Kerala Elephant Death: हथिनी की मौत भी भूल जाएगा यह इंसान नुमा इंसान!
केरल (Kerala) में हथिनी की हत्या (Pregnant Elephant Death) ने सोशल मीडिया और मीडिया पर पशु प्रेम का भूचाल ला दिया है लेकिन ऐसा पहली बार नहीं हुआ है वक्त सबकुछ भुला देता है यह भी भुला देगा लेकिन अगर आप सोचते हैं कि इंसान ऐसा कैसे कर सकता है तो उसका जवाब भी यही है कि यह सिर्फ इंसान ही कर सकता है.
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केरल (kerala) में एक हथिनी की मौत (Pregnant Elephant Death) ने हर इंसान के दिल को दहला कर रख दिया है. पत्थर दिल इंसान सुनकर लरज़ गया कि आखिर कैसे कोई इतना बेरहम हो सकता है. ज़ाहिर है लोगों को झकझोर देने वाली यह खबर भी हर खबर की तरह एक दिन इतिहास के पन्नों में खो जाएगी. लेकिन भविष्य में जब भी कोई ऐसी घटना दुबारा सामने आएगी तो इस हथिनी की दर्दनाक मौत लोगों के ज़हन में ज़रूर ताजा हो जाएगी. जानवरों के प्रति इंसानो का रवैया भी मिलाजुला ही होता है. कुछ जानवरों से लोग बहुत प्रेम करते हैं और स्नेह तक जताते हैं तो कुछ जानवरों के साथ जानवरों से भी बुरा व्यवहार करते हैं. हथिनी की मौत ने 2016 की एक घटना को भी फिर से सुर्खियों में ला दिया है. यह घटना देवों की भूमि यानी उत्तराखंड (Uttarakhand) के मसूरी में हुयी थी. जहां उत्तराखंड पुलिस के घोड़े (शक्तिमान) पर वहां के स्थानीय भाजपा विधायक गणेश जोशी ने बर्बरता से लाठियां भांजी थी, विधायक के इस हमले में उस घोड़े की टांग टूट गई थी. इस घटना का वीडियो वायरल हो गया फिर विदेश से डॉक्टर बुलाए गए, घोड़े की नकली टांग लगाई गई लेकिन घोड़े ने एक महीने बाद दम तोड़ दिया. घोड़े की मौत हो जाने के बाद खूब होहल्ला हुआ तो विधायक को जेल तक का सफर तय करना पड़ा. उस घटना के बाद तो पशु क्रूरता के लिए सख्त कानून बनाए जाने की मांग खूब उठी लेकिन वक्त के साथ वह माँगें भी खामोश हो गई. अब करीब चार साल के बाद इसी तरह की घटना केरल से आई है जहां एक गर्भवती हथिनी को पटाखों से भरा अनानास खिला दिया गया जिससे उस हथिनी की मौत हो गई.
केरल मामले में आज भले ही इंसानों की आलोचना हो रही हो मगर पूर्व में भी इंसान ने ऐसा बहुत कुछ किया है
इंसानों के हाथों कूर्रता की शिकार हथिनी ने वेलिन्यार नदी में खड़े-खड़े ही दम तोड़ दिया. ये पूरा मामला 27 मई का है और 30 मई को एक वन अधिकारी मोहन कृषन्न ने पूरी घटना के बारे में बताते हुए फेसबुक पर मार्मिक पोस्ट लिखकर लोगों को इस पूरी घटना की जानकारी दी. धीरे-धीरे इस खबर ने तूफान का रूप ग्रहण कर लिया और ये खबर मीडिया और सोशल मीडिया में आग की तरह फैल गई. खबर फैलने के बाद सोशल मीडिया पर पशु प्रेमियों ने फिर से आक्रोश दिखाया और इस जघन्य अपराध के लिए कड़ी सजा की मांग करना शुरू कर दी.
देखते ही देखते सरकार भी सामने आ गई और दोषियों को सजा देने का ऐलान कर डाला. इस घटना पर थोड़ी बहुत राजनीतिक टिप्पिणियां भी हुयीं जिनका ज़िक्र करना यहां जरूरी नहीं होगा. इस पूरे घटनाक्रम को सुनने के बाद हर इंसान के दिमाग में बस एक सवाल उठता है कि आखिर एक गर्भवती हथिनी को अनानास में पटाखा भरकर कोई कैसे मार सकता है? कोई इंसान इतना पत्थर दिल कैसे हो सकता है कि एक बेजुबान जानवर को इतनी बेरहमी के साथ मार डाले.
आखिर इंसान के अंदर इतना वहशीपन कहां से आ सकता है?
तो इसका जवाब भी बहुत ही आसान है. इंसान तो बहुत पहले से ही ऐसा करता चला आ रहा है. इसको शर्म है कि आती ही नहीं है. हथिनी गर्भवती थी उसे मार डाला ये वही इंसान तो हैं जो गर्भ में अपने ही बीजों को कुचल डालते हैं. उनको पनपने से पहले उनका गला घोंट देते हैं. ऐसे में गर्भवती हथिनी का दर्द भला इन्हें क्योंकर दर्द देगा.
अब सोचिए जब इंसान इंसान को ही नहीं छोड़ रहा है तो उसे जानवरों पर भला क्यों प्रेम आएगा. यही इंसान तो ही है जो कभी कन्या के नाम पर हत्या करता है कभी दहेज के नाम पर मार डाल डालता है. कभी अपनी मर्दानगीं के लिए किसी की इज्जत को तार तार कर डालता है. कभी धर्म-जाति के नाम पर इंसान को कुचल डालता है. तो कभी अपने रूतबे और अपने चंद फायदे के लिए शहरों को ही जला डालता है.
इंसान की हत्या हो या फिर समाज की या फिर जानवर की हत्या इन तमाम हत्याओं का हत्यारा बस इंसान ही है. इंसान को जानवर कैसे कहा जा सकता है. जानवर तो वह मासूम हथिनी थी जो दर्द से कराह रही थी मगर किसी को दर्द देने का साहस नहीं किया. वह तो सबसे दूर और सबसे अकेले जाकर उस नदी में इंसान, विश्वास और विश्वासघात की परिभाषा को समझती रही और अपने कोख में अपने बच्चे से अपनी बेजुबानी में कह रही थी कि बेटा दिखने में तो 'वह इंसान, इंसान ही था और वह अनानास, अनानास...
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