Lander Vikram को लेकर NASA और ISRO में 'पहले मैं-पहले मैं' होने लगा है !
मंगलवार को NASA ने लैंडर विक्रम (Lander Vikram) की कुछ तस्वीरें जारी की हैं और सबसे पहले इसका पता लगाने का दावा किया है. हालांकि, ISRO प्रमुख के सिवान (K Sivan) ने NASA के दावों को खारिज करते हुए कहा है कि ऑर्बिटर (Orbiter) ने काफी पहले ही इसका पता लगा लिया था.
-
Total Shares
Chandrayaan 2 के लैंडर विक्रम (Lander Vikram) को 7 सितंबर को चांद की सहत पर लैंड करना था, लेकिन वह क्रैश (Crash Landing) हो गया. ISRO से उसका संपर्क ऐसा टूटा कि आज तक नहीं जुड़ा, लेकिन इस दौरान लैंडर विक्रम से जुड़ी कई जानकारियां सामने आई हैं. तमाम कोशिशों के बीच मंगलवार को NASA ने चांद की सतह पर पड़े लैंडर विक्रम के मलबे की कुछ तस्वीरें जारी की हैं और ये जताने की कोशिश की कि उसने ही पहली बार लैंडर विक्रम का पता लगाया है. खैर, नासा के ट्वीट के बाद ISRO प्रमुख के सिवान (K Sivan) ने नासा के दावों पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारत के अपने ऑर्बिटर (Orbiter) ने काफी पहले ही लैंडर की जानकारी दे दी थी, हां उससे संपर्क स्थापित नहीं हो सका है. यूं लग रहा है जैसे दोनों में लैंडर विक्रम को खोजने का क्रेडिट लेने की होड़ लग गई है, लेकिन ऐसा हो क्यों रहा है? कौन सही है और कौन गलत?
नासा ने ट्वीट कर के लैंडर विक्रम की कुछ तस्वीरें जारी की हैं और इसी के साथ लैंडर को खोजने का क्रेडिट लेने की होड़ भी लग गई है.
क्रेडिट लेने की इस होड़ में गलत कौन?
अगर देखा जाए तो ना ही नासा गलत है, ना ही इसरो. अपनी-अपनी जगह दोनों ही सही हैं. दरअसल, 7 सितंबर को विक्रम लैंडर क्रैश हुआ था और 10 सितंबर को ISRO ने एक ट्वीट कर के इस बात की जानकारी दी थी कि विक्रम लैंडर का पता लगा लिया गया है. हालांकि, इसरो ने कोई तस्वीर जारी नहीं की थी. ट्वीट में लिखा था- 'चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने विक्रम लैंडर का पता लगा लिया है, लेकिन अभी तक उससे कोई कम्युनिकेशन स्थापित नहीं हो सका है. लैंडर से संपर्क स्थापित करने की हर संभव कोशिश की जा रही है.'
#VikramLander has been located by the orbiter of #Chandrayaan2, but no communication with it yet. All possible efforts are being made to establish communication with lander.#ISRO
— ISRO (@isro) September 10, 2019
वहीं दूसरी ओर मंगलवार यानी 3 दिसंबर को नासा ने विक्रम लैंडर का पता लग जाने की जानकारी तो दी है, साथ ही तस्वीर भी जारी की है. तस्वीर में दिखाया गया है कि कहां-कहां पर मलबा मिला है और कहां-कहां पर विक्रम लैंडर की वजह से जमीन की मिट्टी इधर-उधर हुई है. तस्वीर के जरिए नासा ने वह सटीक लोकेशन दिखाई है, जहां पर विक्रम लैंडर टकराया था. नासा ने ट्वीट किया है- 'हमारे नासा मून मिशन के तहत एलआरओ ने चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर का पता लगा लिया है. उस जगह की पहली तस्वीरें यहां देखिए.' यानी अगर तस्वीरों की बात करें तो बेशक पहली बार तस्वीरें तो नासा ने ही दिखाई हैं.
The #Chandrayaan2 Vikram lander has been found by our @NASAMoon mission, the Lunar Reconnaissance Orbiter. See the first mosaic of the impact site https://t.co/GA3JspCNuh pic.twitter.com/jaW5a63sAf
— NASA (@NASA) December 2, 2019
तो किसे मिलने चाहिए क्रेडिट?
वैसे तो नासा ने तस्वीरें जारी करते हुए इसका क्रेडिट खुद को दे दिया है, लेकिन इसरो प्रमुख के सिवान ने नासा के दावों को खारिज कर दिया है. यानी ये कह सकते हैं कि इसरो प्रमुख के सिवान का दावा बिल्कुल सही है कि इसरो ने काफी पहले ही विक्रम लैंडर की स्थिति का पता लगा लिया था. हां, उस वक्त इसरो ने सबूत नहीं दिए थे, लेकिन इससे कोई खास फर्क भी नहीं पड़ता क्योंकि देश के लोग इसरो पर भरोसा करते हैं. अगर तस्वीरों की बात करें तो बेशक पहली बार तस्वीरें तो नासा ने ही दिखाई हैं. तो लैंडर विक्रम को खोजने का क्रेडिट भले ही इसरो को दे दिया जाए, लेकिन उसकी खोज को दुनिया के सामने लाने का क्रेडिट तो नासा को ही मिलना चाहिए.
क्या हुआ था विक्रम लैंडर के साथ?
दरअसल, 7 सितंबर को चंद्रयान-2 का लैंडर विक्रम जब चांद की सतह पर लैंड कर रहा था, उसी दौरान इसरो का उससे संपर्क टूट गया. इस संपर्क टूटने को लेकर भी एक कंफ्यूजन का फैला हुआ था. पहले कहा जा रहा था कि संपर्क करीब 2.1 किलोमीटर ऊपर टूटा, लेकिन बाद में लैंडर की लैंडिंग का एक ग्राफ सामने आया, जो ये साफ करता था कि लैंडर से इसरो का संपर्क 400 मीटर ऊपर टूटा, ना कि 2.1 किलोमीटर ऊपर. यह सही है कि लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग नहीं हो पाई, पर ये भी सही है कि मिशन करीब 95 फीसदी तक सफल है. क्योंकि मिशन का मुख्य अंग ऑर्बिटर पूरी सफलता के साथ अपना काम कर रहा है, जिसकी उम्र एक साल है. वो सात साल तक भी काम कर सकता है. इसके अलावा चंद्रयान-2 में कई नई टेक्नोलॉजी लगाई गई हैं. अत्याधुनिक इंजन, सेंसर, नेविगेशन सिस्टम, हाई रेजॉल्यूशन कैमरे, सभी सही तरीके से काम कर रहे हैं. चंद्रमा से जुड़ी कई गुत्थियां सुलझने की उम्मीद है. वहां मौजूद पानी और खनिज की गुत्थी हो या चांद की सतह पर होने वाले बदलाव हों. ये जानकारियां अगले मिशनों में भी काम आएंगी.
ये भी पढ़ें-
लैंडर विक्रम 2.1 किमी नहीं, 400 मीटर की ऊंचाई तक संपर्क में था!
Lander Vikram से संपर्क के आगे ISRO के लिए जहां और भी है
Chandrayaan-2 की नाकामी के बीच ISRO के 5 योगदान देश नहीं भूलेगा
आपकी राय