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Updated: 11 जनवरी, 2023 01:30 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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इकोनॉमिक फ्रंट पर पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के क्या हाल हैं? सोशल मीडिया पर तमाम वीडियो आ चुके हैं जिन्होंने पाकिस्तान को बेनकाब कर दिया है. अलग अलग कारणों के चलते पाकिस्तान में महंगाई सातवें आसमान पर पहुंच गयी और लोग दाने दाने को मोहताज होते नजर आ रहे हैं. हालात बद से बदतर खैबर पख्तूनख्वा, सिंध और बलूचिस्तान जैसे प्रांतों में हुए हैं. जहां रियायती कीमतों पर सरकारी आटा लेने के लिए लोग कुत्ते और बिल्लियों की तरह एक दूसरे से लड़ते झगड़ते हुए नजर आ रहे हैं. जगह जगह भगदड़ की ख़बरें हैं और लोगों की मौत तक के मामले सामने आए हैं. क्योंकि पाकिस्तान लगभग दीवालिया होने की कगार पर पहुंच गया है. इसका सीधा असर रोजमर्रा की चीजों की कीमतों पर देखने को मिल रहा है. रोजाना इस्तेमाल की जाने वाली चीजें आम आदमी की जेब पर डाका डालती हुई नजर आ रही हैं.

Pakistan, Shahbaz Sharif, Prime Minister, Poverty, Inflation, Wheat, Food, Sindh, Imran Khanपाकिस्तान में सरकार की बदौलत लोगों को रोजाना की चीजों में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है

ध्यान रहे कि अभी देश 2022 में आई बाढ़ से उभर भी नहीं पाया है ऐसे में बढ़ी हुई महंगाई ने मुल्क के आम आदमी की कमर तोड़ कर कर दी है. मुल्क के हालात कैसे जटिल हैं इसका अंदाजा प्यार, चिकेन, डीजल, पेट्रोल, चावल, दाल, गेहूं की कीमतों को देखकर बड़ी ही आसानी के साथ लगाया जा सकता है.पाकिस्तान में प्याज जो अभी कुछ दिन पहले 36 से 38 रूपये किलो के बीच बिक रही थी आज खुले बाजार में वो 220 रुपए किलो के आस पास है.

ऐसा ही कुछ मिलता जुलता हाल पेट्रोल और डीजल का भी है. जो अभी कुछ दिनों पहले तक जायज कीमतों में था लेकिन आज उसके दामों में 61 प्रतिशत की वृद्धि हो गयी है. वहीं चावल, दाल और गेहूं की कीमत भी एक साल में करीब 50 फीसदी बढ़ी है. सोचने वाली बात ये है कि जिस मुल्क में लोगों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल रहीं. जहां जीना मुहाल हैं वहां के राजनेताओं को इससे कोई मतलब नहीं है.

अब इसे भ्रष्टाचार कहें या फिर आदत और फितरत पाकिस्तान में हुक्मरानों ने आवाम को मरने मारने के लिए सड़कों पर छोड़ दिया है. मुल्क की जैसी हालत हुई उसके लिए पीएम शहबाज़ जहां इमरान खान को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं तो वहीं इमरान के लोग तमाम सार्वजानिक मंचों से इसके लिए पीएम शहबाज़ के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और उनके काले कारनामों को जिम्मेदार बता रहे हैं. ये अपने में दुर्भाग्यपूर्ण है कि आर्थिक मोर्चे पर पाकिस्तान के पास कोई विकल्प बचा नहीं है. लेकिन बावजूद इसके जो वर्तमान सरकार का रवैया है वो बेशर्मी नहीं तो फिर और क्या है?

Pakistan, Shahbaz Sharif, Prime Minister, Poverty, Inflation, Wheat, Food, Sindh, Imran Khanचीजों के दाम बता रहे हैं कि कैसे पाकिस्तान में महंगाई सातवें आसमान पर है

इस बात में कोई शक नहीं है कि पाकिस्तान के हालात बद से बदतर हैं लेकिन जो हुक्मरानों की अकड़ है वो स्वतः इस बात की गवाही दे देती है कि अगर एक देश के रूप में पाकिस्तान बर्बाद हुआ तो इसके जिम्मेदार वहां के राजनेता और उनकी विध्वंसकारी नीतियां ही होंगी.

यदि स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान से आए आंकड़ों पर यकीन किया जाए पाकिस्तान मेंमुद्रास्फीति दिसंबर 2021 में 12.3 प्रतिशत से दोगुनी होकर दिसंबर 2022 में 24.5 प्रतिशत हो गई. मूल्य वृद्धि मुख्य रूप से खाद्य कीमतों में वृद्धि के कारण हुई थी. खाद्य मुद्रास्फीति की दर दिसंबर 2021 में 11.7 प्रतिशत से लगभग तीन गुना बढ़कर दिसंबर 2022 में 32.7 प्रतिशत हो गई.

पाकिस्तान के मामले में दिलचस्प ये भी है कि देश सिर्फ खुदरा बाजारों में ही समस्याओं का सामना नहीं कर रहा है. पाकिस्तान की मैक्रोइकॉनॉमिक तस्वीर भी खराब नजर आ रही है. पाकिस्तान तेजी से अपना विदेशी मुद्रा भंडार खो रहा है जो एक साल में आधा हो गया था. दिसंबर 2021 में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 23.9 बिलियन अमरीकी डॉलर था जो दिसंबर 2022 में घटकर 11.4 बिलियन अमरीकी डॉलर रह गया.

Pakistan, Shahbaz Sharif, Prime Minister, Poverty, Inflation, Wheat, Food, Sindh, Imran Khanहुक्मरानों की बदौलत पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चरमरा गयी है

पाकिस्तान के हालत क्यों इतने चिंताजनक हुए हैं इसकी एक बड़ी वजह डॉलर है. ध्यान रहे अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर जैसे हाल पाकिस्तान के हैं डॉलर के मुकाबले पाकिस्तान की मुद्रा काफी कमज़ोर हो गयी है जिसने पाकिस्तान की बदहाली में इजाफा कर दिया है. बताते चलें कि पाकिस्तानी रुपया दिसंबर 2020 में डॉलर के मुकाबले 160.1 पर था, जो दिसंबर 2021 में 177.2 और दिसंबर 2022 में और कमजोर होकर 224.8 पर आ गया है.

बहरहाल बात पाकिस्तान की बदहाली और वहां लोगों के भूखों मरने पर हुई है. तो हम इतना जरूर कहेंगे कि अगर सरकार ने लोगों को कभी समझा होता तो ये दृश्य देखने को नहीं मिलते. अगर आज पाकिस्तान में लोग फाका करने या भूखे मरने पर मजबूर है तो इसके जितने जिम्मेदार शहबाज़ हैं इसके पीछे उतनी ही जिम्मेदारी नवाज शरीफ और इमरान खान जैसे लोगों की भी है.

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बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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