जब बात सिंदूर, मंगलसूत्र की आएगी तो एड़ी-चोटी एक कर दी जाएगी
मंगलसूत्र के बार में ये कहा गया है कि ये महिलाओं को उनके कर्तव्य, प्रतिबद्धता और शादी में पवित्रा बनाए रखने की याद दिलाता है. तो पुरुषों को बराबर की प्रतिबद्धता निभाने के लिए क्या करना चाहिए? बहस जारी है.
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वैसे तो महिलाएं सदियों से 'एक चुटकी सिंदूर की कीमत' सबको समझाती आ रही हैं. लेकिन अब महिलाओं के सुहाग की निशानी सिंदूर और मंगलसूत्र की कीमत को तोला जा रहा है. पहले ही बता दूं कि ये हर व्यक्ति की अपनी आस्था है कि कोई इन चीजों पर कितना विश्वास करता है. लेकिन आज के परिवेश में सुहागनों की इन सबसे कीमती चीजों के मायने क्या हैं वो भी तो जान लेने चाहिए.
फिलहाल तो सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी हुई है कि महिलाओं के लिए संदुर और मंगलसूत्र क्या मायने रखते हैं. ये बहस एक शादी के बाद शुरू हुई. ये एक अनोखी शादी थी. जिसमें सामान्य शादियों की तरह कुछ नहीं था. न अंगूठियां बदली गईं, न महंगे कपड़े और गहने खरीदे गए, न फोटोग्राफर बुलाए गए और न ही मेहमानों को दावत दी गई. मंदिर में सिंपल सी शादी हुई. उद्देश्य ये था कि शादी पर किया जाने वाला भारी खर्च बचाया जाए और उसे जानवरों की देखभाल पर खर्च किया जाए. दुल्हन एनिमल लवर है और कई सालों से सड़क पर रहने वाले भूखे जानवरों को खाना खिलाती हैं.
सिंदूर और मंगलसूत्र शादीशुदा महिलाओं के लिए कितना जरूरी हैं इसपर बहस हो रही है
दुल्हन ने अपनी इस अनोखी शादी के बारे में ट्विटर पर बताया था. एक ट्वीट में दुल्हन ने लिखा कि-
शादी में न थाली थी, न मंगलसूत्र, न हमने अंगूठियां बदलीं और न इस शादी के लिए सोने और हीरे के गहने खरीदे. मैंने दोनों दिन आर्टिफीशियल जूलरी पहनी, और अपना मेकअप भी खुद ही किया.
We didn't have a thaali /mangal sutra, we didn't have an exchange of rings, and we didn't buy ANY gold /diamonds /jewelry for this occasion. I wore artificial jewelry which I picked up at @hm / @Forever21 on both days, and did my own make up too. pic.twitter.com/2hoAaQVLeW
— Vaishnavi Prasad (@Vaishnavioffl) June 15, 2019
हालांकि अपनी शादी के लिए तो लड़कियां न जाने कब से सपने देखती हैं. अपने जीवन के इस सबसे महत्वपूर्ण दिन वो सबसे खूबसूरत लगने के लिए कपड़ों, गहनों और पार्लर में न जाने कितने ही पैसे खर्च करती हैं. ऐसे में इस लड़की का एकदम से सिंपल होना लड़कियों को तो कम लड़कों को ज्यादा हैरान कर गया.
एक व्यक्ति ने इस शादी पर अपने विचार रखे, और कहा 'कॉकटेल पार्टी पर पैसे उडाए जाते हैं, मंगलसूत्र और परंपरागत रीति रिवाजों को छेड़ दिया जाता है. और दावा किया जाता है कि शादी के पैसे बचा लिए गए.'
Blows money on cocktail party. skips mangal sutra and traditional rituals.
Claims money was saved on her wedding. https://t.co/vq3f9ci5gq
— Vanara (@AgentSaffron) June 19, 2019
They're beautiful symbols of married life. Hindu women love them deeply.
— Vanara (@AgentSaffron) June 20, 2019
रीति-रिवाजों के बिना की गई शादियों को प्रोग्रेसिव शादी कहा गया. यानी खुद को मॉर्डन और प्रगतिशाल दिखाने की कोशिश करना.
Lessons in progressive marriage :- Marry without rituals.- No mangalsutra.- Claim that the pooja done during the ceremony is waste of money.- Save up on all that money and blow it on alcohol in a cocktail party.
Welcome to the new dhimmi drugged India. https://t.co/8l3Cj8utkT
— Arun Vishwanathan (@arunv2808) June 20, 2019
पुरुष ही नहीं मंगलसूत्र के प्रति आस्था रखने वाली महिलाओं ने भी खूब ताने दिए. कहा कि- सिंदूर और मंगलसूत्र- टैटू, केक, लाइट्स और डेकोरेशन से बहुत महंगे रहे होंगे इसलिए उन्हें ही छोड़ दिया गया.
Moreover they find sindoor expensive but tattoos of bride and groom might be cheaper for them, big cake, lights , decoration, their clothes must be cheap only mangalsutra is costly.
— Twinkle (@trivedi_twinkle) June 20, 2019
इस जोड़े को हिंदू रीति रिवाजों और संस्कृति का मजाक उड़ाने वाला कहा गया. किसी ने कहा कि ये ईसाई धर्म का प्रचारित करने का तरीका था इसीलिए केक काटा गया और कॉकटेल पार्टी की गई. उन्हें एलियन तक कह दिया गया. यानी बेगानी शादी में कितने ही अबदुल्ले दीवाने हो रहे थे.
मंगलसूत्र को बंधन कहा जाता है लेकिन कुछ इसे पितृसत्ता से भी जोड़ते हैं
अब इस मामले में एक और बात सामने आई वो भी जान लीजिए. इस बहस में बहुत सी ऐसी महिलाएं भी थीं जिनके विचारों से शायद बहुत से लोग शायद सहमत न हों. लेकिन सिंदूर और मंगलसूत्र को लेकर आज महिलाएं क्या सोचती हैं, ये आप सभी को जानना चाहिए.
महिलाओं ने कहा कि पुरुषों को लगता है कि महिलाएं उनकी जागीर हैं. और मंगलसूत्र पुरुषों का स्वामित्व दिखाने का जरिया है, और जो महिलाएं ये नहीं करतीं वो उनके लिए असंस्कारी हो जाती हैं.
Aise gadhe bhare hai india main by god men are trash ka jaap lagalo 24x7 tab bhi kam padega these are the kind of men who consider women as properties and mangalsutra bs as sign of ownership and lack of adherence to it is as something “not sanskaari” well fuck off to hell https://t.co/oUmu1w9uMo
— Mahima Kukreja ????????✊???? (@AGirlOfHerWords) June 20, 2019
मंगलसूत्र के बार में ये कहा गया है कि ये महिलाओं को उनके कर्तव्य, प्रतिबद्धता और शादी में पवित्रा बनाए रखने की याद दिलाता है. महिलाओं का कहना था कि ये प्रतिबद्धता तो पुरुषों से भी अपेक्षित है. रिवाज के नाम पर सिर्फ महिलाओं ही इन चीजों को क्यों ढोएं, अगर ये महिलाओं के लिए इतना जरूरी है तो फिर पुरुष क्यों नहीं पहनते मंगलसूत्र. उन्हें भी तो बराबर की प्रतिबद्धता निभानी चाहिए.
I see why these men are mad. This is just another way of putting a mental baggage on women disguised as tradition. If this is what the significance of the ornament is, why not make men wear it too? Aren't they also supposed to uphold these same values equally in the marriage?? pic.twitter.com/yJILXmvLWh
— tulsi veerani (@vanteseok) June 20, 2019
इसपर एक व्यक्ति ने क्या कहा वो भी सुनिए- 'पुरुष ये प्रतिबद्धता दिखाने के लिए अंगूठी पहनते हैं. पुरुषों को मंगलसूत्र पहनने के लिए कहना उन्हें ब्रा पहनने के लिए कहना होगा.'
Men wear wedding rings to show same commitment & values. Asking men to wear mangalsutra is like asking them to wear a bra.
— Gaurav chaudhary (@imgaurav__) June 20, 2019
कितना अजीब है न? जब पुरुषों से बराबर जिम्मेदारी और कमिटमेंट निभाने की बात कही तो ऐसे जवाब आना स्वाभाविक ही था. इसी को पुरुषसत्ता कहा जाता है. जिसके तहत पुरुषों और महिलाओं की जिम्मेदारियां और उनके की जाने वाली अपेक्षाएं कभी भी समान नहीं रहीं.
मंगलसूत्र और सिंदूर पर बहस जारी है और हमेशा रहेगी. क्योंकि ये वो चीजें हैं जो आस्था से जुड़ी हैं. और आस्था पर तो बहस हमेशा से होती आई है. बहुत सी महिलाएं सिंदूर भी लगाती हैं और मंगलसूत्र भी पहनती हैं, बहुत सी नहीं पहनतीं. ये अपनी अपनी इच्छा है. शायद ही आज के जमाने में कोई महिलाओं को ये सब चीजें पहनने के लिए मजबूर करता होगा. यानी जिन्हें लगता है कि सुहाग की ये निशानियां सिर्फ महिलाओं को पुरुषों की जागीर दिखाने के लिए हैं वो, इसे नहीं पहनतीं. और जिन्हें लगता है किये अच्छे के लिए हैं वो पहनती हैं. बहुत सी ऐसी भी हैं जिन्हें सिंदूर से एलर्जी हो जाती है, वो चाहकर भी नहीं लगा पातीं. तो इसे अपने जीवन में कितना महत्व देना है वो आपकी पर्सनल चॉइस है. वहीं बराबरी के नाम पर पुरुषों को भी मंगलसूत्र पहनने के लिए कहना थोड़ा अजीब लगता है. जिसे नहीं पहनना मत पहनिए. लेकिन जब पुरुष इसे जरूरी कहते हैं, इसे महिलाओं पर थोपने की बात करते हैं, इसे न मानने वालों को असंस्कारी कहते हैं तो हर महिला को बहस करनी ही चाहिए.
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