मामला बस तब तक ही ठीक था जब तक जलेबी वाला बाबा ठेले पर जलेबियां तल रहा था!
फतेहाबाद की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने टोहाना में फेमस जलेबी बाबा, बिल्लूराम उर्फ अमरपुरी को सेक्स स्कैंडल मामले में दोषी माना है. कोर्ट ने बाबा को जहां 14 साल कैद की सजा सुनाई वहीं बाबा पर 35 हजार रूपये का जुर्माना भी ठोंका गया. मामले में कोर्ट का फैसला कुछ भी हो लेकिन बाबा तब तक ही ठीक था जब तक वो जलेबियां तल रहा था.
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बुरा लगता है. बहुत बुरा लगता है जब ट्विटर - इंस्टाग्राम पर कोई फिरंगी, किसी भारतीय को घेरता है. उसे एक ऐसे देश का नागरिक बताता है जो संपेरों का, बाबाओं का देश है. वाक़ई बहुत गुस्सा आता है तब. मन सवाल करता है कि अगर दुनिया के सामने हम भारतीयों की ये छवि बनी तो बनी कैसे? फिर जब हम राम रहीम, राधे मां, निर्मल बाबा, आसाराम और सबसे ताजे में जलेबी बाबा को देखते हैं तो मन खट्टा हो जाता है. अंतर्मन से आवाज यही आती है कि जब अपना ही सिक्का खोटा हो तो फिर किसी दूसरे को क्या ही दोष देना. असल में फतेहाबाद की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने टोहाना में फेमस जलेबी बाबा, बिल्लूराम उर्फ अमरपुरी को सेक्स स्कैंडल मामले में दोषी माना है. कोर्ट ने बाबा को जहां 14 साल कैद की सजा सुनाई वहीं बाबा पर 35 हजार रूपये का जुर्माना भी ठोंका गया.
जलेबी बाबा ने महिलाओं के साथ जो किया उसका अकेला जिम्मेदार वो नहीं है
कोर्ट ने जलेबी बाबा को 376सी में 7-7 साल, पॉक्सो एक्ट में 14 साल और 67 आईटी एक्ट में 5 साल की सजा सुनाई है. बताया जा रहा है कि बाबा की साड़ी सजा एक साथ चलेंगी. जलेबी बाबा पर आरोप है कि उसने 100 से ऊपर महिलाओं को चाय में नशीली गोलियां खिलाकर उनका रेप किया. बताया ये भी जा रहा है कि बाबा रेप के दौरान पूरे घटनाक्रम की वीडियो रिकॉर्डिंग करता और बाद में भी पैसों के लिए महिलाओं को ब्लैक मेल करता.
बाबा के महिलाओं के साथ 120 से अधिक अश्लील वीडियो सामने आये थे. मामले में 6 पीड़िताओं ने कोर्ट में बतौर विक्टिम पेश होकर बाबा की करतूतों का पर्दाफाश किया. बाद में 3 पीड़िताओं के बयानों को आधार बनाया गया और कोर्ट ने इतने गंभीर मसले पर अपना फैसला सुनाया.
रेप जैसे घृणित अपराध के लिए बाबा को सही सजा मिली या सिर्फ 14 साल की सजा देकर कोर्ट ने तमाम पीड़िताओं को इंसाफ के नाम पर लॉलीपॉप दिया इसपर चर्चा फिर कभी लेकिन अभी जिस बिंदु पर बात होनी चाइये वो है किसी भी ऐसे गैर को बाबा बना भगवान की तरह पूजने की हम भारतीयों की प्रवृत्ति. ध्यान रहे कि बिल्लूराम उर्फ अमरपुरी जिसे आज दुनिया जलेबी बाबा के नाम से जानती हैं किसी ज़माने में पंजाब के मनसा में स्थित नेहरू मार्केट में जलेबियां तला करता था.
उसकी जलेबियों का स्वाद अच्छा हुआ करता था तो उसके ठीहे पर लोगों की भारी भीड़ भी रहती थी. इसी दौरान उसकी पत्नी की मृत्यु हो गयी. इसी दौरान उसकी पत्नी की मौत हो गयी और वो एक तांत्रिक के संपर्क में आया. बाद में ऐसा कुछ हुआ कि वो बाबा बन गया. मजे की बात ये है कि जिस तरह किसी समय लोग उसकी दुकान पर जलेबियों के लिए लाइन लगाए रहते. वैसी ही लाइन उसके दरवाजे पर उन लोगों की भी लगती जो अपना दुःख दूर करवाने उसके पास आते. इसमें भी रोचक पक्ष ये है कि इस फर्जी बाबा के फॉलोवर्स में महिलाओं की संख्या ज्यादा थी.
इस बात में कोई शक नहीं है कि इस धूर्त बाबा ने धर्म की आड़ लेकर भोली भाली महिलाओं के साथ जो किया वो घिनौनेपन की पराकाष्ठा है. लेकिन सवाल ये है कि क्या सच में महिलाओं की अक्ल पर पत्थर पड़ गया था? क्या वो महिलाएं इस बात से अंजान थीं कि जो आदमी आज उनके सामने बाबा के चोगे में बैठा है वो कल तक ठेले पर जलेबियां तलता था.
विषय सिर्फ बिल्लूराम उर्फ अमरपुरी नहीं है. हमारे आस पास जितने भी फर्जी बाबा हैं ,सबका हाल मिलता जुलता है. अब इसे अन्धविश्वास कहें या आस्था इन फर्जी बाबाओं के पास भक्तों का तांता लगा रहता है. इन लोगों के लिए बाबा का कहा पत्थर की लकीर रहता है.
सवाल ये है कि वो महिलाएं जो इन बाबाओं के चंगुल में फंस रही हैं. क्या वो इन बाबाओं के अतीत के बारे में कुछ नहीं जानतीं. इसी मामले को देखें तो क्या बिल्लूराम के पास आने वाली महिलाएं इस बात को भूल गईं कि वो व्यक्ति जो धार्मिक आडंबरों का हवाला देकर उनका दुःख हरने की बात कह रहा है कल तक वो उनकी थाली में जलेबियां परोस रहा था.
यक़ीनन जो कुछ भी बिल्लूराम ने बाबा बन भोली भाली महिलाओं के साथ किया उसके लिए उसे सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए थी. लेकिन क्या दोष केवल इसी का है? हो सकता है ये बात कई लोगों को बुरी लग जाए. ऐसे में हम बस इतना ही कहेंगे कि बाबा चाहे जलेबी बाबा हो या गुरमीत राम रहीम उनके गलत को किसी भी सूरत में जायज नहीं ठहराया जा सकता. अगर सब कुछ जानते बूझते हुए महिलाएं ऐसे बाबाओं के झांसे में आ रही हैं तो अकेले ऐसे बाबाओं को गुनहगार कहना कहीं से भी न्यायसंगत नहीं है.
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