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Updated: 11 नवम्बर, 2018 02:22 PM
श्रुति दीक्षित
श्रुति दीक्षित
  @shruti.dixit.31
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धनतेरस के दिन भारत को एक नया तोहफा मिला है. INS अरिहंत जो भारत की पहली स्वदेशी न्यूक्लियर सबमरीन है उसने अपनी पहली पेट्रोलिंग पूरी की है. प्रधानमंत्री मोदी ने इसके बारे में खुशी से ट्वीट भी की और INS अरिहंत से जुड़े एक कार्यक्रम में शिरकत भी की. इसके आने के बाद भारत का त्रिभुज पूरा हो गया है जहां पानी, पृथ्वी और हवा तीनों जगह से भारत न्यूक्लियर हमला कर सकता है. ये तो बेहद खुशी की बात है कि हमारा देश विदेशी हमलों से बचने के लिए हम तैयार हैं और अपनी सीमाओं की रक्षा कर सकते हैं पर देश के अंदर का क्या? देश के अंदर पृथ्वी, जल और वायु से हो रहे हमलों को कैसे रोका जाए?

पानी -

भारत में एक जहाज है जो धनुष मिसाइल (अग्नी मिसाइल का छोटा रूप) लॉन्च कर सकता है. इसके अलावा, अब INS अरिहंत ने भी बेहद अच्छे तरीके से अपनी पेट्रोलिंग पूरी कर ली है. नेवी के पास कम से कम 4 अन्य 6000 टन की बैलिस्टिक मिसाइल सब्मरीन हैं जो अरिहंत क्लास की ही हैं. ये चार K-4 सबमरीन लॉन्च्ड बैलिस्टिक मिसाइल से लैस है और इसकी रेंज 3500 किलोमीटर की है. ये 12 K-15 मिसाइल्स से भी भरी जा सकती है जिनकी रेंज 750 किलोमीटर हो.

INS arihant, आईएनएस अरिहंत, भारत, प्रदूषण, नरेंद्र मोदी, न्यूक्लियर हथियारINS अरिहंत भारत की पहली सेल्फ मेड न्यूक्लियर सबमरीन है

ये भारत द्वारा बनाई गई पहली सबमरीन है और एक CIA रिपोर्ट के मुताबिक रूस ने भारत को ये डिजाइन और तकनीकी सामान मुहैया करवाया है.

एक तरफ तो हम ये वर्ल्ड क्लास सबमरीन बना रहे हैं, लेकिन...

दूसरी तरफ एक बड़ा खतरा सामने है. नीती आयोग की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत अपनी सबसे खराब स्थिती से गुजर रहा है जहां 600 मिलियन लोग पानी की कमी से जूझ रहे हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक हर साल 2 लाख लोग साफ पानी न मिलने और कम पानी की कमी के कारण मारे जाते हैं और ये समस्या 2020 तक और बढ़ जाएगी.

INS arihant, आईएनएस अरिहंत, भारत, प्रदूषण, नरेंद्र मोदी, न्यूक्लियर हथियारभारत अपनी सबसे खराब पानी की स्थिती से गुजर रहा है

दूसरी तरह साफ पानी की समस्या से 76 मिलियन लोग जूझ रहे हैं. न ही नदियों का पानी साफ हो पा रहा है और न ही साफ पानी को साफ रखने की कोई तरकीब निकाली जा रही है. भारत में एक तरफ पानी की सीमाओं की रक्षा की जा रही है और दूसरी तरफ हमारा देश इतना लाचार है कि अपनी उस जनसंख्या को पानी तक नहीं दे पा रहा है जो 1% के आकार से बढ़ रही है. इसी तरह अगर चलता रहा तो 2030 तक भारत में जितनी जनसंख्या होगी उससे दुगनी पानी की समस्या होगी.

पृथ्वी-

पृथ्वी यानी जमीन की रक्षा करना. हमारे देश में बहुत पहले ही न्यूक्लियर मिसाइलें आ गई थीं और देश इस स्थिती में था कि वो किसी भी विदेशी ताकत के हमले का जवाब दे सके. भारत के पास लगभग 68 न्यूक्लियर हथियार हैं. ये भारतीय सेना के अधीन हथियार हैं. तीन अलग-अलग तरह की बैलिस्टिक मिसाइल हैं Agni-I, Agni-II, Agni-III. और साथ ही साथ एक पृथ्वी मिसाइल भी है. अन्य अग्नी मिसाइल सीरीज अभी डेवलपमेंट स्टेज में ही है. इसमें अग्नी 4 और 5 शामिल हैं. अग्नी 5 का टेस्ट 2018 में ही 5 बार किया जा चुका है. अग्नी 6 का भी डेवलपमेंट चल रहा है. ये मिसाइल 8 हज़ार से 12 हज़ार किलोमीटर की दूरी पर हमला कर सकती है.

INS arihant, आईएनएस अरिहंत, भारत, प्रदूषण, नरेंद्र मोदी, न्यूक्लियर हथियारअग्नि मिसाइल का परीक्षण लगातार चल रहा है

अपनी जमीनी सीमाओं को बचाने के लिए तो हम बहुत कुछ कर सकते हैं, लेकिन...

इतने विशाल देश में राजधानी दिल्ली में ही हम अपनी जमीन नहीं बचा सकते. यहां बात हो रही है उस मानव निर्मित पहाड़ की जो साल दर साल अपने नाम कई रिकॉर्ड किए जा रहा है और मजाल है कि किसी को इसके होने से कोई फर्क पड़े. अगर आप अब तक नहीं समझे तो मैं आपको बता दूं कि यहां गाजीपुर डंपिंग ग्राउंड की बात हो रही है जो अब ग्राउंड न रहकर पहाड़ बन गया है. आलम तो ये है जनाब कि ये पहाड़ कुतुब मीनार से सिर्फ 8 मीटर छोटा रह गया है. कुतुब मीनार की ऊंचाई 73 मीटर है तो इसकी भी 65 पहुंच गई है. पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी ऑन साइंस एंड टेक्नोलॉजी, एनवायरमेंट एंड फॉरेस्ट ने इसको लेकर रिपोर्ट जारी की थी.

INS arihant, आईएनएस अरिहंत, भारत, प्रदूषण, नरेंद्र मोदी, न्यूक्लियर हथियारहम अपनी जमीन को कचरे के बोझ तले दबने से नहीं रोक पा रहे हैं

कुछ ही दिनों में दिल्ली की शर्म का ये पहाड़ कुतुब मिनार की ऊंचाई से भी ऊंचा हो जाएगा और इसके कारण वहां आस-पास रहने वाले लोगों को जिस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है उसके बारे में तो पूछिए ही मत.

पिछले साल गाजीपुर का कचरा अचानक गिर गया था. दो लोगों की मौत हुई थी इसमें कई गाड़ियां नहर में जा गिरी थीं और कुछ कचरे के नीचे दब गई थीं. गाजीपुर के आस-पास लोगों को बीमारियां बहुत हो रही हैं और दिल्ली का यही इलाका सबसे ज्यादा प्रदूषित माना जाता है. हम अपनी सीमाओं की रक्षा बाहरी ताकतों से तो कर सकते हैं, लेकिन इस कचरे का क्या करें जिसे देश की राजधानी में ही नहीं सुधारा जा सकता है.

आकाश-

आकाश से भी हम अपने देश की सीमाओं की रक्षा कर सकते हैं. न्यूक्लियर फाइटर बॉम्बर्स भारत के पहले और 2003 तक सिर्फ यही एक ऐसा जरिया था जिससे भारत न्यूक्लियर हमला कर सके. भारत के मिराज विमान और SEPECAT जैगुआर ऐसे विमान हैं जो हवा से न्यूक्लियर स्ट्राइक कर सकते हैं. SEPECAT ऐसा विमान है जो न्यूक्लियर हथियार ट्रांसफर कर सकता है और उन्हें तैनात कर सकता है. दूसरा मिराज विमान उन हथियारों को ले जा सकता है और इस्तेमाल कर सकता है जो फ्री फॉल हों यानी बस उन्हें किसी जगह पर गिरा दिया जाए.

INS arihant, आईएनएस अरिहंत, भारत, प्रदूषण, नरेंद्र मोदी, न्यूक्लियर हथियारहम किसी भी वक्त अपने विमानों को न्यूक्लियर हथियारों के साथ उड़ा सकते हैं

अंबाला एयरफोर्स स्टेशन और गोरखपुर एयरफोर्स स्टेशन में एयरबेस हैं जो खास इन्हीं के लिए हैं. ये खास तौर पर चीन और पाकिस्तान पर न्यूक्लियर स्ट्राइक करने के काबिल हैं.

आकाश से भी हम किसी भी खतरे के ऊपर आफत बनकर बरस सकते हैं, लेकिन..

हम अपने देश के नागरिकों को ही साफ हवा नहीं दे सकते जो वायु प्रदूषण से मर रहे हैं. सिर्फ दिल्ली ही नहीं देश के 70 शहर ऐसे हैं जो बेहद खराब स्थिती में हैं और सबसे ज्यादा प्रदूषित हैं. हवा की क्वालिटी दुनिया में सबसे खराब भारत में ही है. हम चाह कर भी अपने पुराने रीति-रिवाज खत्म नहीं कर पा रहे हैं जहां नदियों, हवा, पानी, जमीन को प्रदूषित किया जाता है. हम चाह कर भी अपने नागरिकों को साफ हवा नहीं दे पा रहे हैं. जरा सोचिए ये ऐसा समय है जब दिल्ली का प्रदूषण इतना बढ़ गया है कि ये 50 सिगरेट रोज़ पीने के जैसा है. WHO की रिपोर्ट कहती है कि 2.5 मिलियन लोग हमारे देश में अपनी उम्र से जल्दी मारे जाते हैं क्योंकि यहां इतना प्रदूषण है. हर साल पूरी दुनिया में अगर 9 मिलियन मौतें प्रदूषण की वजह से होती हैं तो उनमें से 2.5 मिलियन यानी 25 लाख मौतें सिर्फ भारत में ही होती हैं.

INS arihant, आईएनएस अरिहंत, भारत, प्रदूषण, नरेंद्र मोदी, न्यूक्लियर हथियारहम अपने नागरिकों को साफ सांस लेने लायक हवा नहीं दे सकते.

हम विदेशी ताकतों से तो अपनी रक्षा हर तरह से कर सकते हैं, लेकिन देश की परेशानियों का क्या करें. बड़े शहरों में प्रदूषण होता है ऐसा तो नहीं है, टोकियो, न्यूयॉर्क, लंदन, शंघाई आदि शहर भी बड़े हैं, लेकिन क्या ये भी प्रदूषित हैं? नहीं. फिर भारत ही क्यों? पूरी दुनिया से लड़ने के बाद भी अगर भारत अपने देश की कुरीतियों से ही हार गया तो फिर ये वाकई जीत होगी या हार?

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श्रुति दीक्षित श्रुति दीक्षित @shruti.dixit.31

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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