पहले बहू सिर्फ गृहकार्य में दक्ष चाहिए थी, अब नौकरीपेशा भी!
पति ने सुहागरात के दिन ही अपनी दुल्हन के सामने IAS बनने की अजीब सी शर्त रख दी. जिसे पूरा कर पाना पत्नी के बस की बात नहीं थी. पति एमबीए में गोल्ड मेडलिस्ट है और लखनऊ के एक बैंक में नौकरी करता है. पत्नी का नाम पल्लवी है जो अब अपने साथ हुए अत्याचार के लिए कोर्ट में भटक रही है.
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बहू या पत्नी के चुनाव को लेकर पैमाने सख्त होते जा रहे हैं. पहले जो लोग सिर्फ घरेलू लड़कियां देखने जाते थे, अब उन्हें वही 'घरेलू' लड़की (housewife) कमाने वाली भी (working women) चाहिए. मतलब, कमा कर लाए और फिर सारा घर भी संभाले.
हाल ही में झारखंड के जमशेदपुर का एक ऐसा ही मामला सामने आया. जहां एक पति ने सुहागरात के दिन ही अपनी दुल्हन के सामने एक अजीब सी शर्त रख दी. जिसे पूरा कर पाना पत्नी के बस की बात नहीं थी. पति का नाम जयमाल है जो एमबीए में गोल्ड मेडलिस्ट है और लखनऊ के एक बैंक में नौकरी करता है. पत्नी का नाम पल्लवी है जो अब अपने साथ हुए अत्याचार के लिए दर-दर कोर्ट में भटक रही है. हमें तो गोल्डमेडलिस्ट की इस सोच पर तरस आ रही है. आखिर वह खुद क्यों नहीं बन गया आईएएस...
'घरेलू' लड़की कमाने वाली भी चाहिए
असल में पत्नी को लगा कि पति ऐसे ही मजाक कर रहे हैं. अगली सुबह वह किसी इंटरव्यू की बात करके घर से चला गया और फिर लौटा ही नहीं. उसने पल्लवी को एक फोन तक नहीं किया. वहीं पल्लवी ने संपर्क करने की कोशिश की तो उसने बात ही नहीं की.
इस बीच पल्लवी अपने ससुराल में ही रही. उसका मुझे ससुराल में जेठ, जेठानी सास और ससुर प्रताड़ित करते रहे, ताना मारते रहे लेकिन मैं चुपचाप सबकुछ सहती रही. लड़का बैंक में नौकरी करता है यही देखकर मेरे पिता ने मेरी शादी यहां करवाई और बड़े अरमानों के साथ मुझे विदा किया.
दो साल में आईएएस बन कर दिखाओ तो यह शादी चलेगी वरना दोनो पति पत्नी नही रहेंगे. सुहागरात के दिन यह कहने वाले पति जयमाल ने अब पल्लवी को तलाक के पेपर भेज दिए हैं. पल्लवी को समझ नहीं आ रहा है कि वह क्या करे? अपने साथ हुए अन्याय का के खिलाफ उसने आवाज तो उठा दी है लेकिन उसके साथ जो धोखा हुआ उसका हिसाब कौन देगा?
आजकल अधिकतर ऐसे मामले देखने को मिल रहे हैं जिसमें ससुराल वाले बहुओं पर नौकरी करने का दबाव बना रहे हैं. वो कहत हैं तुम्हारा खर्चा कहां से आएगा...वह मतलब सारे घर के काम करे, वह किसी को नहीं दिखता. लोगों को दिखता है तो सिर्फ पैसा और यह कि वह कमाती नहीं है...आजकल के पति भी पहले ही बोल देते हैं तुम अपना खर्चा देख लेना तुम्हारे मेकअप, पार्लर जैसे फालतू चीजों के लिए मेरे पास पैसे नहीं है, भले एक दिन पार्टी के नाम पर हजारों खर्च कर दें.
पूरे घरवाले खर्चा करते हैं तो ठीक है लेकिन घर की महिला के उपर हा बचत का दबाव सबसे ज्यादा रहता है. आजकल के लड़कों को एक तरफ पत्नी तो आकर्षक चाहिए दूसरी तरफ उसका मेंटनेंस लोगों को फालतू लगता है.
ऐसे ही एक लड़की की शादी हुई जो दिल्ली में नौकरी करती थी. ससुराल वालों ने शादी से पहले कहा कि हमें तो बस संस्कारी लड़की चाहिए, नौकरी नहीं करवानी. जब वह शादी के बाद ससुराल गई तो 15 गिन बाद ही उसपर जॉब करने के लिए दबाव बनाए जाने लगा. घर की कामवाली को हटा दिया गया. वह पूरे घर का काम करती फिर उसे ऐसा महसूस करवाया गया जैसे वह ससुराल में मुफ्त की रोटी खा रही है. उस फैशन इंजस्ट्री में थी इसलिए उसे छोटे शहर में नौकरी भी नहीं मिल सकती थी.
उसे रोज ताने मारे जाने लगे. उसे ससुराल में नीचा दिखाया जाने लगा. पति और सास ने उसका जीना मुश्किल कर दिया. उसके ससुराल वालों के पास पैसे की कमी नहीं थी लेकिन वे चाहते थे कि उसका खर्चा वह खुद उठाए और घर के सारे काम भी वह खुद करे. आखिरकार वह परेशान हो गई वह नौकरी करने दिल्ली आ गई.
लोगों को आजकल बहू के नाम पर वो सब चाहिए जो उनकी सभी जरूरतों को पूरा कर सके. इसलिए लड़कियों के ऊपर नौकरी करने का दबाव बनाया जाता है. बहू हर महीने मोटी रकम लाए और घर के सारे काम भी वह खुद ही करे. घर की सारी जिम्मेदारी भी निभाए और सबका ख्याल भी रखे, जैसे वह कोई इंसान नहीं मशीन है. मतलब बहू तो घरेलू ही चाहिए बस वो कमाती भी हो.
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