यौन शोषण और बलात्कार के मामलों पर विवादित फैसले देने वाली जज को भेजे 150 कंडोम!
बांबे हाईकोर्ट की जस्टिस पुष्पा पुष्पा वी गनेडीवाला (Judge Puspa v Ganediwala) के हिसाब से स्किन नहीं छुआ तो यौन शोषण नहीं, ऐसे में गुजरात की महिला ने जज साहिबा को 150 कंडोम भेजकर कहा है कि बलात्कारी यदि इसका इस्तेमाल करे तो भी स्किन टच नहीं होगी. जस्टिस गनेडीवाला के कई और फैसले पिछले दिनों चर्चा में रहे हैं.
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बांबे हाईकोर्ट की जस्टिस पुष्पा वी गनेडीवाला (Judge Puspa v Ganediwala) ने एक फैसले में कहा कि स्किन कांटेक्ट नहीं हुआ तो यौन शोषण नहीं माना जााएगा. अब जज साहिबा ने जिस पर तर्क के आधार पर यह बात कही हो, लेकिन गुजरात की एक महिला आहत हुए बिना नहीं रही. उसने एक, दो नहीं बल्कि 150 कंडोम जज साहिबा को भेजे और कहा कि इसका इस्तेमाल करने से भी स्किन टच नहीं होती, इस पर क्या किया जाना चाहिए?
गुजरात शहर की रहने वाली एक महिला ने बॉम्बे हाईकोर्ट की जज पुष्पा वी गनेडीवाला को 150 कंडोम भेजे हैं. यह महिला जज के दिए गए दो फैसलों से नाराज़ है. जो यौन शोषण से जुड़े हुए थे. महिला का मानना है कि इस तरह के फैसले से कई लड़कियों को न्याय नहीं मिल पाएगा.
इस महिला का नाम देवश्री त्रिवेदी है जो गुजरात के अहमदाबाद शहर की रहने वाली है, और खुद को एक राजनीतिक विश्लेषक बताती है. देवश्री का कहना है कि POCSO act के मामलों में जस्टिस पुष्पा के फैसले से वह गुस्से में थी. वह महिला जज को कंडोम भेज कर यह एहसास करवाना चाहती थी कि कंडोम से भी स्किन टच नहीं होती फिर ऐसे विवादित फैसले क्यों?
देवश्री ने दावा किया कि उसने जस्टिस पुष्पा के दफ्तर और घर सहित 12 जगहों पर कंडोम के पैकेट भेजे हैं, क्योंकि महिलाओं के खिलाफ हो रहे अन्याय को वह बर्दाश्त नहीं कर सकती. महिलाओं को अपने लिए आवाज उठानी होगी. देवश्री ने यह भी कहा कि इन फ़ैसलों का विरोध जाताने के लिए उसने जस्टिस पुष्पा को एक चिट्ठी भी लिखी है.
देवश्री की मांग है कि ऐसे जज को निलंबित किया जाना चाहिए. इस मामले में नागपुर बेंच के रजिस्ट्री ऑफिस ने कहा है कि फिलहाल इस प्रकार का कोई भी पैकेट नहीं मिला है. वहीं नागपुर बार एसोसिएशन के वकील श्रीरंग भंडारकर का कहना है कि यह अवमानना का केस है. इसलिए इस हरकत के लिए महिला के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए.
क्या है जस्टिस पुष्पा के विवादित फ़ैसलों की पूरी कहानी
जज पुष्पा गनेडीवाला (Judge Pushpa Ganediwala) अपने लिए गए फैसलों (Court decision) की वजह से चर्चा (Judge Puspa Controversy) में हैं. जज साहिबा ने जिन फैसलों को पलटा है उसके बाद इतना हंगामा क्यों बरपा है, चलिए इस पर बात करते हैं.
जज साहिबा ने एक के बाद एक, तीन ऐसे फैसले लिए जो लोगों को पसंद नहीं आए. लोगों ने गुस्सा जाहिर करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को चुना और फिर चर्चा शुरु हो गई. इससे पहले बता दें कि जस्टिस पुष्पा बॉम्बे हाई कोर्ट की जज हैं और इनकी पोस्टिंग नागपुर बेंच में है.
जस्टिस पुष्पा द्वारा किए गए फैसले विवादित क्यों हैं?
इनकी चर्चा तब तेज हो गई जब इन्होंने पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज दो मामलों के फैसले सुनाए. जाहिर सी बात है, पॉक्सो एक्ट लाने का मकसद बच्चों को यौन हिंसा से बचाने का था. वैसे भी महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले अपराध का ग्राफ बढ़ रहा है.
ऐसे में जस्टिस पुष्पा ने जो फैसले लिए उस पर विवाद तो होना ही था. इन विवादित फैसलों के बाद खबर मिली कि जस्टिस पुष्पा का प्रमोशन रोक दिया गया है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस पुष्पा को स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किए जाने के बाद अब कंफर्मेशन पर रोक लगा दी है. इसकी वजह इन विवादित फ़ैसलों को बताया जा रहा है.
1- बिना स्किन टच किए ब्रेस्ट को दबाना यौन उत्पीड़न नहीं
इस फैसले के बाद सोशल मीडिया पर लड़कियां उनके साथ हुए यौन उत्पीड़न के बारे में बताने लगीं. जस्टिस पुष्पा ने सत्र न्यायालय के एक आदेश को संशोधित किया था. जिसमें एक व्यक्ति को एक नाबालिग के यौन हमले का दोषी ठहराया गया था.
इस मामले में जस्टिस पुष्पा ने फैसला दिया था कि '12 साल की नाबालिग बच्ची को निर्वस्त्र किए बिना, उसके वक्षस्थल (Breast) को छूना यौन हमला (Sexual Assault) नहीं कहा जा सकता. इस तरह के यौन हमले को पोक्सो ऐक्ट (POCSO Act) के रूप में नहीं देखा जा सकता. हालांकि उन्होंने ऐसे आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 354 के तहत मुकदमा चलाए जाने की बात कही थी. वहीं लोगों का कहना था कि इस मामले में कानून को बदलने की जरूरत ही क्या थी.
2- बच्ची का हाथ पकड़ना, ज़िप खोलना यौन शोषण नहीं
जस्टिस पुष्पा का यह फैसला भी काफी विवादों में आया. जज साहिबा के अनुसार, पॉक्सो एक्ट के तहत अगर कोई शख्स पांच साल की बच्ची का हाथ पकड़ता है और अपने पैंट की ज़िप खोलता है तो यह यौन अपराध नहीं होगा. इस फैसले के बाद लड़कियों का गुस्सा फूट पड़ा था.
3- पत्नी से पैसे मांगना उत्पीड़न की श्रेणी में नहीं
अक्सर आए दिन हम ऐसी खबरें पढ़ते हैं कि पत्नी ने शराबी पति को पैसे नहीं दिए तो उसने पिटाई कर दी. जस्टिस पुष्पा ने ऐसे ही एक मामले में फैसला देते हुए यह कहा कि, पति अगर पत्नी से पैसे मांगता है तो यह उत्पीड़न की श्रेणी में नहीं आएगा. इसके बाद आत्महत्या के लिए उकसाने वाले आरोपी को रिहा करने का फैसला दिया.
यही नहीं जस्टिस पुष्पा ने एक और फैसला दिया था जो रेप से जुड़ा हुआ था. जिसमें निचली अदालत ने 26 साल के आरोपी को दोषी पाया था. वहीं जस्टिस पुष्पा ने यह तर्क देते हुए उसे बरी कर दिया था कि 'एक अकेले आदमी के लिए बिना मार-पीट किए युवती का मुंह दबाना, कपड़े उतारना और फिर रेप करना बेहद असंभव लगता है.'
इन तमाम फैसलों को देते हुए जस्टिस पुष्पा गनेडीवाला ने जिन साक्ष्यों और तर्कों को सुना होगा, लेकिन उनके फैसलों से आई ध्वनि बहुतायत में लोगों को नागवार गुरी है. महाराष्ट्र के अमरावती की रहने वाली जस्टिस पुष्पा साल 2007 में जिला जज बनी थीं. इसके बाद वह नागपुर में मुख्य जिला और सेशन जज बनीं. इन्होंने कई अच्छे फैसले भी दिए हैं, लेकिन इन विवादित फैसलों ने उन्हें चर्चा का विषय बना दिया है. वहीं सोशल मीडिया पर लोग इन फैसलों की निंदा कर रहे हैं. कई लोगों ने ऐसे सवाल भी किए हैं कि, एक महिला होने के बावजूद जज साहिबा ने ऐसे फैसले कैसे देे दिये?
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