उत्पात मचाते कांवड़ियों का पुलिस के डंडों से अभिषेक जरूरी है
दिल्ली में आस्था के नाम पर जिस तरह कांवड़ियों ने कार के शीशे तोड़े हैं. वो ये साफ बताता है कि न तो उन्हें कानून की कोई परवाह है और न ही उन्हें धर्म का सम्मान करना आता है.
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सावन आ गया, सावन आता है तो कांवड़िये भी आते हैं. कांवड़ियों के आने से खबर बनती है. इतिहास गवाह है. ऐसा प्रायः कम ही देखने को मिला है कि, कांवड़ियों से जुड़ी कोई खबर अच्छी हो. एक बार फिर कांवड़ियों से जुड़ी एक खबर और उस खबर का जनक एक वीडियो लोगों के बीच चर्चा का विषय बना है. वीडियो देखकर सवाल उठता है कि आखिर कौन हैं ये लोग? ये कहां से आते हैं? किसने इनको अधिकार दिए आस्था के नाम पर गुंडागर्दी करने के? बात आगे बढ़ाने से पहले हमारे लिए खबर जानना लाजमी है. खबर देश की राजधानी दिल्ली की है. देश की राजधानी में कांवड़ियों द्वारा पुलिस वालों के सामने जमकर उत्पात काटा गया है. मौके पर मौजूद लोग या तो वीडियो बना रहे थे या फिर खड़े हुए तमाशा देख रहे थे.
ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि दिल्ली में कार तोड़ते कांवड़ियों को कानून का भी खौफ नहीं था
दिल्ली के मोतीनगर में एक कार कांवड़-यात्री को हल्का सा छू गई. बात बस इतनी थी और कांवड़िये उग्र हो गए जिसके बाद उन्होंने लाठी-डंडे से न सिर्फ कार के शीशे तोड़े बल्कि फ़िल्मी अंदाज में उसे पलट दिया. यहां सबसे दिलचस्प ये है कि जब ये सब हो रहा था पुलिस मौजूद थी और बेबसी के बीच वो उग्र कांवड़ियों को समझाने बुझाने का काम कर रही थी.
मिली जानकारी के अनुसार कार को एक लड़की द्वारा ड्राइव किया जा रहा था. साथ ही जिन कांवड़ियों ने कार तोड़ी वो हरिद्वार से जल लेकर आ रहे थे. कितना अजीब है न ये पूरा घटनाक्रम? एक तरफ तो आस्था के नाम पर ईश्वर की गुड बुक्स में नाम दर्ज कराया जा रहा है दूसरी तरफ नियम-कानून नैतिकता को ताख पर रखकर कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. सवाल फिर वही है जो ऊपर पूछा गया है कि आखिर कौन हैं ये लोग? ये कहां से आते हैं? कहां से मिले हैं इन्हें अधिकार उत्पात मचाने के?आखिर ऐसी कौन सी वजह है जो शिवलिंग के जलाभिषेके के लिए जल उठा कर ले जाने वाले कांवड़ियों के खून में इतना उबाल ला देता है? कहीं ऐसा तो नहीं कि इन्हें ये महसूस हो गया है कि धर्म के नाम पर मिले 'विशेषाधिकार' इन्हें कुछ भी करने की 'आजादी' दे देते हैं.
हम इस बात का समर्थन हरगिज़ नहीं करते कि सभी कांवड़िये खराब हैं. मगर हमारे लिए ये भी कहना गलत नहीं है कि इन चंद मुट्ठी भर कांवड़ियों ने उन तमाम अच्छे कांवड़ियों के चेहरे पर कालिख पोत दी है. इन अराजक कांवड़ियों के कारण सही कांवड़िये कटघरे में खड़ा कर दिया है. ये बेहद अफसोसनाक है कि कुछ अराजक तत्वों ने उन कांवड़ियों की छवि धूमिल कर दी है जो निर्मल मन से अपने आराध्य को खुश करने गए थे.
दिल्ली में जो हुआ वैसी हरकतें ही समाज के सामने कांवड़ियों की छवि धूमिल करती हैं
दिल्ली में अराजकता फैलाते इन कांवड़ियों को देखकर हमारे लिए ये भी कहना गलत नहीं है कि श्रद्धालु चाहे किसी भी धर्म का हो. लोग खुद श्रद्धा के कारण उनकी सुरक्षा का विशेष ध्यान रखते हैं. प्रशासन भी इनके लिए सुरक्षा के पूरे इन्तेजाम करता है. इतनी सब सुविधाओं के बावजूद कभी कभी इनके साथ कोई दुर्घटना हो जाती है. दुर्घटना के बाद इनके द्वारा तूल देना और कानून कायदा अपने हाथ में लेना ये बता देता है कि इन्होंने स्वयं मान लिया है कि भक्त भी ये हैं. भगवान भी ये हैं. किसी को सजा देने से लेकर सजा सुनाने तक सारे अधिकार इन्हीं के पास सुरक्षित हैं.
दिल्ली में जो हुआ वो शर्मनाक है. उससे भी जयादा शर्मनाक ये है कि अपनी आस्था के नाम पर उग्र हुए इन कांवड़ियों ने इस बात की परवाह भी नहीं की कि इनके ऐसा करने से इनके साथ-साथ धर्म भी सवालों के घेरे में आएगा और लोग उसपर अंगुली उठाएंगे. वीडियो देखकर इस बात की अनुभूति खुद-ब-खुद हो जाती है कि ये बेख़ौफ़ हैं और इन्हें इस बात का गुमान है कि जब बात धर्म और आस्था की आ जाती है तो ये कुछ भी करें कोई इनका बाल भी बांका नहीं करेगा.
किसी भी साधारण आदमी के सामने आज कांवड़िये भय का पर्याय हैं
घटना का वीडियो ऐसा है जो किसी भी समझदार इंसान को शर्मिंदा कर सकता है और उसे ये सोचने पर विवश कर सकता है कि इन दोषियों को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए. घटना का वीडियो देखकर हम भी यही कहेंगे कि घटना के दौरान जो पुलिस हाथ पर हाथ धरे मूकदर्शक बने सब देख रही थी उसे इन्हें पकड़ के किनारे ले जाना था. पुलिस को कानून का उल्लंघन करने वाले इन दोषियों का लाठी डंडों से इनका अभिषेक करना चाहिए था. शायद तब इन्हें एहसास हो जाता कि देश में कानून और व्यवस्था से बढ़कर कुछ नहीं है.
इस पूरे मामले को देखने के बाद हम अपनी बात खत्म करते हुए इन कांवड़ियों से बस इतना ही कहेंगे कि भले ही उन्हें भगवान शिव से वरदान मिला हो मगर इस तरह की गुंडई के बाद इन्हें बख्शा नहीं जा सकता. उनकी ये हरकतें न सिर्फ उन्हें सभ्य समाज के सामने नीचा कर रही हैं बल्कि स्वयं भगवान भोलेनाथ भी इनको देखकर कभी प्रसन्न नहीं होंगे और निश्चित तौर पर इन्हें उनका कोप भोगना पड़ेगा.
अपनी हरकतों के चलते अराजकता फैलाते इन कांवड़ियों को याद रखना होगा कि जो हाथ आज इनके सम्मान के लिए उठ रहे हैं वो दिन दूर नहीं जब इन्हीं ओछी हरकतों के कारण वही हाथ इनका गिरेबान पकड़ेंगे और इनसे सवाल करेंगे. अंत में इतना ही कि अभी भी वक्त है. काश ये वक्त रहते संभल जाएं और इन्हें इस बात का एहसास हो जाए कि ये जो कर रहे हैं वो सरासर गलत है जो केवल और केवल समाज के सामने इनकी इमेज खराब कर रहा है.
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