कुंभ 2019 जाने वालों के लिए पेश है 'इलाहाबादी गाइड'
प्रयागराज में शुरू होने जा रहे कुम्भ 2019 में कब जाना है, क्या करना है, कहां रहना है जैसे सभी ज़रूरी सवालों का जवाब जानिए सीधे एक इलाहाबादी से क्योंकि कुम्भ से जुड़ी कई ऐसी बातें हैं जो एक इलाहाबादी के अलावा कोई और नहीं जान सकता.
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प्रयागराज यानी इलाहाबाद में अर्ध कुम्भ 2019 की तैयारी पूरे जोरों पर है. 15 जनवरी, मकर संक्रांति से प्रयाग में अर्धकुम्भ का आगाज हो जाएगा. यूं तो कुम्भ का अनुभव सबके लिए अद्भुत होता है लेकिन अक्सर किसी दुर्घटना के कारण ये अनुभव लोगों को कभी न भूल पाने वाली बुरी याद दे जाता है. किसी अपने का कुम्भ में खो जाना, भगदड़ का हिस्सा बन जाना, कोई सामान चोरी हो जाना, ट्रेन छूट जाना या किसी भी अन्य तरह की असुविधा से कुम्भ का पूरा मजा किरकिरा हो जाता है. ऐसे में कई तरह की सावधानियां बरतना जरूरी है जिसके जरिये आप कुम्भ का भरपूर आनंद ले सकते हैं और किसी भी तरह की असुविधा से बच सकते हैं.
अगर आप पहली बार कुम्भ का अनुभव लेने प्रयागराज जा रहे हैं तो एक इलाहाबादी होने के नाते और कुम्भ का नजदीक से अनुभव होने के नाते मैं आपको बताऊंगा कुम्भ के दौरान क्या करें और क्या न करें जिससे आपको कुम्भ के समय में किसी भी तरह की मुश्किल का सामना नहीं करना पड़ेगा.
15 जनवरी, मकर संक्रांति से प्रयाग में अर्धकुम्भ का आगाज हो जाएगा
क्या करें
पहले से कराएं रिजर्वेशन
कुम्भ का पर्व आपकी सोच से भी विशाल स्तर पर मनाया जाता है. जनवरी से लेकर मार्च तक देश के हर कोने से लोगों की भीड़ कुम्भ में उमड़ेगी. ये भीड़ मुख्यतः मुख्य स्नान पर्वों के एक दिन पहले और एक दिन बाद तक रहती है. ऐसे में बस, ट्रेन जैसे सभी संसाधनों में भारी भीड़ चलेगी. इस बार इलाहाबाद को अन्य शहरों से हवाई मार्ग के रस्ते भी जोड़ दिया गया है मगर स्नान पर्वों के दौरान हवाईजहाज का भी किराया आसमान छू रहा है. इसलिए अगर आप कुम्भ में आने के बारे में सोच रहे हैं तो इलाहाबाद आने और वापस लौटने का इंतजाम पहले से करें.
पहला शाही स्नान मकर संक्रांति का है जो अब काफी नजदीक है इसलिए उस दौरान रिजर्वेशन मिलने में मुश्किल हो सकती है मगर अन्य स्नान पर्वों में अभी वक्त है इसलिए आप अभी भी पर्वों के हिसाब से अपने रिजर्वेशन करवा सकते हैं. इलाहाबाद ट्रेन, बस और अब हवाईजहाज के जरिये पूरे भारत से जुड़ा है इसलिए आपको इलाहाबाद आने में मुश्किल नहीं होगी. सभी साधन आसानी से शहर आने के लिए उपलब्ध हैं.
ध्यान रहे की शहर में इलाहाबाद जंक्शन के अलावा 5 स्टेशन और हैं जहां से ट्रेनें अलग-अलग रूट के लिए मिलती हैं. इसलिए रिजर्वेशन सोच समझ कर, अपनी सहूलियत के हिसाब से करवाएं. उदाहरण के तौर पर अगर आप पुणे से आ रहे हैं तो ध्यान रखें कि पुणे से इलाहाबाद आने वाली कुछ ट्रेनें इलाहाबाद जंक्शन पर आती हैं और वहीं से जाती हैं और कुछ ट्रेनें छिवकी स्टेशन से चलती हैं. ऐसी स्थिति में पहले से समझ लें कि आपके लिए कौन सी ट्रेन किस स्टेशन से पकड़ना सुविधाजनक होगा.
अगर नहान वाले दिन ही लौटना है तो इलाहाबाद जंक्शन से ही रिजर्वेशन करवाएं क्योंकि उस दिन छिवकी या शहर के बाहरी स्टेशनों तक पहुंचने में देर लग सकती है या साधन न मिलने की भी समस्या उत्पन्न हो सकती है.
होटल बुकिंग
इलाहाबाद शहर दिल्ली या मुंबई जितना बड़ा नहीं है जिस कारण होटल कुम्भ के सैलानियों के हिसाब से पर्याप्त मात्र में नहीं हैं. ऐसे में ये जरूरी है कि आप होटल की बुकिंग भी पहले से ही करवाएं. अगर आप होटल में बुकिंग वहीँ जा कर करवाने का सोच रहे हैं तो आपको सिर्फ निराशा ही हाथ लगेगी. अगर आप कुम्भ क्षेत्र के पास के इलाकों में होटल बुक करवाते हैं तो आपको संगम तक जाने में सुविधा होगी.
शहर में ऑनलाइन होटल की सुविधा उपलब्ध है इसी के साथ कई थ्री स्टार होटल भी शहर में हैं जिसकी सुविधाएं आप ले सकते हैं. इलाहाबाद में जैन मंदिर धर्मशाला, स्वर्णकार धर्मशाला, चमेली देवी रस्तोगी धर्मशाला, मारवाड़ी धर्मशाला और केपी ट्रस्ट जैसे कई धर्मशाला भी मौजूद हैं जहाँ आप कम रुपये खर्च कर के रहने के लिए अच्छी सुविधा हासिल कर सकते हैं.
नहान से एक दिन पहले आ जाएं प्रयाग
मैं ये सुझाव हर किसी को देता हूं कि अगर आपको कुम्भ का असली मजा लेना है तो नहान वाले दिन नहीं बल्कि कुम्भ पर्व के तीन महीनों के अंदर किसी आम दिन जा कर कुम्भ का आनंद लें. इसलिए अगर आप नहान के लिए जा रहे हैं तो एक या दो दिन पहले इलाहाबाद पहुंच जायें जिससे कि आप शहर भी घूम सकें और कुम्भ क्षेत्र में बने अखाड़ों का और क्षेत्र की सुंदरता भी आनंद उठा सकें.
कुम्भ में इस बार के मुख्य स्नान पर्वों की तारीख ये है - (मकर संक्रांति 15 जनवरी, पौष पूर्णिमा 21 जनवरी, मौनी अमावस्या 4 फरवरी, बसंत पंचमी 10 फरवरी, माघी पूर्णिमा 19 फरवरी और महाशिवरात्रि 4 मार्च). इन सभी स्नान पर्वों में मौनी अमावस्या के दिन स्नान को मुख्या शाही स्नान पर्व कहा जाता है.
ऐसी कई छोटी छोटी बातें हैं जिनको अपनाकर हम अपनी कुम्भ यात्रा को सुखद बना सकते हैं
बुक करा लें टैक्सी
अगर आप इलाहाबाद शहर में नए हैं और अपनी कार से आये हैं तो कुम्भ के दौरान आपको काफी सुविधा होगी मगर आप ट्रेन या बस से आये हैं तो आपके लिए सुविधाजनक यही होगा कि आप पूरे दिन के लिए कोई टैक्सी बुक कर लें. टैक्सी बुक करने से आपको एक जगह से दूसरी जगह जाने में काफी आसानी होगी. शहर में सार्वजनिक वाहनों की सुविधा मेट्रो शहरों की तरह नहीं है जिसके चलते स्टेशन से या होटल से कुम्भ क्षेत्र तक जाने में मुश्किल हो सकती है.
मगर एक बात का ध्यान रखें कि नहान वाले दिन कुम्भ क्षेत्र के बाहर ही वाहनों को रोक दिया जाता है और आपको पैदल ही जाना पड़ता है. इस बार वैसे प्रशासन ने बैट्री रिक्शा का भी इंतजाम किया हुआ है जिससे आप कुम्भ क्षेत्र के अंदर एक जगह से दूसरी जगह जा सकते हैं.
अपनों को गुम होने से बचाएं
आपने फिल्मों में कुम्भ के मेले के दौरान बिछड़ने की कहानियों देखी ही होंगी. मेरा मकसद किसी को भी डराना नहीं है लेकिन वो कहानियां काफी हद तक सही होती हैं. अगर आप इलाहाबाद शहर के ही हैं तब तो आप अपना मार्ग तलाश लेंगे मगर आप शहर में नए हैं और कुम्भ क्षेत्र में पहली बार जा रहे हैं तो आपको हद से अधिक एहतियात बरतने की जरुरत है. बच्चों को मेला क्षेत्र में अकेले कहीं भी न जाने दें. उन्हें अपना मोबाइल नंबर पहले से याद करवा दें जिससे की जरुरत के वक्त वो किसी को बता सकें.
क्षेत्र में जाते ही एक जगह चिन्हित कर लें जिससे की किसी कारण वश इधर-उधर जाना भी पड़े तो आप लौट कर एक ही जगह पर आयें. कुम्भ की भीड़ में मोबाइल भी आपको आपके साथी तक नहीं पहुंचा पायेगा इसलिए कोई भी जगह जरूर तय कर लें.
स्नान के दौरान बच्चों के साथ-साथ बड़ों का भी ध्यान रखें. नहान के लिए नदी के अंदर तखत लगा दिए जाते हैं जिस पर चढ़ कर लोग स्नान कर सकते हैं मगर वो तखत पानी में रहने के कारण फिसलने लगता है इसलिए उस पर काफी सावधानी बरतने की जरुरत है.
मुश्किल में पुलिस का लें सहयोग
कुम्भ में तैनात की गयी पुलिस बेहद शालीन और सहयोगी होती है इसलिए किसी भी तरह की अनहोनी हो जाने पर या कोई समस्या आ जाने पर पुलिस की मदद लें. पुलिस के माध्यम से आप आसानी से अस्पताल या किसी अन्य आवश्यकता को जल्द पूरा कर सकते हैं. अगर आप मेला क्षेत्र में कोई लावारिस सामान या अकेला व्यक्ति भी देखें, तब भी पुलिस को ज़रूर सूचित करें. ऐसा कर के आप पुलिस ही नहीं खुद की सुरक्षा को सुनिश्चित कर सकते हैं.
कुम्भ से सम्बंधित इन हेल्पलाइन नंबर को जरूर ध्यान में रखें: कुम्भ हेल्पलाइन नंबर - 1920, पुलिस - 100, एम्बुलेंस - 108, फायर - 101, वोमेन एंड चाइल्ड हेल्पलाइन - 1091.
स्टेशनों पर बरतें सावधानी
साल 2013 का कुम्भ शहर को एक ऐसी याद दे गया जो कोई भी नहीं भूल सकता. इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मचने के कारण सौ से अधिक लोगों की मौत हो गयी थी. इसलिए रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन, या एयरपोर्ट पर सावधान रहना जरूरी है. ट्रेन, बस या हवाईजहाज के छूटने के करीब एक घंटे पहले ही स्टेशन पर पहुंच जायें जिससे की आपके पास माहौल समझने का पर्याप्त वक़्त हो.
अगर नहान वाले दिन ही आपको लौटने के लिए ट्रेन इत्यादि पकड़ना है तो संगम क्षेत्र से या अपने होटल से स्टेशन जाने के लिए कुछ घंटे पहले ही निकल जायें. शहर में कुम्भ के दिनों में भारी भीड़ हो जाती है जिससे सड़कों पर जाम की समस्या भी बढ़ जाती है.
यदि हम बताई गई इन सावधानियों का पालन करते हैं तो कई सारी परेशानियों को टाल सकते हैं
क्या न करें
अक्सर लोगों को ये तो पता होता है कि क्या करना है मगर ये नहीं जानते की क्या नहीं करना है. कुम्भ के दिनों में इलाहाबाद चक्रव्यू की तरह बन जाता है जिसमें अभिमन्यु की तरह आप आसानी से घुस तो जायेंगे मगर बाहर निकलने में बेहद मुश्किल होगी. इसलिए क्या नहीं करना है पर अधिक ध्यान दें.
हर साधु जैसी वेशभूषा वाले पर न करें विश्वास
कुम्भ में कई ऐसे सिद्ध साधू आते हैं जिन्हें बहुत ज्ञान होता है और जिनके आशीर्वाद से जिंदगी बदल सकती है मगर ध्यान रहे कि कुम्भ में अगर 'परशुराम' जैसे सिद्ध पुरुष आते हैं तो 'आसाराम' जैसे ढोंगी भी मिल जाते हैं. इसलिए हर साधू जैसे दिखने वाले व्यक्ति पर आसानी से विश्वास न करें और न ही उनसे अकेले में या अकेले उनके टेंट में न मिलें. ऐसी खबरें सामने आई हैं कि कपटी साधू बहका कर उनके टेंट में आये लोगों को बेहोश कर या सम्मोहित कर उनके सामान चुरा लेते हैं या यौन शोषण करते हैं.
ये बात सिर्फ महिलाओं के लिए ही नहीं, पुरुषों के लिए भी आवश्यक है. अगर संत-महात्माओं से मिलना ही है तो शाम के समय कीर्तन-भजन के वक्त या दिन के उजाले में अखाड़ों में लगी साधुओं की मंडली में मिलें.
इसके अलावा नागा साधुओं से भी मिलने से बचें क्योंकि कई नागा साधू आम लोगों के नजदीक नहीं जाना चाहते या उनसे किसी भी तरह का संपर्क नहीं करना चाहते ऐसे में अगर उनसे बात की जाए या नजदीक जाया जाए तो वो कई बार हिंसक हो जाते हैं.
अकेले में कुम्भ क्षेत्र को न करें एक्सप्लोर
पिछले कई समय से मैं देख रहा हूं कि सोशल मीडिया के आ जाने के बाद हर पर्यटक के अंदर किसी भी जगह को एक्सप्लोर करने की लालसा जागने लगती है जिससे कि वो लोगों को उस जगह के बारे में अधिक से अधिक बता सके. एक्सप्लोर करने की भावना अच्छी भी है मगर कुम्भ में ऐसा करने से बचें.
कल्पवासियों के लिए बने टेंट और उस इलाकों में अकेले न जायें जब तक आपका कोई जानने वाला वहां न हो. अक्सर देखा गया है कि कुम्भ क्षेत्र के सुनसान इलाकों में अपराधी चोरी के लिए या किसी अन्य जुर्म को अंजाम देने लिए अपने शिकार तलाशते रहते हैं. सिर्फ भीड़-भाड़ वाले मार्गों का ही इस्तेमाल करें जिस पर पुलिस या बड़ी संख्या में आम लोग मौजूद हों.
पंडों के झांसे में ना आयें
अगर आप भगवान से कुछ मांगते हैं तो परमात्मा आपको सीधे तौर पर आपकी मांगी हुई चीज आपको आशीर्वाद के रूप में देता है. वो किसी के माध्यम से आप तक नहीं पहुंचता या कोई व्यक्ति आपको भगवन तक पहुंचाने का माध्यम नहीं बन सकता. इस बात का खास ध्यान कुम्भ में दें. वहां मौजूद कई पंडे ऐसे होते हैं जो आपको झांसा देखर रुपये ऐंठने की फिराक में होते हैं.
ऐसा करने के लिए वो आपको भगवान का डर दिखाते हैं. वो आपसे कहेंगे कि आपके ऊपर भारी खतरा है जिसके लिए आपको इतने रुपये दान करने होंगे या कोई विशेष पूजा करनी होगी. जब तक आप स्वयं उस पूजा या अनुष्ठान के बारे में न जानते हों तब तक ऐसी किसी पूजा या दान-दक्षिणा के लिए हामी न भरें.
साथ ही सड़क चलते किसी भी साधू या पंडे के दिए हुए प्रसाद को न खाएं. ये बात समझना मुश्किल नहीं है कि उसका उद्देश्य आपको हानि पहुंचाने हो सकता है.
स्नान के वक़्त न करें लापरवाही
स्नान के लिए प्रशासन की ओर से घाट बनाये जाते हैं और नदी के अंदर खड़े होने के लिए तखत रख दिए जाते हैं. साथ ही एक मोटी रस्सी घाट के पास ही बांध दी जाती है जो संकेत होता है कि इससे आगे नहाने के लिए ना जायें. कई बार ऐसा इस लिए किया जाता है क्यूंकि उस रस्सी के आगे नदी की लहरें तेज़ होती हैं या फिर नीचे की ज़मीन में गहरे गड्ढे होते हैं जिसके अंदर घुस जाने का डर होता है. चाहे कुछ भी हो जाए, रस्सी के उस पार जा कर न नहाएं.
प्रशासन के नियमों का ना करें उल्लंघन
कुम्भ के दौरान नगर निगम और पुलिस प्रशासन कई तरह के नियम सिर्फ कुम्भ क्षेत्र में नहीं बल्कि पूरे शहर के लिए बनाता है जिसका पालन करना बेहद जरूरी है. भूल कर भी प्रशासन के किसी भी नियम का उल्लंघन न करें क्यूंकि उस दौरान पुलिस मामले को सुलझाने के लिए बल का भी प्रयोग कर सकती है.
मेला क्षेत्र में कई पीपे की पुल एक तरफा होते हैं यानी कि उससे एक ही दिशा में भीड़ आ या जा सकती है. कई पुलों पर सिर्फ पैदल यात्री ही चल सकते हैं उस पर बाइक या कार ले जाने की मनाही होती है. गंगा तट के पास खड़े हो कर फोटो खींचने से भी रोका जाता है.
ऐसे कई नियम हैं जिसे अनदेखा करने से आप अपने लिए ही मुसीबत पैदा कर सकते हैं. ध्यान रहे की ये सारे नियम मेले को सुचारू ढंग से चलने के लिए बनाये जाते हैं ऐसे में उनका पालन करना आवश्यक होता है.
कुम्भ क्षेत्र में ना फैलने दें अफवाह
ये प्रत्येक व्यक्ति की ज़िम्मेदारी है कि कुम्भ क्षेत्र में उस दौरान पूरे शहर में अफवाह न फैलने दें. पिछले समय में मैंने खुद कई ऐसी अफवाहें सुनी हैं. उन अफवाहों ने बड़ा रूप तो नहीं लिया मगर मैंने हर बार यही सोचा है कि अगर वो बड़ा रूप ले लेतीं तो कुछ बुरा हो सकता था.
किसी घाट पर बना पुल टूट गया. नदी के एक कोने में मगरमछ आ गया, नदी किनारे के तट पर जहरीला सांप निकल आया. प्रशासन ने भीड़ देखते हुए बाहर निकलने के सारे मार्ग बंद कर दिए हैं या एक निर्धारित वक्त पर बंद कर देंगे आदि जैसी कई अफवाहें लोगों में फैलने से मुसीबत बढ़ सकती है.
यूं तो हर कोई अपने में ज्ञानी होता है मगर जब वही व्यक्ति भीड़ का हिस्सा होता है तो तर्क-वितर्क करने की शक्ति खो देता है इसीलिए अवाहओं से बचें. कोई भी असमंजस हो तो पुलिसवालों से जानकारी लें.
नहान वाले दिन न करें शहर का भ्रमण
अगर आप नहान वाले दिन सोच रहे हैं कि संगम के डुबकी लगाने के बाद इलाहाबाद शहर के अन्य पर्यटक स्थलों को भी घूम लें तो मेरी सलाह यही है कि ऐसा न करें. इलाहाबाद घूमने की अगर लालसा है तो किसी अन्य महीने में कुम्भ के बाद आ कर घूमें.
ऐसा इसलिए है क्यूंकि नहान वाले दिन शहर की कई सड़कों को बंद कर दिया जाता है और शहर में भारी जाम लगा रहता है जिसके चलते आप जाम में बुरी तरह फंस सकते हैं. शहर में घूमने को बहुत कुछ है जिसे कम समय में न घूम कर किसी और वक्त में ज्यादा समय लेकर घूमने जायें.
संवेदनशील स्थानों पर ना करें जल्दबाज़ी
रेलवे स्टेशन, पीपे के पुल, घाट आदि ये सब ऐसे संवेदनशील स्थान हैं जहां आसानी से भगदड़ मच सकती है. इसलिए इन स्थानों पर विशेष ध्यान दें. स्टेशन पर सिर्फ इतनी सी अफवाह कि कोई ट्रेन 2 नंबर प्लेटफार्म पर न आ कर 5 पर आ रही है, भगदड़ की शक्ल ले सकती है. भगदड़ का एक रूप इलाहाबाद शहर ने साल 2013 के कुम्भ में देखा है.
ट्रेन छूटने से 1 घंटे पहले स्टेशन पहुंच जायें, ट्रेन के प्लेटफार्म का पता कर लें और उस प्लेटफार्म पर चले जायें. ट्रेन प्लेटफार्म पर लगने के दौरान भी हड़बड़ी न करें. आराम से ट्रेन पर चढ़ने से सभी को सहूलियत होगी.
जैसा मैंने पहले भी कहा कि कुम्भ का अनुभव अविस्मर्णीय होता है. मैं दावे के साथ कह रहा हूं कि अगर आप एक बार प्रयाग के कुम्भ हो कर आएंगे तो हर बार चाहेंगे कि जायें. तो अपना सामान बांधें और खुद से कहें...'चलो कुम्भ चलें'…
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