कहीं आपके आधार से दर्जन भर मोबाइल लिंक तो नहीं हैं
आधार को लेकर सरकार की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. रोज़ ऐसा कुछ न कुछ हो रहा है जिसको देखकर आम आदमी के सामने आधार की विश्वसनीयता खत्म होती जा रही है.
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आधार पर चल रहा विवाद थमने का नाम ही नहीं ले रहा. सूरज के उगने से लेकर सूरज के ढलने तक आधार को लेकर रोज कुछ होता है. आधार से जुड़ी घटनाओं को देखकर लगता है कि कि वो दिन दूर नहीं, जब सरकार की ये सेवा खुद उसके गले की हड्डी बनने वाली है. आधार से जुड़ी ताजा खबर चौकाने वाली और बेहद गंभीर है. गंभीर इसलिए क्योंकि वर्तमान परिदृश्य में, जो हो रहा है वो आपके, हमारे, किसी के भी साथ हो सकता है और जिसका दूरगामी परिणाम न सिर्फ सरकार बल्कि बल्कि देश के नागरिक तक के लिए बेहद घातक हैं.आधार को लेकर सरकार के सामने मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही हैं
इन दिनों तकरीबन रोजाना ही एक मैसेज हमारे मोबाइल पर फ़्लैश हो रहा है कि सरकार का निर्देश है कि हम जल्द से जल्द अपना मोबाइल अपने-अपने आधार से लिंक करा लें. हमारी आपकी तरह ये मैसेज प्रिया के मोबाइल पर भी फ़्लैश हुआ. हमारी आपकी तरह प्रिया ने इसे इग्नोर नहीं किया बल्कि वो अपना आधार कार्ड लेकर सीधे एयरटेल स्टोर पहुंची. एयरटेल स्टोर में प्रिया ने जो देखा, जो सुना उसको जानकार उसके होश उड़ गए.
The biggest shock of my life!!!
Went to an Airtel store to get AADHAAR linked to the single mobile number i have been using since 2000.Was told there are 9 connections already linked to my AADHAAR!????????????
What the hell is happening? @Airtel_Presence @airtelindia @UIDAI
— P R D (@PRIYARD) January 16, 2018
स्टोर पर जब अपना मोबाइल नंबर लिंक कराने के लिए प्रिया ने अपना आधार निकाला तो मालूम हुआ कि उसके आधार कार्ड से एक या दो नहीं 9 लोगों ने अपने-अपने मोबाइल नंबर लिंक करा रखे हैं. मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रिया ने अपनी शिकायत न सिर्फ स्टोर के अधिकारीयों से की बल्कि उसने कंपनी एयरटेल और यूआईडीएआई को भी आड़े हाथों लेते हुए ट्विटर पर ट्वीट किया. महिला ने सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर यूआईडीएआई और एयरटेल से पूछा की वो पिछले 18 सालों से वह इस मोबाइल नंबर का इस्तेमाल कर रही है. अतः इस मामले में शिकायत का निपटारा यूआईडीआई करेगा या फिर पुलिस.
महिला के प्रश्न पर चार दिन तक चुप्पी साधने वाले यूआईडीआई ने जो जवाब दिया वो हैरत में डालने वाला था. यूआईडीएआई का तर्क था कि कम से कम आधार धारक जानता है कि उनके आधार नंबर से कितने मोबाइल जुड़े हुए हैं. ऐसे मामलों में, मोबाइल कंपनी के खिलाफ ट्राई या डीएटी के टीईआरएम सेल को मोबाइल कंपनी के खिलाफ धोखाधड़ी वाले सिम जारी करने के लिए शिकायत की जा सकती है.
At least the Aadhaar holder knows how many mobiles are linked to his/her Aadhaar number. In such cases one can complain against the mobile company to TRAI or TERM cell of DOT for fraudulently issuing SIM against their Aadhaar Number. 1/3
— Aadhaar (@UIDAI) January 21, 2018
अब भले ही यूआईडीआई के जवाब से महिला संतुष्ट हुई हो या न हुई हो मगर इस पूरे मामले से एक बात तो साफ है कि सरकार जिस आधार को अपना ड्रीम बता रही है और जिस सेवा के बल पर भारत के डिजिटलीकरण की बात कह रही है वो सुरक्षा के लिहाज से कमजोर और उसमें कई बुनियादी कमियां हैं. गौरतलब है कि अभी कुछ दिनों पूर्व ही हम ऐसी ख़बरें सुन चुके थे जहां महज 500 रुपए के भुगतान पर व्यक्ति किसी के भी आधार कार्ड की जानकारी निकाल सकता है और यदि वो 300 रुपए का पेमेंट और करे तो उसे सारी जानकारियां प्रिंट फॉर्मेट में प्रिंट होकर मिल जाएंगी.
मौजूदा वक़्त में आधार सेवा का स्ट्रक्चर भारत में कितना कमजोर है हम ऐसी और इससे मिलती जुलती ख़बरों से जान चुके हैं. इसके अलावा सुरक्षा मामलों के जानकार और अमेरिकी व्हिसल ब्लोअर एडवर्ड स्नोडेन तक ने भारत के आधार सिस्टम पर अविश्वास जताया है और तर्क दिया है कि सरकारें ऐसे डेटा सिर्फ इसलिए लेती हैं ताकि वो उसका गलत इस्तेमाल कर सकें और अपने नागरिकों को धोखे में रखकर उनके जीवन में दखलंदाजी कर सकें.
अंत में हम ये कहते हुए अपनी बात खत्म करेंगे कि यदि सरकार वाकई आधार के लिए गंभीर है और इसे जन जन के लिए अनिवार्य करना चाहती है तो उसे इसकी बुनियादी कमियों को दूर करने के लिए प्रयास करने होंगे. यदि सरकार इस अहम मसले पर गंभीर हो जाती है तो ये न सिर्फ उसके बल्कि देश के आम नागरिक के लिए बेहतर प्रयास होगा. वरना देश का आम नागरिक तो हर जगह लूटा ही जा रहा है, एक आत दो जगह और सही.
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