मनमर्जियों पर सवाल उठे तो भारतीय नारी पड़ती है सब पर भारी
विडंबना ही है कि ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स में फिनलैंड (Finland) के मुकाबले भारत (India) तो कहीं ठहरता ही नहीं. कहां फिनलैंड दुनिया के टॉप 10 देशों में हैं. भारत कुल 146 देशों की लिस्ट में 136वें स्थान पर है. जबकि, ग्लोबली गूगल करने बैठेंगे. तो, बहुत सी तुलनात्मक चीजें मिल जाएंगी जिनमें भारतीय महिलायें (Indian Woman) मजबूत बनकर उभरती हैं.
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मनमर्जियों पर सवाल उठे, तो भारतीय नारी पड़ती है सब पर भारी. और, ऐसा कोई ग्लोबल इंडेक्स होता. तो, इंडिया टॉप पर होता. वजह है ऐसा कहने की. जहां फिनलैंड की पीएम सना मरीन अपनी प्राइवेट पार्टी के लिए जनता से माफ़ी मांग रही हैं. भावुक हो रही हैं. वहीं, कलकत्ता के नामी-गिरामी शिक्षण संस्थान सेंट जेवियर्स यूनिवर्सिटी की असिस्टेंट प्रोफेसर, जिसकी पर्सनल इंस्टाग्राम पर कुछ बिकनी की तस्वीरें लोगों की नाराजगी का कारण बनी, ने हार नहीं मानी. बल्कि, वो तो जम कर रार कर रही हैं.
विडंबना ही है कि ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स में फिनलैंड के मुकाबले भारत तो कहीं ठहरता ही नहीं. कहां फिनलैंड दुनिया के टॉप 10 देशों में हैं. भारत कुल 146 देशों की लिस्ट में 136वें स्थान पर है. जबकि, ग्लोबली गूगल करने बैठेंगे. तो, बहुत सी तुलनात्मक चीजें मिल जाएंगी जिनमें भारतीय महिलायें मजबूत बनकर उभरती हैं. सवाल हैं- क्या प्रधानमंत्री को प्राइवेट लाइफ का हक है? क्या किसी प्रोफेसर की प्राइवेसी की इज्जत नहीं की जानी चाहिए? उससे बड़ा सवाल है जेंडर स्कोर पर.
फिनलैंड की पीएम सना मरीन पार्टी करने के लिए माफी मांगती हैं. लेकिन, भारतीय महिला प्रोफेसर अपनी स्विमसूट की तस्वीरों पर मैनेजमेंट से लड़ जाती है.
दो औरतें हैं. दो देश हैं. वर्कप्लेस एथिक्स का पर्सनल स्पेस, चॉइस के आड़े आना कॉमन है. लेकिन, जब आड़े आ जाता है तब बेहतर स्कोर वाले देश की, जिसे यूएन दुनिया का सबसे सुखी देश और महिलाओं के रहने के लिए तीसरी सबसे अच्छी जगह बताता है, औरत कमजोर क्यों पड़ गई? कोलकाता की महिला प्रोफेसर को इस्तीफा देना पड़ा, कॉलेज ने खाप सरीखी कंगारू कोर्ट लगाई और महिला को अपमानजनक सवालों का सामना करना पड़ा जो शर्मनाक, डरावना और घृणा से भरा हुआ था. जबकि, उनका पोस्ट, जो सिर्फ करीबी दोस्तों के लिए था, संस्थान ज्वाइन करने के पहले के थे.
वाइस-चांसलर फादर फेलिक्स पूछते हैं कि क्या तुम्हारी मां ने इन तस्वीरों को देखा है और क्या वे ऐसी तस्वीरों को अपनी मंजूरी दे सकती हैं? बोर्ड में शामिल एक अन्य महिला पूछती है कि क्या इस तरह की तस्वीरें पोस्ट करना सही है? फिनलैंड में प्रधानमंत्री सना मरीन का देर रात पार्टी करने और नाचने गाने का वीडियो किसी ने लीक कर दिया हुआ और जब वायरल हुआ तो बवाल मच गया. लोग कहने लगे कि प्रधानमंत्री गैर जिम्मेदार हैं, वॉर की विभीषिका से पड़ोस सुलग रहा है और वह मस्ती कर रही हैं.
संदेह जताया गया कि सना ने ड्रग्स भी लिए होंगे. सना ने इसके लिए ड्रग टेस्ट करवाया, जो नेगेटिव आया और इसके बाद प्राइवेट पार्टी के लिए, दोस्तों की कुछ आपत्तिजनक फोटो के लिए जनता से माफी भी मांगी. हालांकि, बहुतों ने सना मरीन का पक्ष भी लिया कि क्या पीएम होने की वजह से उसकी पर्सनल लाइफ कुछ नहीं होती, पार्टी की तो क्या गलत किया? क्या मानें की सना की आलोचना अभी चल रहे यूक्रेन वॉर की वजह से हो रही है. क्योंकि, फिनलैंड ने भी नाटो ज्वाइन करने का मन बना रखा है?
ऐसा नहीं है. क्योंकि, सना मरीन और उनकी सरकार, जिनमें महिलाएं बहुत बड़ी संख्या में हैं, को अक्सर आलोचनाओं का शिकार होना पड़ता है. उनकी महिला मंत्रियों को नित उत्पीड़ित करने वाले संदेश मिलते रहते हैं, उन्हें तब भी बख्शा नहीं गया था, जब इंस्टा पर सेल्फी डाली थी. अब तो उन्हें 'पार्टी सना' कहा जाने लगा है.
सो दो ख़बरें हैं, उनके सन्दर्भ भी कई हैं. लेकिन, कहीं न कहीं एक दूसरे से मिलती जुलती हैं. लेकिन फर्क बड़ा है; जहां कोलकाता गर्ल यूनिवर्सिटी का सामना कर रही हैं. वहीँ, सना मरीन ने विवादास्पद फोटो के लिए, जिसमें उनकी दो महिला मित्र टॉपलेस हैं और एक दूसरे को किस कर रही हैं, अफ़सोस जाहिर करते हुए माफ़ी मांग ली. एक कॉमन स्थिति है, दोनों को ही निजी जिंदगी की चॉइस भारी पड़ी है. लेकिन, दोनों का सामना करने का तरीका उलट है.
मकसद एक महिला को दूसरी के मुकाबले मजबूत सिद्ध करने भर का नहीं है. खैर, वो तो हो ही गया है. होना भी था, समय पर जज्बा दिखाना तो हिन्दुस्तानी महिलाओं की फितरत है, विरासत में जो मिला है. सही मकसद ग्लोबल जेंडर स्कोर को झुठलाना भी नहीं है, वह भी तो सिद्ध हो ही गया है. असल सवाल है फिनलैंड की पीएम से कोलकाता की प्रोफेसर तक, लोग औरतों को पर्सनल स्पेस, चॉइस क्यों नहीं देते? वर्क प्लेस एथिक्स की बिनाह लें तो नैतिकता पुरुषों पर उस कड़ाई से लागू नहीं की जाती, महिला कर्मी, भले ही हर कोण से सुपीरियर ही क्यों ना हो, को बड़ी सजा मिलती है.
आचार हो, विचार हो और व्यवहार ही क्यों ना हों; महिला को शुचिता दिखानी ही पड़ती है. पुरुष पर लागू नहीं होती ये शर्तें; मर्द को तो सात खून (सातों वचन तोड़ना) माफ. 'लड़के हैं, लड़कों से गलती हो जाती है' वाला माइंडसेट हर जगह लागू है. पुरुष की मनमर्जी या कोई प्राइवेट मोमेंट वायरल हो भी गया. तो, 'मर्दानगी' करार दे दिया जाता है. महिला कितनी भी सक्षम हो, सफल हो, उसकी यदि कोई पर्सनल लाइफ है, चॉइस है, तब तक है जब तक वह सीक्रेट रख सकती है. जिंदगी उसकी खुली किताब नहीं हो सकती. सो जब कुछ लीक हुआ या उसने बताया, मर्दाना ईगो तो आहत होता ही है. लेकिन, साथ-साथ जनाना कौम की भी भौहें तन जाती हैं. मानो कौम का राज जो खुल गया हो.
कोलकाता की प्रोफेसर से कहा गया कि स्टूडेंट्स पर क्या प्रभाव पड़ेगा? ऐसा कहने वाले ठीकरा ही फोड़ रहे हैं, कुंठा जो निकालनी है आज के स्वछंद माहौल की. फिनलैंड की पीएम के लिए भी यही कुंठा काम कर रही है. लेकिन, थोड़े फर्क के साथ. और वह फर्क है जलन. कुल मिलाकर ग्रेटर समाज संकीर्णता से ऊपर नहीं उठ पाता, कुछ खुले दिल से स्वीकार करें भी तो. वजह एक नहीं कई हैं मिलकर राई का पहाड़ बनाने के लिए. कोई महिला पारदर्शिता रखती है या रखने का प्रयास करती है तो शामत आती है उसकी, कीचड़ उछाला जाता है.
कभी रनर दुतीचंद के साथ भी तो यही हुआ था. जेंडर चॉइस जो जाहिर कर दी थी उसने. प्राइवेट और पर्सनल लाइफ की वजह से बदनाम होने वालों की फेहरिस्त तो बहुत लंबी है, नाम क्यों लें?
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