल्की परेशानी |
शहर का ट्रैफिक (कार के अंदर से) | 80-85 | थोड़ी अधिक परेशानी |
लॉन की घास काटने वाली मशीन | 90 | लगातार 2 घंटे से अधिक सुनने पर कानों को नुकसान |
मोटरसाइकिल | 95 | करीब 50 मिनट तक लगातार सुनने पर कानों को नुकसान |
कार का हॉर्न (5 मीटर दूर से) | 100 | 15 मिनट लगातार सुनने पर कानों को नुकसान |
तेज आवाज में गाने सुनना, रेडियो, टीवी, डीजे, डिस्को, बार, म्यूजिक कॉन्सर्ट | 105-110 | 5 मिनट लगातार सुनने पर भी कानों को नुकसान |
कान में चिल्लाना | 110 | 2 मिनट में ही सुनने की क्षमता कमजोर पड़ना शुरू हो सकती है. |
सायरन के पास खड़े होकर उसकी आवाज सुनना | 120 | कानों में दर्द के साथ-साथ बहरेपन की शिकायत |
पटाखों की आवाज | 140-150 | कानों में दर्द के साथ-साथ बहरेपन की शिकायत |
इस लिस्ट को देखकर आप आसानी से ये समझ सकते हैं कि किन पटाखों की आवाज आपके कानों के लिए खतरनाक है. पटाखों पर यह नहीं लिखा होता कि वह कितने डेसीबल तक की आवाज करते हैं, ऐसे में आपको अंदाजा लगाकर आवाज की तीव्रता को समझना होगा. हो सकता है आने वाले समय में सुप्रीम कोर्ट इसे लेकर कोई दिशा-निर्देश लागू करे कि पटाखों पर भी ध्वनि की तीव्रता लिखना जरूरी है, लेकिन तब तक आपके पास और कोई विकल्प नहीं है. दरअसल, पटाखों के बाजार में बहुत सारे लोकल पटाखे भी आते हैं, जिन्हें बनाने में नियमों को भी ताक पर रख दिया जाता है. ऐसे पटाखे आपके कानों के लिए घातक हो सकते हैं.
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