हवा में उड़ती महिलाएं कलंक नहीं कमाल हैं!
हालांकि हर क्षेत्र में महिलाओं को भेदभाव का सामना करना पड़ता है लेकिन भारतीय वायुसेना वो उदाहरण लेकर आया है जिसकी जरुरत दुनिया को है.
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आज जबकि पूरी दुनिया समाज में महिलाओं की भूमिका पर बहस करने में व्यस्त है तो भारतीय वायु सेना समानता के अधिकारों पर अपना दमदार स्टैंड लेकर आया है. पिछले साल भारतीय वायु सेना ने महिलाओं को युद्ध क्षेत्र में जाने की अनुमति देते हुए तीन महिला पायलटों के पहले बैच को नियुक्त किया था.
हालांकि हर क्षेत्र में महिलाओं को भेदभाव का सामना करना पड़ता है लेकिन भारतीय वायुसेना वो उदाहरण लेकर आया है जिसकी जरुरत दुनिया को है. एयर फोर्स ने महिलाएं क्या कर सकती हैं या नहीं कर सकती हैं के मिथक को तोड़ते हुए अपना अभियान एक नया विज्ञापन के साथ लाया है.
बम से महिलाएं डरती नहीं, खेलती हैं
अपने एड में एयर फोर्स ने महिलाओं को कॉम्बेट रोल में दिखाया है. इसका उद्देश्य है युद्ध के मोर्चे पर महिलाओं की क्षमताओं पर लगने वाले कयासों से लड़ना और उसको गलत साबित करना है. लगभग एक मिनट के इस वीडियो में अपनी पहली महिला लड़ाकू पायलटों की उपलब्धियों को बड़े ही गर्व के साथ दिखाया गया है. जबकि वीडियो की शुरुआत लड़कियों के प्रति समाज के विचारों को बताते हुए किया गया है.
ये वीडियो बताता है कि कैसे हमारे समाज में लोग ये मानते हैं कि महिलाओं को जोर की आवाज़ और ऊंचाई से डर लगता है, जो नौकरी के बोझ को नहीं उठा पाती है और अंततः हार मान लेती हैं, जिनसे एक परिवार को बढ़ाने के लिए अपने सपनों का त्याग करने की अपेक्षा की जाती है और उन्हें साथ ही उन्हें समाज में समानता पाने की अपेक्षा नहीं करने को कहा जाता है.
एड में ये साफ मैसेज दिया गया है कि एक महिला को घर चलाने वाला माना जाता है सिर्फ इसलिए वह अपने देश का बचाव नहीं कर सकती ये सोच ही गलत है. इस एड में साफ कहा गया है कि महिलाएं कुछ भी हैं लेकिन नाजुक नहीं हैं और किसी भी पुरूष की तरह ही मैदान-ए-जंग में दुश्मनों से लोहा ले सकती हैं. ये एड दर्शकों को अपने बनाए उन सभी खोखले मान्यताओं और तौर-तरीकों पर पुनर्विचार करने पर विवश करता है और उन्हें बताता है कि एक महिला होने का अर्थ क्या है.
यहां देखिए पूरा एड-
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