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Updated: 20 अक्टूबर, 2018 04:04 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
  @parulchandraa
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हैलीकॉप्टर ईला फिल्म हाल ही में रिलीज हुई है, जिसमें काजोल नजर आ रही हैं. फिल्म कैसी है ये तो आपको देखने के बाद ही पता चलेगा लेकिन आज बात उसके बारे में जो नजर नहीं आया, यानी हैलीकॉप्टर. अगर आप सोच रहे हैं कि हम आसमान में मंडराने वाले हैलीकॉप्टर की बात कर रहे हैं तो नहीं...हम उन पेरेंट्स के बारे में बात कर रहे हैं जो हैलीकॉप्टर की तरह अपने बच्चों के आसपास मंडराते हैं.

पहले समझ लीजिए helicopter parenting है क्या?

'helicopter parent' ये शब्द शायद आपने सुना भी न हो लेकिन इस टर्म को पहली बार 1969 में छपी एक किताब Parents & Teenagers में इस्तेमाल किया गया था, जिसमें किशोरों का कहना था कि उनके माता-पिता उनके चारों तरफ हैलीकॉप्टर की तरह मंडराते रहते हैं. इसके बाद ये टर्म काफी प्रचलित हो गई और 2011 में इसे डिक्शनरी में भी जगह मिल गई. हैलीकॉप्टर पेरेंट्स उन पेरेंट्स के लिए कहा जाता है जिनका सारा ध्यान अपने बच्चों पर ही केंद्रित रहता है. हालांकि बच्चों पर ध्यान देना कोई बुरी बात नहीं है लेकिन यहां उन पेरेंट्स की बात हो रही है जो जरूरत से ज्यादा परवाह करते हैं. यानी जो बच्चों के जीवन को जरूरत से ज्यादा कंट्रोल करते हैं, उनके प्रति जरूरत से ज्यादा प्रोटेक्टिव होते हैं और उनकी जिंदगी को जरूरत से ज्यादा परफेक्ट बनाना चाहते हैं.

helicopter parentबच्चे खुद इस तरह की परवरिश से परेशान हो जाते हैं

क्या आप भी हैलीकॉप्टर पेरेंट्स हैं?

हर माता-पिता अपने बच्चों का ध्यान रखता है, तो क्या हर पेरेंट हैलीकॉप्टर पेरेंट है? नहीं, सारे नहीं. शोध से पता चलता है कि पिता से ज्यादा माएं हैलीकॉप्टर पेरेंट होती हैं. लेकिन अगर आप ऐसे हैं तो आपको संभल जाने की जरूरत है.  

1. बच्चों के झगड़े में अगर आप भी लड़ने लगते हैं.

अगर आपका बच्चा स्कूल से घर आकर आपको बताए कि उसके किसी दोस्त ने उसे मारा है. तो अगर आप उस बच्चे के घर फोन करके उसके मम्मी-पापा से इस बात की शिकायत करते हैं या गुस्सा दिखाते हैं तो समझ लीजिए आप हैलीकॉप्टर पेरेंट हैं.

2. अगर अपने बच्चों के स्कूल का होमवर्क आप करते हैं.

बच्चे को स्कूल में डांट न पड़ जाए, या फिर उसका प्रोजेक्ट क्लास में सबसे अच्छा होना चाहिए, इसके लिए मम्मियां बच्चों का काम खुद कर देती हैं. अगर आप भी ऐसी हैं तो आप हैलीकॉप्टर पेरेंट हैं.

3 अगर आप अपने ही घर में नौकरानी बनी हुई हैं.

अगर आप बच्चों की मदद लेने में यकीन नहीं करतीं. बच्चों के फैले हुए कमरे को भी खुद समेटती हैं, रसोई में अकेली लगी रहती हैं और बच्चों को खेलने भेज देती हैं तो आप हैलीकॉप्टर पेरेंट हैं.

4. हर जगह बच्चे की उंगली थामे चलती हैं.

आप बच्चे को खुद स्कूल छोड़ते हैं, खुद ट्यूशन छोड़ते हैं, पार्क में भी खुद लेकर जाते हैं, दोस्तों के साथ खेलने जाए तो भी साथ जाते हैं, वो नहा भी रहा हो तो बाथरूम के दरवाजे पर खड़े रहते हैं और पूछते रहते हैं कि ठीक से साबुन लगाया?? तो आप हैलीकॉप्टर पेरेंट हैं.

helicopter parentबच्चे को पर्फेक्ट देखने की चाहत

5 आप अपने बच्चों को हारने नहीं देते.

अगर आप बच्चे के सारे काम खुद करते हैं, उसे असफल होते देखना नहीं चाहते. सोचते हैं कि बच्चा ये भी कर ले, वो भी कर ले, वो पढ़ाई में भी अच्छा हो, खेलकूद में भी नंबर वन हो, उसे डांस और म्यूजिक भी आना चाहिए. मेंटल मैथ्स में भी नंबर वन हो. तो आप हैलीकॉप्टर पेरेंट हैं.

6. अगर आप अपने बच्चे के ट्रेनर को भी ट्रेन करते हैं.

बहुत से पेरेंट्स बच्चों के ट्रेनर और टीचर्स में भी कमियां खोज लेते हैं. वो अपने बच्चे के लिए इतने फिक्रमंद होते हैं कि बच्चों के टीचर्स को सही और गलत बताने लगते हैं, उन्हें सलाह देने लगते हैं. अगर आप ऐसा करते हैं तो हैलीकॉप्टर पेरेंट हैं.

7. उन्हें परेशानियों में पड़ने नहीं देते.

बच्चे को कोई परेशानी नहीं आनी चाहिए, इसके लिए माता पिता अगर खुद उनके रास्ते आसान करते जाते हैं तो वो हैलीकॉप्टर पेरेंट हैं.

8. बच्चों को खुद कुछ करने नहीं देते.

5 साल के बच्चे के भी कपड़े आप खुद पसंद करते हैं. उसे अपने हाथ से खाना खिलाते हैं. उसका हाथ पकड़कर चलते हैं तो आप हैलीकॉप्टर पेरेंट हैं.

helicopter parentबच्चों की चिंता करना सही है, लेकिन जरूरत से ज्यादा चिंता अच्छी नहीं

पेरेंट्स ऐसा क्यों करते हैं -

बच्चों को प्यार और उनकी परवाह करते-करते माता-पिता को खुद भी ये पता नहीं चल पाता कि वो अनजाने में इस तरह की पेरेंटिंग को फॉलो करने लगते हैं.  और इसकी कई वजह हो सकती हैं-

- शायद आप बच्चों के असफल होने की चिंता करते हैं. आपको लगता है कि अगर आप हमेशा बच्चे के साथ होंगे तो बच्चे के मार्क्स ज्यादा आ सकते हैं, या फिर जीवन में बच्चे को निराश नहीं होना पड़ेगा. जब पेरेंट्स अपने बच्चे के व्यवहार को नियंत्रित करने लगते हैं और उसे अकेले वक्त बिताने नहीं देते उसका नतीजा ये होता है कि बच्चों का खुद पर भरोसा कम होने लगता है, तनाव बढ़ता है, सामना करने की क्षमता कम होती है, वो दुखी होते हैं और उनके संघर्ष और बढ़ जाते हैं.

- पेरेंट्स जो अपने बचपन में माता-पिता की अनदेखी का शिकार हुए, जिन्हें माता-पिता का उतना सहयोग और साथ नहीं मिला, वो अपने बच्चों के साथ ऐसा नहीं हो इस बात का बहुत ध्यान रखते हैं. और फिर वो जरूरत से ज्यादा ध्यान देते हैं क्योंकि वो ये नहीं चाहते कि जो उन्होंने महसूस किया वो उनके बच्चे भी महसूस करें.

- कभी-कभी दूसरे पेरेंट्स को देखकर भी माता-पिता को लगता है कि वो तो अपने बच्चे का उतना ध्यान रखते जितना कि दूसरे पेरेंट्स रखते हैं. तब उन्हें खुद ये अहसास होता है कि वो अच्छे मां-बाप नहीं हैं.

इस तरह की पेरेंटिंग के नुक्सान भी जान लीजिए

बच्चों की परवाह करना कोई गलती नहीं है. माता-पिता की नियत बहुत साफ होती है, उन्होंने बच्चे को जन्म दिया है तो उनसे ज्यादा फिक्रमंद और प्यार करने वाला कोई और नहीं हो सकता. लेकिन बच्चों के जीवन में इतना घुल मिल जाने से निसंदेह प्यार, बॉन्डिंग जैसी चीजें तो बढ़ती हैं लेकिन कुछ नुक्सान भी बच्चों को झेलने होते हैं. जैसे-

बच्चों का आत्मविश्वास कम होना-

बच्चों की जिंदगी में पेरेंट्स का जरूरत से ज्यादा घुसना, बच्चों को ये अहसास करवाता है कि अगर वो कुछ अपने दम पर करेंगे तो पेरेंट्स उनपर भरोसा नहीं करेंगे. इससे बच्चों का आत्मविश्वास कम होता है.

हालातों से मुकाबला करने की क्षमता कम होती है-

अगर माता पिता हर समय बच्चों की हिफाजत के लिए खड़े हों, उसका काम खुद कर देते हों, उसे परेशानियों में पड़ने नहीं देते हों तो वो बच्चा कभी भी असफलता, निराशा और कुछ खो जाने से सीख नहीं पाएगा. शोध ये बताते हैं कि ऐसे पेरेंट्स के बच्चे जीवन की परेशानियों और समस्याओं से मुकाबला करने में कम सक्षम होते हैं.

बच्चों में घबराहट बढ़ती है-

हैलीकॉप्टर पेरेंटिंग से बच्चों में तनाव और घबराहट बढ़ती है. उन्हें हमेशा दिशा-निर्देश की जरूरत पढ़ती है. उन्हें लगता है कि उन्हें कोई बताए कि ऐसे में क्या करें. जब वो अकेले पड़ जाते हैं तो वो कोई भी निर्णय लेने से घबराते हैं.

बच्चे समझते हैं ये उनका हक है-

जब पेरेंट्स बच्चों के जीवन के हर क्षेत्र में हिस्सा लेते हैं जैसे पढ़ाई, खेलकूद, उनका सामाजिक जीवन जैसे उनके दोस्त वगैरह, तो बच्चों को लगता है माता-पिता उनकी हर जरूरत को पूरा करने के लिए वहां हैं. और यही उन्हें डिमांडिंग बनाता है यानी उन्हें सबकुछ चाहिए होता है. और बच्चों को ये लगता है जैसे उनके पास सबकुछ होना उनका अधिकार है, उनका हक है.

जीवन कौशल में पीछे रह जाते हैं बच्चे-

बच्चों का हर छोटा-छोटा काम मता-पिता करेंगे तो बच्चे छोटे-छोटे काम भी नहीं सीख पाते. जैसे खुद का लंच पैक करना, अपने जूतों के फीते बांधना, अपनी चोटी बनाना, अपने कमरे का कचरा साफ करना, खुद के कपड़े धोना या अपने लिए कुछ खाना बनाना.

कोई भी माता-पिता ये नहीं चाहेगा कि उनकी पेरेंटिंग की वजह से बच्चे ये जरूरी काम भी न सीख सकें. लेकिन वो अनजाने में अपने बच्चों का ही नुकसान कर रहे होते हैं.

helicopter parentबच्चों को फ्री छोड़ें, उन्हें कंट्रोल न करें

अगर आप भी हैलीकॉप्टर पेरेंट्स हैं तो अब ऐसा करें-

अपने बच्चों के ऊपर से मंडराना बंद कर दें-

जो काम बच्चे खुद कर सकते हैं उन्हें करने दें. जैसे जूतों के फीते बांधना, या खुद तैयार होना. उन्हें उनकी उम्र के मुताबिक काम करने दें. बच्चों के जीवन में ज्यादा न घुसें, उन्हें फ्री रहने दें. जैसे सवाल अगर बच्चे से किया जा रहा है तो उसे ही जवाब देने दें, खुद न बोलें. बच्चों के टीचर्स से उसकी परफॉर्मेंस के बारे में बार-बार न पूछें. अगर बच्चा अपने फैसले खुद नहीं ले पाता तो उसपर सवार मत हों, बच्चे को समय दें और उसे खुद सोचने दें. बच्चों को दुख झेलने दें, उन्हें परेशान भी होने दें क्योंकि ये बच्चे के विकास के लिए जरूरी है. उसे संघर्षों और परेशानिये सो बचाना बंद कर दें. उन्हें उनकी लड़ाई खुद लड़ने दें. जब आप हमेशा उनके लिए करते रहेंगे तो वो अपने लिए करना कब सीखेंगे.

अपनी चिंताओं को बच्चों पर मत डालें-

'बच्चा बड़े होकर क्या करेगा, वो क्या बनेगा, वो शर्मीला है कैसे कर पाएगा' इस तरह की बातें बच्चों के सामने मत करें. उससे बार-बार ये न पूछें कि- तुम ठीक तो हो? Are you sure? क्या तुम ये कर लोगे?

अपना प्यार जताना कम करें-

माता-पिता का जीवन होते हैं बच्चे. उनके प्रति भावुक होना स्वाभाविक है, लेकिन उन्हें ये न जताएं कि आप उनके लिए कुछ भी कर सकते हैं. क्योंकि बच्चे इसका फायदा उठाना भी जानते हैं.

अपने बच्चे को लेबल मत करें-

कई बार माता पिता अपने बच्चों को कई नामों से बुलाते हैं, जैसे- 'बड़ी शैतान है, बड़ा बदमाश है, तुम बहुत फनी हो, या बहुत आलसी है ये. या ये बिल्कुल अपने पापा की तरह है.' उन्हें ये न कहें कि वो हमेशा ऐसा करता है या वो ऐसा कभी नहीं करता. शब्दों में शक्ति होती है, इसलिए कभी बच्चों के व्यवहार के बारे में अच्छा या बुरा न बोलें.

बच्चा अगर अपने लिए कुछ अलग चुनता है तो परेशान मत हों-

अगर आप हमेशा बच्चों को समझाते पढ़ाते रहेंगे कि तुम्हें ये करना है, ऐसे करना है तो वो अपने ख्वाबों को और विचारों को खत्म कर देंगे. अगर बच्चा कुछ अलग करना चाहता है तो गुस्सा करने के बजाए उसे कोशिश करने दें. बच्चे के विचार आपके विचारों से अलग हो सकते हैं, उसे सुनें.

सारा ध्यान बच्चों पर से हटाकर खुदपर देना शुरू करें-

माता-पिता बच्चों की तरफ इतना ध्यान देने लगते हैं कि अपने जीवन को अनदेखा कर देते हैं. माएं तो हमेशा यही करती हैं. दूध लेकर बच्चों के पीछे भागती हैं, लेकिन खुद की सेहत के लिए कुछ नहीं करतीं. बच्चों पर ध्यान देते-देते अपनी परेशानियां, अपने रिश्ते, अपने ख्वाब और अपनी हॉबी पर ध्यान ही नहीं देते. खुदपर भी ध्यान दें.

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लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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