भारत की जैव विविधता को समृद्ध बनाएगा चीतों को बसाने का सफल प्रयास...
भारत ही दुनिया का एकमात्र देश है जिसकी जैव विविधता इतनी समृद्ध है. चीते के विलुप्त होने से जो एक खालीपन हो गया था, इस प्रयास के जरिए जैव विविधता की विरासत को और समृद्ध करने की कोशिश है. ऐसा नही है कि चीते भारतीय परिस्थितियों में नही ढल सकते.
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आजकल नामीबिया से लाए गए चीतों और उनके लिए चीतल और हिरणों को उपलब्ध कराने को लेकर चर्चाएं चल रही हैं. इस विषय पर कुछ तथ्य समझ लेने जरूरी हैं. एक चीता सालाना औसतन 50 शिकार करता है यानि एक हफ्ते में एक बार शिकार की जरूरत होती है. चीता एक मांसाहारी जानवर है, जो दाल भात तो नही खा सकता. सरकार प्रयास कर रही है कि 70 साल पहले विलुप्त हुए चीतों को फिर से बसाया जाए, जिसके लिए ऐसी पारिस्थितिकी की आवश्यकता है जिसमें अनुकूल तापमान, जल की सुलभता और पसंदीदा शिकार की प्रचुरता हो.
चीते को भारत में बसाना पर्यावरण के लिहाज से एक अच्छी पहल है
गर्व है भारत की विविधता भरी जलवायु पर जिसे 6 अलग अलग जोनों में बांटा गया है जिसके कारण बड़ी बिल्लियों की प्रमुख प्रजातियां (एशियाई शेर, रॉयल बंगाल टाइगर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ, ब्लैक पैंथर) भारत में पाई जाती हैं, भारत ही दुनिया का एकमात्र देश है जिसकी जैव विविधता इतनी समृद्ध है.
चीते के विलुप्त होने से जो एक खालीपन हो गया था, इस प्रयास के जरिए जैव विविधता की विरासत को और समृद्ध करने की कोशिश है. ऐसा नही है कि चीते भारतीय परिस्थितियों में नही ढल सकते, पूर्व में तेलंगाना में एक व्यक्ति को चीते के साथ टहलने का एक वीडियो फिल्म निर्देशक रामगोपाल वर्मा ने ट्विटर पर साझा किया था, जिस पर अपने रिप्लाई का लिंक यहां साझा कर रहा हूं.
VAAMMO we know #KCR and @KTRTRS are TIGER and LION but I love this candidate @BagathNomula who is taking a CHEETAH for a walk ..If I had a VOTE I will vote for this REAL HERO on 17th by-election of Nagarjuna Sagar pic.twitter.com/sYETa51Zq0
— Ram Gopal Varma (@RGVzoomin) April 2, 2021
बाकी इस प्रयास को सफल बनाने के लिए भारत सरकार को निगरानी तंत्र को दुरुस्त करने से लेकर वन्य जीव विशेषज्ञ, स्थानीय नागरिकों, राज्य सरकार और वन्य सुरक्षा बल इत्यादि के प्रतिनिधित्व वाली टास्क फोर्स के गठन जैसे कदमों में गंभीरता दिखानी होगी.
साथ ही संरक्षित जीवों शेर और बाघों की बढ़ती संख्या के कारण अभयारण्यों में छोटी पड़ती जगह और इस कारण आपसी संघर्ष और इंसानी इलाकों में घुसपैठ जैसी समस्याओं के जल्द निराकरण पर ध्यान देना चाहिए.
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