X
Login
You agree to our privacy and cookie policy while login to our website.
Login With Facebook
iChowk
Aaj Tak
বাংলা
Aaj Tak Campus
GNTTV
Lallantop
India Today
Business Today
Cosmopolitan
Harper's Bazaar
Reader's Digest
Northeast
Malayalam
Sports Tak
Crime Tak
Astro Tak
Gaming
Brides Today
Ishq FM
सियासत
समाज
संस्कृति
स्पोर्ट्स
सिनेमा
सोशल मीडिया
इकोनॉमी
ह्यूमर
टेक्नोलॉजी
वीडियो
लॉगिन करें
मोबाइल नंबर
(+91)
Submit
or
You agree to our privacy and cookie policy while login to our website.
*
OTP डालें
OTP फिर भेजें
OTP फिर भेजें
Submit
New
अपनी स्टोरी, कविता या कहानी साझा करें...
चर्चा में
महाराष्ट्र
औरंगजेब
ज्ञानवापी मस्जिद
कांग्रेस
राहुल गांधी
योगी आदित्यनाथ
यूपी विधानसभा चुनाव 2022
रूस यूक्रेन विवाद
नरेंद्र मोदी
पंजाब चुनाव
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022
अखिलेश यादव
ओमिक्रॉन वेरिएंट
ममता बनर्जी
कोरोना वायरस
अफगानिस्तान
ऑक्सीजन
पश्चिम बंगाल चुनाव 2021
कोरोना वैक्सीन
किसान आंदोलन
भारत-चीन
अमित शाह
प्रियंका गांधी
टीम इंडिया
विराट कोहली
अरविंद केजरीवाल
अरुण जेटली
समाज
| 4-मिनट में पढ़ें
prakash kumar jain
@prakash.jain.5688
चट मंगनी पट ब्याह और अब झट तलाक भी...
'सुप्रीम' निर्णय से प्रेरणा पाकर 'चट मंगनी पट ब्याह और अब झट तलाक' शीर्षक तो दे दिया, लेकिन ये 'भानुमती का पिटारा' खोलने जा रहा है. तलाक की कार्यवाही को पूरा होने में जितना समय लगता है, बड़ी संख्या तलाक चाहने वालों की सुप्रीम कोर्ट का रुख जो करेगी...
सियासत
| बड़ा आर्टिकल
अशोक भाटिया
भारतीय राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की अभी और जरुरत है
निश्चय ही राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ने से महिला एवं पुरुष दोनों के विकास का एक नया दौर शुरू हुआ है. और इसके परिणाम बेहतर ही होंगे किंतु यह तभी संभव होगा जब एक ओर पुरुष वर्ग व्यापक सामाजिक-राजनीतिक हित में महिला सहभागिता पर गंभीर हो तथा दूसरी ओर देश की महिलाएं अपने राजनीतिक अधिकारों की समता के लिए पुरज़ोर संघर्ष करें.
सियासत
| 5-मिनट में पढ़ें
जावेद अनीस
महज कागजी न रहे बच्चों की सहभागिता का सवाल
दुनिया के अधिकतर समाजों में बच्चों की भागीदारी को लेकर गंभीरता दखने को नहीं मिलती है. न तो सरकार और न ही समाज बच्चों की आवाज को इस काबिल मानती है कि सुनी जाए. वे सोचते हैं कि बच्चे खुद से सोचने, समझने, निर्णय लेने और किसी मुद्दे पर अपने विचार व्यक्त करने लायक नहीं हैं.
समाज
| 6-मिनट में पढ़ें
जावेद अनीस
लैंगिक समानता बनाम मर्दानगी का बोझ और उसे झेलता पुरुष!
पितृसत्ता से केवल महिलाओं को ही परेशानी नहीं उठानी पड़ती है, बल्कि इसका शिकार पुरुष भी होते हैं. उन्हें ना केवल मर्दानगी ओढ़नी पड़ती है बल्कि ज्यादातर समय इसकी कसौटी पर खरा उतरना होता है.
सियासत
| 4-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
लाउडस्पीकर से परेशानी क्या है? कभी मुस्लिम मुहल्लों में रमजान में सोकर तो देखिये!
लाउडस्पीकर के सन्दर्भ में आई एक याचिका को ख़ारिज करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि मस्जिदों पर लाउडस्पीकर लगाना मौलिक और संवैधानिक अधिकारों के दायरे में नहीं आता है. मुस्लिम मोहल्ले का बाशिंदा होने के नाते, मुझे बहुत सुकून मिला इस फैसले से.
समाज
|
एक अलग नज़रिया
| 4-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
झगड़ालू बहू को संयुक्त घर में रहने का अधिकार नहीं, तो फिर वह कहां जाए?
पति-पत्नी में लड़ाई होना अलग बात है लेकिन एक बहू (daughter in law) अपना ससुराल अपना घर छोड़कर आखिर कहां जाएगी. शादी के बाद मायके में ज्यादा दिन रहने पर समाज वाले अलग ताना मारते हैं. वहां मायके वाले खुद शादी के बाद बेटी की जिम्मेदारी से घबराते हैं.
समाज
|
एक अलग नज़रिया
| 4-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
हाउस वाइफ ये 7 काम करने के बाद गिल्ट में क्यों जीती हैं, यह अंतर कब खत्म होगा?
महिलाएं एक अलग तरह के डर में जीती हैं जो आपको देखने में नहीं आएगा क्योंकि उनको लगता है वे कुछ गलत कर रही हैं.
समाज
| 3-मिनट में पढ़ें
अनु रॉय
@anu.roy.31
Periods leave बिहार सरकार तब से दे रही जब जोमेटो का नाम नहीं था!
जोमेटो (Zomato) द्वारा पीरियड के दिनों में छुट्टी (Period Leave) के नाम पर फेमिनिस्ट (Feminist) भले ही अपनी त्योरियां चढ़ा रहे हों लेकिन उन्हें समझना होगा कि ये परंपरा बिहार में बरसों से चल रही है और महिलाओं को अपने मुश्किल दिनों में छुट्टी दी जा रही है.
ह्यूमर
| 4-मिनट में पढ़ें
खुशदीप सहगल
@khushdeepsehgal
मानवाधिकारों की फ़िक्र सबको, सांडाधिकारों का क्या?
लोगों ने सांड को इमारत से उतारने के लिए बड़ी मान-मनुहार की. लेकिन सांड मानने को तैयार ही नहीं. सांड का इरादा साफ था जब तक उसकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं वो हर्गिज़ नीचे नहीं उतरेगा.